ट्रेड यूनियनों ने विभिन्न माँगों को लेकर श्रममंत्री को लिखा पत्र

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30 अक्टूबर। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने नई दिल्ली में आयोजित अपनी बैठक में सर्वसम्मति से लिये गए निर्णय के मुताबिक भारत के मेहनतकश लोगों और उनके संयुक्त आंदोलन के निम्नलिखित गंभीर मुद्दों को लेकर केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव को एक पत्र लिखा है, जिसमें हस्तक्षेप और तत्काल कार्रवाई का अनुरोध किया गया है। ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच में इंटक, एआईटीयूसी, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एक्टू, एलपीएफ, यूटीयूसी आदि शामिल हैं।

प्रमुख माँगें

1) भारतीय श्रम सम्मेलन(आईएलसी) का 46वाँ सत्र जुलाई 2015 को आयोजित किया गया था। तब से पिछले सात वर्षों के दौरान आईएलसी आयोजित नहीं किया गया है। हालांकि साल में कम से कम एक बार सरकार इसे आयोजित करने के लिए बाध्य है। हम आपसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं, कि श्रम सम्मेलन जल्द से जल्द बुलाया जाए, और सम्मेलन के एजेंडे को तय करने के लिए सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और नियोक्ता संगठनों के प्रतिनिधियों वाली स्थायी श्रम समिति की बैठक भी तुरंत बुलाई जानी चाहिए।

2) समान कार्य करने वाले ठेका श्रमिकों के लिए समान वेतन और आँगनवाड़ी, मध्याह्न भोजन, आशा आदि के स्कीम वर्कर्स को श्रमिकों के रूप में वैधानिक न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा के लाभ की सिफारिश को 46वें सत्र के भारतीय श्रम सम्मेलन में दोहराया गया था। लेकिन सरकार द्वारा इन सिफारिशों को लागू करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है। आईएलसी की उन सर्वसम्मत सिफारिशों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

3) 29 श्रम कानूनों को निरस्त करके 4 श्रम संहिताओं को लागू किया गया है, जिससे उन 29 श्रम कानूनों में श्रमिकों के लिए जो भी अधिकार और सुरक्षात्मक प्रावधान थे, उनमें भारी कटौती की गई है। ये श्रम संहिताएं कामगारों पर अधिक अपमानजनक स्थितियाँ थोपती हैं, और लगभग खुले तौर पर सरकारों और अन्य नियोक्ताओं को श्रम अधिकारों और लाभों को मनमाने ढंग से और कम करने के लिए सशक्त बनाती हैं। कुछ राज्य सरकारों द्वारा श्रम कानूनों के निलंबन से भी कोई आर्थिक लाभ नहीं हुआ है। सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने लगभग एक स्वर में 4 श्रम संहिता का लगातार विरोध किया है, और संयुक्त रूप से और व्यक्तिगत रूप से ज्ञापन प्रस्तुत किया है, जिसमें सरकार द्वारा परिचालित मसौदे में, विभिन्न प्रावधानों पर जो कि मजदूर हितों के खिलाफ है, अपनी तर्कपूर्ण आपत्तियों का विवरण दिया गया है। हम आपसे सामूहिक रूप से आग्रह करते हैं कि श्रम संहिताओं को अधिसूचित और लागू न करें। हम माँग करते हैं, कि इन्हें खत्म किया जाए। पूरे मुद्दे पर फिर से विचार किया जाए।

4) श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले ट्रेड यूनियनों के साथ फिर से बातचीत की जाए।

5) रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा लोकसभा के पटल पर दिए गए आश्वासन के अनुसार आवश्यक रक्षा सेवा अधिनियम-2021 को वापस लिया जाए।

6) लगभग हर केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ नियमित अंतराल पर संयुक्त बैठक आयोजित करने की माँग की है, जो कि नहीं हो रही है। अतः हम आपसे आग्रह करते हैं, कि श्रमिकों के सामने आने वाले मुद्दों/समस्याओं से निपटने के लिए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ नियमित रूप से बैठकों की प्रथा शुरू करें।

7) ईपीएस-95 के तहत न्यूनतम पेंशन में वृद्धि लंबे समय से अतिदेय है, पिछली बढ़ोत्तरी 1 सितंबर-2014 को हुई थी, वह भी मात्र काल्पनिक रूप से। ईपीएफओ के त्रिपक्षीय सीबीटी में इस मुद्दे पर कई बार चर्चा हो चुकी है, लेकिन सरकार द्वारा इस संबंध में कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। हम आपसे अनुरोध करते हैं, कि कृपया ट्रेड यूनियनों के परामर्श से ईपीएफ-95 के तहत सभी पेंशनभोगियों को स्वीकार्य न्यूनतम पेंशन बढ़ाने के मामले में कार्यवाही शुरू करें।

8) सरकार को असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के विशाल वर्ग को सार्वभौमिक पेंशन सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से वित्तपोषित योजना भी लागू करनी चाहिए, क्योंकि बहुप्रचारित अंशदायी नई पेंशन योजना पूरी तरह से विफल साबित हुई है। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए भी पेंशन अधिकार सुनिश्चित किया जाए।

9) केंद्र और राज्य सरकार दोनों के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए। हम माँग करते हैं कि केंद्र और राज्य दोनों में सरकारी कर्मचारियों पर थोपी गई नई पेंशन योजना को खत्म किया जाए और पुरानी पेंशन योजना को जल्द से जल्द बहाल किया जाए।

10) सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सरकारी विभागों के निजीकरण के लिए निगमीकरण के माध्यम से किए जा रहे उपाय हमारी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के हित में बिल्कुल भी नहीं है। ट्रेड यूनियनों ने इन उपायों का विरोध और आंदोलन किया है। हम नवीनतम राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन योजना का भी पुरजोर विरोध करते हैं, जिसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था के संपूर्ण बुनियादी क्षेत्रों को निजी क्षेत्र को को सौंपना है, जो बिना किसी निवेश के उनसे राजस्व अर्जित करने के लिए लगभग स्वतंत्र हैं। हम आपके माध्यम से सरकार से इस तरह के विनाशकारी कृत्यों से बचने का आग्रह करते हैं।

11) कई अन्य ज्वलंत मुद्दों पर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच 12 सूत्री माँगों के चार्टर पर लंबे समय से संघर्ष करता रहा है, जिसके बारे में आप जानते हैं। हम आपसे उन माँगों पर जल्द से जल्द विचार करने के लिए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ बातचीत शुरू करने का आग्रह करते हैं।

लगभग सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने आपसे आमने-सामने मुलाकात करते हुए उपरोक्त अधिकांश मुद्दों को पहले ही प्रस्तुत कर दिया है। हम आपसे आग्रह करते हैं कि कृपया हस्तक्षेप करें और निष्पक्षता से एवं श्रमिकों के हित में ट्रेड यूनियनों के परामर्श से लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को हल करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

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