कुमार मंगलम की दस कविताएं

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पेंटिंग : कौशलेश पांडेय

1. मां का देस

वे बहुत विकल्पहीनता की स्थिति में आए
उनके आने से पहले
देश में
बहुत हल्ला मचा

उन्होंने देश बचाने का वादा किया
वादे के लिए उन्होंने
जिसका सौगन्ध उठाया
उसे देश माँ मानता है

उन्होंने देश को
बर्बरतापूर्वक जला दिया
और उसे लोग भेड़-बकरियों की तरह देखते रहे
हालाँकि जंगल में जब आग लगती है तो
भेड़-बकरियॉं भी जल कर राख होती हैं
आग के बारे में यह नियम सर्वमान्य है
जिसे भेड़-बकरियॉं नहीं मानती थीं

हम जलते हुए देश को देखते रहे चुपचाप

निरीहता की बात आते ही
भेड़-बकरियाँ नहीं
चुप्पा मनुष्य लिखा जाने लगा
प्रतिरोध! भाषा में लिखा गया छलावा भर है।

माँ का भी एक देस था
आँचल जितना कोमल
माँ एक भरोसे जितनी सुरक्षित थी

किन्तु माँ का देस
पिता के देश के रकबे में आता था।

2. अ-भाव

एक जिंदा स्वप्न है
और एक कड़वी याद
किसकी याद सबसे पहले आएगी

एक बहुत ऊँची चोटी है
जिससे छन कर नहीं
जिसके किनारे से आती है धूप

एक गहरी झील है
जिसमें इतना पानी है
कि इत्मीनान से डूबा जा सकता है

पानी आकाश से नहीं गिरता
आकाश से पत्थर पड़ते हैं अब
और जो चट्टानों को कोमल बनाते हैं –
बह जाते हैं।

स्मृतियों में फफूंद लगी है
संबंधों में ज़हर घुला है
हर दूसरा पहले के प्रति सशंकित है
और पहला दूसरे को लेकर अनंत झूठ बोलता है

जो नहीं है
उससे सभी डरे हुए हैं
और जो घटित हो रहा है
उसे किसी दुःस्वप्न की तरह जीते जा रहे हैं

और हमारा होना
न होने के बराबर है

धुएँ की शक्ल में
कोहरा उठता है
और बदल डालता है देखे जाने के सभी व्याकरण और अनुभवों को

चाय की तलब लगती है
और तुम्हारे साथ की भी

तुम्हारा साथ
जैसे एक जिंदा स्वप्न
और
तुम्हारी अनुपस्थिति
जैसे जीवन की कड़वाहट।

3. कचनार

एक बहुत छोटा जीवन चाहता था –

खिलने से लेकर
चुपचाप बेआवाज
झर जाने तक

एकांत में नहीं
घने बीहड़ में
जहाँ हवा
रगड़ के साथ प्रवेश पाती

उस साल बहुत गरज के साथ तड़कती थी बिजली
उस साल सूखा पड़ा था

किसी दुर्योग में
एक उम्मीद की तरह खिला क्योराल
मुर्दार नहीं
न ही मुर्दा शांति से भरा हुआ

प्रेम की निश्छलता लिये हुए
खिला- एक सफेद कचनार

कचनार –
जिसे झर जाना था
उसे असमाप्त कामनाओं और अतृप्त ईहाओं ने ग्रसा
बर्बरता और भोग भूखी लिप्सा ने
तोड़ लिया

एक प्रेमी ने
अपनी प्रेमिका की वेणी में गूंथने के लिए
जो उठाया फूल
उसे प्रेमिका ने अपनी किताब में रख लिया

एक खिला फूल क्योराल का
और एक गिर गया बेआवाज़
जिसे तोड़ लिया गया
उसने कोई शिकायत नहीं की
बस उदास रहने लगे पेड़
और ऋतुएँ बाँझ हो गयीं।

4. तुम्हारे बाद

तुम जब मेरे माथे को चूमती हो तो
मेरा सारा भय भाग जाता है
इसलिए तुम मेरे माथे को चूमो

तुम जब मेरे आँखों को चूमती हो तो
नींद मुझसे कोसों दूर चली जाती है
इसलिए मुझे जगाने के लिए
मेरी आँखों को चूमो

मेरे होंठों को चूमते ही
मेरी चिरंतन प्यास बुझ जाती है
इसलिए मेरे होंठों को चूमो

मैं तुम्हें चूमता हूँ
कि तुम भूल जाओ
डर, नींद, प्यास और अपने आप को

चूमना अपने होने को विस्मृत करना है

मैं तुम्हारे बाद विष को चूमता हूँ।

पेंटिंग : मज़हर निज़ार

5. वसंत

शब्द
मेरे सीने पर पत्थर की तरह गिरते हैं

मैं स्वीकारता हूँ
कि मैं इसके लिए तैयार था हमेशा
मुझे इस घाव की आदत थी

इसलिए आज तुमसे
मिलते हुए
एक ही चाह
कि तुम मेरी यादों को मिटा दो
मेरे दर्द पर अपनी सहानुभूति पोत दो
मेरे दिल पर जो पत्थर पड़ा है
उसे तुम्हें ही हटाना है

लेकिन ठहरो!
इस खाली कमरे का आखिरकार करूँगा क्या?
तुम्हें तुम्हारी दया मुबारक़
मैं इस पत्थर के साथ अब भी जीना चाहता हूँ

मेरा ग्रीष्म ही मेरा वसंत है।

6. गवाह

जो खिला
समय गवाह है
वह मुरझाया भी है

जो जला
इतिहास गवाह है
वह बुझा भी है

मालिक ने
तोड़ दी मेरी रीढ़ की हड्डी

मेरी एकमात्र प्रेमिका दूर चली गयी
मेरे बच्चों को कारागार में बंद कर दिया गया

अब मैं अकेला हूँ
क्योंकि मैं तब चुप था
जब मुझे जोर से चिल्लाना था।

7. रिहाई की प्रार्थना

नहीं, यह मेरा नहीं है
नहीं है यह मेरा घाव
मैंने हमेशा इसे छिपाया है

इस राज़ को राज़ ही रहने दिया जाए

छिपा लो
नकार दो

ॲंधेरी रात एक घाव है

कारागार में कैद हूँ
मेरी रिहाई की प्रार्थना कौन कर रहा है।

8. यादों का समुद्र

मुझे महसूस हो रहा है कि मेरी नाव डूबने वाली है
धीरे-धीरे अतल में समाती चली जा रही है
मेरी अहमक नाव
सभी अच्छाइयों के विरुद्ध

और कुछ नहीं हुआ
कुछ भी नहीं

चुप्पी…
निस्तब्धता…
लहरें…

– क्या सच में कुछ भी नहीं हुआ?
– क्या सचमुच कुछ घटा है?
– क्या हमदोनों डूब रहे हैं?
– क्या केवल नाव डूबी है?

और हमदोनों अपनी यादों के साथ खड़े हैं
अब शीघ्रतापूर्वक, एक नया जीवन आरम्भ कर देना चाहिए हमदोनों को

साथ-साथ यादों के समुद्र में डूबने से अच्छा है कि साथ-साथ जियें
और हाँ… अबकी पतवार तुम सॅंभालो

हमें अभी और लंबी यात्रा करनी है, मेरे प्रेम

इस दुनिया को समुद्र में अविलम्ब डूब जाना चाहिए
एक नई दुनिया बनने ही वाली है।

9. गुप्त रहस्य

कोई जगह सुरक्षित नहीं
कोई नहीं दे सकता सुरक्षा
अपरिचय मेरे चेहरे पर गुदा हुआ है

मैं कठघरे में खड़ा हूँ
जहाँ सभी मुझे हत्यारा घोषित करने वाले हैं
सबके हाथों में पत्थर है

मुझे सदियों का हत्यारा साबित होना है
मेरा अपराध कि मैं यहाँ पैदा हुआ हूँ
इसी हवा में साँस ली है
इसी माटी से बना है मेरा शरीर

मुझे सजा मिलनी है कि रोते हुए लोगों को हँसना सिखाया है
हँसना एक गुप्त रहस्य है
जिसे मैंने साजिशन बाहर ला दिया है।

10. किराये का कमरा

मेरा कमरा धीरे-धीरे पिंजरे में बदलता जा रहा है
कमरे की खिड़की से आती सूरज की रौशनी
ऐसी लगती है
जैसे मेरी बॉंहों में सर रख सोया है सूरज

मैं रौशनी को सोचते हुए
तुम्हें सोच रहा हूँ
और मुझे तलब लगती है
सिगरेट की

मेरे पास रौशनी का एक कतरा है
और अब मैं बिल्कुल नहीं सोचना चाहता
मुझे सिगरेट की तलब लगी है

सूरज ने चुरा लिया है
तुम्हें और सिगरेट को भी

और मुझे सिगरेट पीना है।

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