केरल के कोझिकोड जिले की चिलान्नूर पंचायत ने पूर्ण हिंदी साक्षरता हासिल की

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गैरहिंदी भाषी राज्यों में पूर्ण हिंदी साक्षरता वाली पहली पंचायत

— डॉ सुनीलम —

माजवादी नारा लगाते थे- “डॉक्टर लोहिया की अभिलाषा, चले देश में देशी भाषा”। समाजवादी चिंतक डॉ राममनोहर लोहिया के ‘अंग्रेजी हटाओ’ आंदोलन को तो ख्याति अर्जित हुई लेकिन लोक भाषाओं की प्रतिष्ठा को लेकर डॉ लोहिया का दिया हुआ विचार आवश्यकता अनुसार प्रतिष्ठा पा सका, जिसकी सर्वाधिक जरूरत थी। हालांकि देश के विभिन्न राज्यों में लोक भाषाओं का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है लेकिन उच्च शिक्षा से लेकर अदालतों में तथा तमाम प्रशासनिक कार्य आज भी अंग्रेजी में चल रहे हैं।

भाषा नागरिकों के बीच संवाद का माध्यम है। इसी दृष्टि से तमाम गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी का प्रचार-प्रसार जारी है। इसी दिशा में हाल ही में केरल के कोझिकोड जिले की चेलान्नूर ग्राम पंचायत ने प्रेरणादायी प्रयोग किया है। जो देश की सभी पंचायतों के लिए अनुकरणीय है।

2021 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर केरल के कोझिकोड जिले की चेलान्नूर ग्राम पंचायत के अध्यक्ष पीपी नौशीर ने पूरी पंचायत को हिंदी बोलना, लिखना और पढ़ना सिखाने का अभियान शुरू किया। आसपास के स्कूलों के हिंदी पढ़ाने वाले 42 शिक्षकों ने हर वार्ड में दो-दो शिक्षकों की जिम्मेदारी तय कर सप्ताह में 1 दिन, 1 घंटे का प्रशिक्षण शिविर प्रारंभ किया। इसके पहले गांव में सर्वे कर 20 से 70 वर्षीय उन 700 ग्रामीणों की पहचान की गई थी, जो हिंदी नहीं जानते थे। हिंदी सीखने की जरूरत को लेकर ग्रामीणों को यह बताया गया कि हिंदी भाषी राज्यों के जो श्रमिक गांव में काम करने के लिए आते हैं, उनसे संवाद करने के लिए हिंदी आवश्यक है।

हिंदी राष्ट्रभाषा है इसलिए हिंदी सीखना आवश्यक है यह कह कर हिंदी ग्रामीणों पर नहीं थोपी गई। हिंदी सीखना कितना उपयोगी है यह समझकर सभी ने हिंदी सीखी।

हिंदी सिखाने वाले पूर्व सैनिकों और सेवानिवृत्त शिक्षकों को पहले ट्रेनिंग दी गई। पूरे अभियान को केरल में राज्य स्तरीय साक्षरता मिशन तथा डिस्ट्रिक्ट इंस्टीट्यूशन ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (डाइट) के साथ-साथ केरल हिंदी प्रचार सभा का भी अभियान में सहयोग और समर्थन प्राप्त हुआ। योजनाबद्ध एवं संकल्पबद्ध तरीके से की गई मेहनत का परिणाम निकला।

कार्यक्रम संयोजक शशि कुमार ने बताया कि चेलन्नूर केरल की पहली ऐसी पंचायत बन गई है जहां गैर-हिंदी भाषी नागरिकों ने 100 फीसद हिंदी साक्षरता प्राप्त कर ली है।

यह केरल के अन्य क्षेत्रों के लिए ही नहीं, सभी गैर-हिंदी राज्यों के लिए अनुकरणीय पहल है। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि इस प्रयोग से प्रेरणा लेकर देश के अन्य गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी का प्रचार प्रसार और बढ़ेगा।

हिंदीभाषी पंचायतों में भी कोई एक गैर-हिंदी भाषा सीखने की पहल की जानी चाहिए ताकि यह साफ हो सके कि मकसद हिंदी थोपने का नहीं है।

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