15 अगस्त। विमल भाई के अस्पताल में भर्ती होने की खबर साथी फैसल ख़ान जी से मिली थी। उन्होंने बतलाया था कि कभी भी कुछ भी हो सकता है। मैंने परसों दिल्ली जाकर मिलने का कार्यक्रम बनाया था। आज खबर मिली कि हमारे प्रिय साथी नहीं रहे।
सभी साथियों की तरह मेरी भी कल्पना से परे है उनका जाना।उत्तराखंड की वे देश भर में आवाज थे। सुंदरलाल बहुगुणा जी से लेकर मेधा जी तक सभी के साथ उन्होंने आजीवन पूरी प्रतिबद्धता से काम किया। नदियों का संरक्षण, पर्यावरण, विस्थापन और शांति के सवालों पर उन्होंने सतत रूप से कार्य किया। उनके जीवन में उन्हें तमाम आंदोलनों में उल्लेखनीय सफलताएं भी मिलीं।
लेकिन जब असफलताएं मिलीं तो वे कभी डरे नहीं रुके नहीं।खोरी को लेकर सदा बेचैन रहते थे। दो कार्यक्रम भी उन्होंने बहुजन संवाद पर खोरी को लेकर किए थे।
मेरा उनके साथ तीन दशक पुराना रिश्ता था। वे सदा प्रक्रिया (process) को लेकर सोचते थे। कोई निर्णय व्यक्तिगत स्तर पर नहीं लेते थे, साथियों के साथ मिलकर निर्णय किया करते थे।
लंबे अरसे तक उन्होंने दिल्ली में जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय को संचालित किया। उन्हें बैठकों में सूत कातते हुए देखा जा सकता था। केवल खादी का इस्तेमाल और जीवंतता उन्हें विशिष्ट व्यक्तित्व प्रदान करते थे। आधी बांह का कुर्ता और लुंगी उनकी पहचान थी। अधिकतर साफा की तरफ तौलिया भी सिर पर बांधते थे। चुटकियां लेना उनकी आदत थी।
सभी उन्हें पक्के और सच्चे आंदोलनकारी के तौर पर जानते और मानते थे।
किसान संघर्ष समिति और समाजवादी समागम की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि।
– डॉ सुनीलम
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