2 अगस्त। तीस्ता सीतलवाड़ को हाल ही में गुजरात में 2002 के मुस्लिम विरोधी दंगों के पीड़ितों को न्याय की वकालत करने के लिए भाजपा सरकार के इशारे पर कथित आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। विशेष जाँच दल द्वारा हत्याकांड में मोदी को दी गई क्लीन चिट को चुनौती देनेवाली याचिका को खारिज करते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तीस्ता सीतलवाड़ पर मामले को बढ़ाने का आरोप लगाने के बाद उन्हें हिरासत में लिया गया था।
चूंकि तीस्ता के परदादा चिमनलाल सीतलवाड़ ने 1919 में अमृतसर के जलियांवाला बाग पब्लिक पार्क में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों की हत्या का आदेश देनेवाले एक ब्रिटिश सेना अधिकारी से पूछताछ की थी, इसलिए तीस्ता के समर्थन में उधम सिंह के शहादत दिवस पर रैली आयोजित की गई थी। जालियांवाला बाग प्रकरण ने भारत में स्वतंत्रता आंदोलन को तेज कर दिया था। उधम सिंह को 31 जुलाई, 1940 को लंदन में पंजाब के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ. डायर की हत्या के कारण उन्हें मार डाला गया था। एक ऑनलाइन पत्रिका रेडिकल देसी में बताया गया है, कि रैली की शुरुआत वैंकूवर के कैट नॉरिस की याद में मौन रखने के साथ की गई थी, जो एक स्वदेशी कार्यकर्ता थे, जिनका हाल ही में निधन हो गया। विशेष रूप से, रेडिकल देसी ने जलियांवाला बाग हत्याकांड की 100वीं बरसी के करीब 2018 में तीस्ता को कनाडा में आमंत्रित किया था। उस वर्ष सरे में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्हें साहस के पदक से सम्मानित किया गया था।
तीस्ता लगातार भाजपा सरकार की राज्य प्रायोजित हिंसा और बहुसंख्यकवाद के खिलाफ लिखती और बोलती रही हैं, जिसके तहत धार्मिक अल्पसंख्यकों और राजनीतिक आलोचकों पर हमले बढ़े हैं। रविवार को कनाडा में हुई रैली में शामिल लोगों ने तीस्ता के समर्थन में नारेबाजी की और उनकी रिहाई की माँग की। उन्होंने सर्वसम्मति से भारत में असंतोष की किसी भी आवाज को दबाने और सभी राजनीतिक कैदियों की स्वतंत्रता को कुचलने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे कठोर कानूनों को खत्म करने की भी माँग की। उन्होंने इस अवसर पर “फ्री तीस्ता” लिखी पट्टियां हाथ में रखी थीं।
प्रदर्शन में बोलने वालों में अलायंस अगेंस्ट बिगोट्री के सह-संस्थापक इम्तियाज पोपट, जो गुजराती विरासत के मुस्लिम हैं, के अलावा सिख कार्यकर्ता बरजिंदर सिंह, ज्ञान सिंह गिल, केसर सिंह बागी और प्रसिद्ध विद्वान पूरन सिंह गिल शामिल थे। सभा को संबोधित करनेवाले अन्य लोगों में रेडिकल देसी समर्थक हरबीर राठी, वामपंथी कार्यकर्ता परमिंदर कौर स्वैच, प्रमुख पंजाबी कवि अमृत दीवाना, जानी-मानी मीडिया हस्तियाँ गुरविंदर सिंह धालीवाल, नवजोत कौर ढिल्लों और रेडिकल देसी के सह-संस्थापक गुरप्रीत सिंह थे।
(‘सबरंग इंडिया’ से साभार)