10 अगस्त। आदिवासियों के मूलभूत अधिकारों की सामाजिक, आर्थिक और न्यायिक सुरक्षा के लिए हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। मध्य प्रदेश सरकार ने भी इस मौके पर कई आयोजन किए थे। लेकिन ठीक उसी दिन जब आदिवासी समुदाय के लिए उत्सव मनाया जा रहा था, सरकारी महकमे (वन विभाग) ने उनपर गोली चला दी। विदिशा के लटेरी इलाके में लकड़ी बीनने गए आदिवासियों में से एक की इस गोलीबारी में मौत हो गई और तीन घायल हो गए हैं। प्रदेश के आदिवासी समाज में इस घटना की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। स्थानीय एक्टिविस्ट व वकील सुनील आदिवासी ने बताया कि “भील परिवार के 10 सदस्यों पर लटेरी वन विभाग द्वारा बेहद शर्मनाक हमला किया गया जिसमे चैन सिंह पुत्र सरदार भील की मौके पर मौत हो गई एवं 4 अन्य व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गए जिन्हें जिला विदिशा हॉस्पिटल उपचार के लिए भेजा गया है।”
कांग्रेस के आदिवासी नेता और पूर्व वन मंत्री ओंकार मरकाम ने घटना को सरकार के आदिवासी विरोधी रुख का परिणाम बताया है। उन्होंने समस्त आदिवासी समाज से घटनास्थल पर पहुँचने का आह्वान किया है। ओंकार मरकाम ने इसे आदिवासी विरोधी शिवराज सरकार का असली चेहरा बताया है और माँग की है कि आदिवासियों के साथ पूरे प्रदेश में हो रहे अन्याय के विरुद्ध समुदाय एकजुट हो। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घटना की न्यायिक जाँच के निर्देश दे दिए हैं। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि “लटेरी की घटना बेहद दुखद है। संबंधित वन अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। मृतक के परिजनों को 20 लाख रुपए मुआवजा, जबकि घायलों को 5 लाख रुपए और इलाज का समुचित खर्च सरकार वहन करेगी। पुलिस ने वन अमले के खिलाफ भादवि की धारा 302, 307 और 34 के तहत प्रकरण कायम किया है।”
घटना मंगलवार शाम की है जब करीब 6 बजे विदिशा के लटेरी में कुछ आदिवासी युवक लकड़ी चुनने जंगल की ओर गए थे। घने जंगल से लकड़ियां चुनकर जब वे लौट रहे थे तब वन विभाग की टीम वहाँ पहुँच गई। वन विभाग की टीम को देखकर वे डर गए और भागने लगे। इस दौरान उनके ऊपर फायरिंग की गई। इस घटना में एक आदिवासी युवक की मौत हो गई जबकि 3 अन्य घायल हैं। जलावन के लिए लकड़ी इकट्ठा करने गए ये युवक वन विभाग और कानून की नजर में लकड़ी चोर थे। उन्हें थोड़ी सी लकड़ियाँ जिसे वे मोटरसाइकिल पर लादकर ले जा रहे थे, उसके लिए जान की कीमत अदा करनी पड़ी।
शिवराज सरकार में कभी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता तो कभी सत्ता की शह पर सरकारी अमला आदिवासियों की हत्या कर रहा है। प्रदेश पहले ही शिवराज सरकार में आदिवासियों पर अत्याचार में देश में पहले स्थान पर पहुँच चुका है। आदिवासियों पर सरकारी संरक्षण में अत्याचार करने के बाद सरकार जाँच और मुआवजे का पाखंड कर रही है। सरकार मृतक के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे। आदिवासियों के नाम पर झूठे तमाशे करनेवाली शिवराज सरकार क्या यह बताएगी, कि आखिर क्या वजह है कि चाहे नेमावर हो मंदसौर हो या विदिशा हो, हर बार आदिवासियों पर अत्याचार क्यों हो रहा है? मुख्यमंत्री को तुरंत इस घटना के लिए आदिवासी समुदाय से माफी माँगनी चाहिए।