आजादी के 75 साल : खाट पर लिटाकर गर्भवती महिला को कराया उफनती नदी पार

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12 अगस्त। मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था की बेहतरी के बड़े-बड़े दावे हो रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत सरकारी दावों से कोसों दूर है। देश एक ओर आजादी का अमृत महोत्सव मनाने की तैयारी में है। लेकिन आज भी बैतूल का एक गाँव आजादी के 75 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। बैतूल जिले के शाहपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत पावरझंडा में एक प्रसव पीड़ित गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाने के लिए चारपाई पर लिटाकर ग्रामीणों को उफनती नदी पार करनी पड़ी। लोगों ने किसी तरह जान जोखिम में डालकर महिला को अस्पताल पहुँचाया। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।

दरअसल बुधवार को रूपेश टेकाम की गर्भवती पत्नी मयंती टेकाम को डिलीवरी के लिए अस्पताल ले जाना था। सबसे बड़ी समस्या ये थी कि गाँव से मुख्य मार्ग तक जाने के लिए रास्ता नहीं था। यहाँ पहाड़ी नदी उफान पर थी। इस वजह से एम्बुलेंस या कोई भी दूसरा वाहन गाँव तक नहीं पहुँच सकता था। दर्द से तड़पती मयंती को प्रसव पीड़ा से निजात दिलाने के लिए रूपेश ने गाँव के लोगों से मदद मांगी।

इसके बाद ग्रामीण नदी पार कर उसे उपचार के लिए शाहपुर लेकर पहुँचे। लेकिन यहाँ पर भी माचना नदी उफान पर होने के कारण उन्हें वापस लौटकर महिला को भौरा के शासकीय अस्पताल ले जाना पड़ा। बुधवार की रात महिला की सुरक्षित डिलीवरी भी हो गई। फिलहाल उसकी हालत बेहतर बताई जा रही है। गाँव वालों का कहना है, कि वो लोग इस समस्या का पहली बार सामना नहीं कर रहे हैं, बल्कि हर साल बारिश में इलाके के लोगों को इस स्थिति का सामना करना पड़ता है। गाँववालों का कहना है, कि नदी पार करने के लिए पुल नहीं है। नदी पर पुल न होने से लोगों को आने-जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यहाँ पुल बनाने की माँग कई सालों से की जा रही है, लेकिन कोई सुन नहीं रहा।

उधर झारखंड के सिमडेगा जिला अंतर्गत बानो प्रखंड के बरटोली गाँव में ऐसी ही एक घटना सामने आई। यहां गाँव तक जाने के लिए सड़क नहीं है। गर्भवती को अस्पताल पहुँचाने के लिए गाँव तक एंबुलेंस नहीं जा सकी। परेशान परिजन खटिया पर गर्भवती को मुख्य सड़क तक ले जाने लगे। इसी दौरान महिला का प्रसव हुआ और नवजात की मौत हो गयी।

बड़काडुइल पंचायत अंतर्गत बरटोली गाँव निवासी गणपत सिंह की पत्नी सरस्वती देवी को प्रसव पीड़ा हुई। परिवार के लोगों और सहिया ने गुरुवार की सुबह एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन सड़क सही नहीं होने के कारण एंबुलेंस गाँव तक नहीं जा सकी। एंबुलेंस गाँव के बाहर ही खड़ी रही। परिजन गर्भवती महिला को खटिया पर ढोकर बेलभुड़ु चौक ला रहे थे। रास्ते में ही महिला ने बच्चे को जन्म दे दिया, नवजात ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

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