मध्य प्रदेश में राजस्व अधिकारियों ने आदिवासियों की जमीन निजी कंपनी को बेची

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30 जुलाई। मध्य प्रदेश में आदिवासियों को दी गई शासकीय जमीन के दस्तावेजों में हेर-फेर कर खरीद बिक्री का खेल जारी है। ऐसा ही एक मामला सतना जिले से सामने आया है, जहाँ आदिवासियों को मिली 54 एकड़ जमीन फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से निजी कंपनी को दे दी गई। मामला सामने आने के बाद आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने तीन तहसीलदार समेत 8 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। सतना जिले में राजस्व अधिकारियों ने आदिवासियों के लिए आवंटित 54 एकड़ सरकारी जमीन प्राइवेट कंपनी के अधिकारियों को बेचकर करोड़ों की कमाई की।

अधिकारियों ने कहा, कि आर्थिक अपराध शाखा ने मंगलवार को तीन तहसीलदारों, चार पटवारियों और एक निजी कंपनी के अधिकारी के खिलाफ सतना जिले में 54 एकड़ सरकारी जमीन को स्थानांतरित करने का मामला दर्ज किया है। जो जमीन आदिवासियों के लिए थी। ईओडब्ल्यू के महानिदेशक अजय शर्मा ने फ्री प्रेस को बताया, कि एजेंसी को एक शिकायत मिली थी जिसमें आरोप लगाया गया था, कि राजस्व अधिकारियों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया और सरकारी प्रक्रिया का उल्लंघन किया। उन्होंने 54 एकड़ सरकारी जमीन एक निजी कंपनी के अधिकारी को बेच दी।

यह जमीन सतना जिले के दो गाँवों करौंदी कुठीया महगवां और गढ़ौहा में फैली हुई है। यह 54 एकड़ सरकारी जमीन एक सरकारी योजना के तहत आदिवासियों को आवंटित की गई थी, लेकिन 2008 में इसे एक निजी कंपनी के निदेशक रमेश सिंह को मामूली कीमत पर बेच दिया गया था। मामले की जाँच सब इंस्पेक्टर फरजाना परवीन से कराई गई थी। जाँच के दौरान उन्होंने पाया, कि आरोपी रमेश सिंह ने तहसील बरही में पदस्थ तत्कालीन तहसीलदारों और पटवारियों की मिलीभगत से ग्राम करौंदी कुठीया महगवां और गढ़ौहा की लगभग 54 एकड़ भूमि जो कि शासकीय पट्टेदार भूदान धारक और अहस्तांतरणीय भूमि थी उसे मामूली रकम देकर 2008 में खरीदा गया।

तत्कालीन तहसीलदार एसके गर्ग, आरपी अग्रवाल और आरबी द्विवेदी ने दस्तावेजों का सत्यापन नहीं किया और जिला कलेक्टर से अनुमति लिए बिना जमीन रमेश सिंह को हस्तांतरित कर दी। पटवारी नाथूलाल रावत और संतोष दुबे (जूनियर), संतोष दुबे (सीनियर) और सुखदेव सिंह ने भूमि रिकॉर्ड बदल दिया। जाँच एजेंसी को संदेह है, कि राजस्व विभाग के कर्मियों ने इस सौदे से करोड़ों रुपये कमाए। पुलिस ने आईपीसी की धारा 420, 467,468, 471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 (सी) के तहत मामला दर्ज किया है। हालांकि मामले में अबतक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

(‘मैं भी भारत’ से साभार)

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