15 अक्टूबर। पिछले वर्ष 2 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक हसदेव बचाओ पदयात्रा निकालकर 14 अक्तूबर 2021 को हसदेव के सैकड़ों आदिवासी रायपुर पहुंचकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिले थे। एक वर्ष बाद पुनः हसदेव की वन संपदा को बचाने और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने का वादा याद दिलाते हुए ग्राम हरिहरपुर में विशाल सम्मेलन का आयोजन किया गया।
सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण कार्यकर्ता 11वर्षीय लिसिप्रिया कंजूगम भी शामिल हुईं। उन्होंने कहा कि आज जंगलों का विनाश करके पूरी धरती को खत्म किया जा रहा है। हसदेव की लड़ाई सिर्फ आपकी नहीं बल्कि हम सब की है और वो पूरी तरह से इसमें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वो हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर हसदेव को बचाने की बात उठाएंगी।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने कहा कि हसदेव अरण्य के कोल ब्लॉक के आवंटन को निरस्त करने के लिए विधानसभा के सर्वसम्मति से पारित हुए प्रस्ताव को छत्तीसगढ़ सरकार ने भेजा था लेकिन केंद्रीय कोयला मंत्री ने कोल ब्लॉक का आवंटन निरस्त करने से मना कर दिया।
दरअसल आदिवासियों के विस्थापन और जंगल के विनाश की कीमत पर अदानी के मुनाफे के लिए दोनों दल सहमत हैं। और यदि ऐसा नहीं है तो हसदेव में पेड़ कटाई का विरोध करने वाली छत्तीसगढ़ भाजपा दिल्ली जाकर कोल ब्लॉक निरस्त करने की मांग क्यों नहीं करती? छत्तीसगढ़ सरकार भी अपने हिस्से की कार्यवाही करते हुए वन स्वीकृति और कंसेंट टू आपरेट की अनुमति निरस्त क्यों नही करती?
उन्होंने कहा कि हसदेव की लड़ाई अब सिर्फ धरना स्थल पर नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के गांवों और शहरों तक लेकर जाएंगे।
एक प्रतिनिधिमंडल भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होकर राहुल गांधी से मुलाकात कर उनका वादा याद दिलाएगा। राहुल गांधी स्पष्ट करें कि वो छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के साथ हैं या अदानी के साथ स्पष्ट करें।
हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के उमेश्वर सिंह आर्मो ने कहा कि राज्यपाल ने पांचवीं अनुसूची के क्षेत्र की प्रशासक होने के दायित्व को निभाते हुए कहा था कि हसदेव के आदिवासियों के साथ अन्याय होने नहीं दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने भी फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव की निष्पक्ष जांच का वादा किया था लेकिन दुखद रूप से कहना पड़ रहा है कि दोनों ने हमारे साथ न्याय नहीं किया।
जयसिंह खुसरो ने कहा कि हमारे आंदोलन को कुचलने की लगातार कोशिश हो रही है। आंदोलन का नेतृत्व करनेवाले साथियों पर फर्जी मामले थोपे जा रहे हैं लेकिन हम डरनेवाले नहीं हैं। आंदोलन और तेज व व्यापक होगा।
घाटबर्रा सरपंच जयनंदन पोर्ते और पूर्व जनपद सदस्य बालसाय कोर्राम ने बताया कि 27 सितंबर को फोर्स लगाकर जबरन पेड़ काटे गए। सुबह लोगों को गांव के बाहर निस्तार, खेतों तक जाने नहीं दिया। ऐसी स्थिति बनाई गई जैसे हम आजाद नहीं गुलाम हैं। जयनंदन ने कहा कि घाटबर्रा गांव की ग्रामसभा ने कभी भी खनन की सहमति नहीं दी। तानाशाही तरीके से जबरन हमारे जंगल की कटाई की गई है। हम पूरे सरगुजा संभाग को एकजुट कर आंदोलन को व्यापक करेंगे।
सभा में बिलासपुर हसदेव बचाओ आंदोलन के चंद्रप्रताप वाजपेयी, श्रेयांश बुधिया, साकेत तिवारी, सर्व आदिवासी समाज के चंद्रभान सिंह नेटी, छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के सोनू राठौर सहित क्षेत्र के बड़ी संख्या में सरपंच शामिल हुए।
– उमेश्वर सिंह आर्मो
संयोजक, हसदेव बचाओ संघर्ष समिति