सेफ्टी टैंक में सफाई के दौरान मौत का सिलसिला जारी, अब रोहतक में 2 युवकों की मौत

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11 सितंबर। हर नागरिक को गरिमामय जीवन मुहैया कराना लोकतंत्र में सरकार का दायित्व होता है। लेकिन आज जब हम रात-दिन ‘न्यू इंडिया’ का डंका पीटते नहीं थक रहे हैं, तब भी सीवर में सफाईकर्मियों के दम तोड़ने की खबरें लगातार आती रहें तो इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा। ‘न्यू इंडिया’ में सफाईकर्मियों के जीवन के साथ खिलवाड़ बदस्तूर जारी है। इसी कड़ी में आईएमटी स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में सेफ्टी टैंक की सफाई के लिए उसमें उतरे दो युवकों की मौत हो गई। वे पास के गाँव अटायल के रहनेवाले थे।

सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुँची और दोनों के शवों को अन्य मजदूरों की सहायता से बाहर निकाला। मामले का पता चलने पर परिजन भी मौके पर पहुँच गए और उन्होंने जमकर हंगामा किया। माना जा रहा है, कि सेफ्टी टैंक में जहरीली गैस होने के कारण दोनों की मौत हुई है। पुलिस ने परिजनों व अन्य मजदूरों के बयान दर्ज कर शवों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया।

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार शनिवार दोपहर को गाँव अटायल निवासी देवेंद्र व रूपक आईएमटी स्थित वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में सफाई करने के लिए उतरे थे। काफी देर तक वे दोनों सेफ्टी टैंक से बाहर नहीं आए तो अन्य मजदूरों ने उन्हें काफी आवाज लगाई, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके बाद कर्मचारियों ने इसकी सूचना फायर बिग्रेड व पुलिस को दी।

सूचना मिलते ही दमकल विभाग की गाड़ियां मौके पर पहुँचीं और मजदूरों व दमकल कर्मियों ने शवों को सेफ्टी टैंक से बाहर निकाला। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। परिजनों ने आरोप लगाया, कि बिना सुरक्षा उपकरणों के ही दोनों को सेफ्टी टैंक में उतारा गया था। परिजनों ने जमकर हंगामा भी किया। पुलिस मामले की जाँच कर रही है। पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही अगली कार्रवाई की जाएगी।

विकसित देशों में सेफ्टी टैंक की सफाई मशीनों द्वारा की जाती है, लेकिन ‘न्यू इंडिया’ में लोग अपनी जान जोखिम में डालकर सीवर की सफाई करते हैं और सफाई के दौरान सफाईकर्मियों की मौत हो जाती है। यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। खास बात यह है कि भारत में हाथ से मैला ढोने पर प्रतिबंध है, लेकिन यह प्रथा आज भी बदस्तूर जारी है। अब तक सीवर सफाई के दौरान कई सफाईकर्मियों की मौत हो चुकी है। संसद में पूछे एक सवाल के जवाब में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने माना है कि सेप्टिक टैंक और सीवर साफ करने के दौरान पिछले तीन वर्ष में 188 लोगों ने अपनी जान गंवाई है।

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