29 जुलाई। मध्यप्रदेश सरकार आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्कूलों को लेकर बड़े-बड़े दावे करते नजर आती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। मामला सिवनी जिले के आदिवासी विकासखंड घंसौर का है, जहाँ बारिश ने शिक्षा विभाग के सारे दावों की पोल खोल दी है। खैरीकलां में मौजूद शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला के जर्जर भवन में एक नहीं बल्कि कई समस्याएं देखने को मिली हैं। यहाँ एक सरकारी स्कूल के बच्चे टपकती छत के नीचे छाता लेकर पढ़ाई कर रहे हैं। छत से बारिश का पानी टपकता है। स्कूल के ये हालात तब हैं, जब सूबे की सरकार अपने स्कूलों को प्राइवेट स्कूल जैसा बनाने के लिए सीएम राइज स्कूल खोल रही है। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद शिवराज सरकार पर सवाल खडे हो रहे हैं।
खैरीकला गाँव घंसौर ब्लॉक से 7 किलोमीटर दूर है। यह लखनादौन विधानसभा क्षेत्र में आता है। स्कूल में पढ़नेवाले बच्चों की मानें तो उन्हें इस जर्जर स्कूल में बैठकर पढ़ने में बहुत डर लगता है। बारिश के पानी से उनकी किताबें, कपड़े सब गीले हो जाते हैं। भविष्य बनाने की चाह में मजबूरन उन्हें रोज जान जोखिम में डालकर पढ़ना पड़ता है। यह हाल स्कूल का आज से नहीं बल्कि बीते कई दिनों से है लेकिन अभी तक किसी अधिकारी या प्रशासन ने यहाँ की सुध नहीं ली है।
एक बच्चे के अभिवावक रुस्तम मंसूरी का कहना है, कि स्कूल की हालत इतनी खराब है कि एक बार तो छत से प्लास्टर का टुकड़ा बच्चे के सिर पर गिर गया था। गनीमत रही कि गंभीर चोट नहीं आई। इसकी शिकायतें की, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। भीकम सिंह परते का कहना है, कि उन्हें बच्चों को स्कूल भेजने में डर लगता है। शाला प्रबंधन समिति का कहना है, कि स्कूल की खराब हालत से अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। कई बार मरम्मत के लिए आवेदन दे चुके हैं। घंसौर के बीआरसीसी देवीलाल सेन का कहना है, कि स्कूल की मरम्मत के लिए प्रस्ताव जिला शिक्षा केंद्र को भेज चुके हैं। जैसे ही स्वीकृत होकर रकम आएगी, मरम्मत करवा दी जाएगी।
घंसौर बीआरसी देवी प्रसाद सेन ने कहा, कि स्कूल भवन जर्जर हो चुका। उसका छप्पर भी गिर गया है। बरसात में पानी भी टपकता है। इसकी मरम्मत के लिए हमने जिला शिक्षा केंद्र में भेज चुके हैं। जैसे ही पैसे आएंगे स्कूल की मरम्मत करवाई जाएगी। उधर हरदा के रहटगांव तहसील के वनग्रामों के बच्चे उफनती नदी को पार कर स्कूल जा रहे हैं। रोजाना करीब 200 स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर गंजाल नदी को पार करते हैं। ग्रामीणों का कहना है, कि गाँव से बाहर जाने के लिए ये एकमात्र रास्ता है। मंगलवार शाम को भी टेमरुबहार से राजाबरारी और बोरी क्षेत्र में बच्चे उफनती नदी पार करके स्कूल जाते दिखे। छोटे बच्चों को उनके परिजन कंधों पर ले जा रहे थे। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।