27 सितंबर। तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ चले किसान आंदोलन के दौरान कई ट्विटर एकाउंट्स को पूरी तरह से ब्लॉक करने के लिए कहा गया था। जोकि संविधान के अनुच्छेद 19A के तहत भारतीय नागरिकों को मिलनेवाली अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन है। सोमवार को यह बात ट्विटर ने कर्नाटक हाईकोर्ट में कही। ट्विटर ने जस्टिस कृष्णा एस. दीक्षित की अध्यक्षता वाली पीठ को यह भी बताया, कि इस संबंध में कानून राजनीतिक आलोचना की पृष्ठभूमि के खिलाफ केवल एक व्यक्तिगत ट्वीट को अवरुद्ध करने की अनुमति देता है, न कि पूरे एकाउंट को, जब तक कि बार-बार अपराध न हो।
विदित हो, कि कर्नाटक उच्च न्यायालय फरवरी 2021 और जून 2022 के बीच केंद्र सरकार द्वारा ट्विटर को जारी किए गए निर्देशों के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। ट्विटर की तरफ से अदालत में दलील देने पेश हुए वरिष्ठ वकील अरविंद एस. दातार ने कहा, कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 में खातों को ब्लॉक करने की गुंजाइश नहीं है। मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित की अध्यक्षता वाली पीठ को ट्विटर ने बताया, कि बार-बार ट्विटर गाइडलाइन का उल्लंघन न होने पर अकाउंट्स को ब्लॉक नहीं किया जा सकता। कुछ मामलों में ट्वीट डिलीट हो सकते हैं। जबकि केंद्र सरकार का कहना है, कि राष्ट्र और जनहित में अवरोधक आदेश जारी किए गए थे। लिंचिंग और भीड़ की हिंसा को रोकने के लिए कार्रवाई की गई थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने माना है, कि कानून की सीमाओं के भीतर आलोचना की जा सकती है। केंद्र सरकार का आदेश सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है। इस पर जस्टिस दीक्षित ने जानना चाहा, कि अमेरिकी कानून जैसे अन्य न्यायालयों में ऐसे मुद्दों से कैसे निपटा जाता है। इसका जवाब देने के लिए ट्विटर के अधिवक्ता ने अदालत से समय माँगा है। इसके बाद अदालत ने 17 अक्टूबर के लिए सुनवाई स्थगित कर दी है।
Discover more from समता मार्ग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
















