8 नवम्बर। देशभर में नए लेबर कोड के विरोध में धरने प्रदर्शन किये जा रहे हैं। इसी क्रम में राजधानी दिल्ली में टीयूसीआई की ओर से 3 दिवसीय धरने का आयोजन किया गया है। इस प्रदर्शन में हिस्सा लेने जा रहे टीयूसीआई के सदस्यों और करीब 100 मजदूरों को आज पुलिस ने रोक दिया। इसके बाद मजदूरों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई के दौरान मजदूरों के साथ टीयूसीआई के सहायक सचिव प्रियम बासु ने वर्कर्स यूनिटी को बताया, कि सभी मजदूरों ने आंबेडकर भवन से पैदल आने की योजना बनाई थी। लेकिन दिल्ली पुलिस ने मजदूरों को धरना स्थल तक आने से रोक दिया। पुलिस का कहना है, कि सभी लोग एक समूह में नहीं जा सकते हैं।
प्रियम ने बताया कि उनको जंतर मंतर धरना स्थल के अंदर जाने से भी रोका गया। उनके बैग की जाँच की गई। टीयूसीआई बंगाल के सदस्य अलीख चक्रवर्ती का कहना है, कि यह मजदूरों की जीत है, उन्होंने अपने प्रदर्शन करने के अधिकारों का हनन नहीं होने दिया। उन्होंने बताया कि जब मजदूर नेताओं ने पुलिस से पूछा कि आखिर क्या कारण हैं, जिसके चलते मजदूरों को पैदल जाने से रोका जा रहा है? तो जवाब मिला कि धारा 144 लागू होने की वजह से मजदूरों को पैदल नहीं जाने दिया जा रहा है।अलीख ने कहा कि यह साफ नजर आता है, मजदूरों के प्रदर्शन के अधिकार का हनन किया जा रहा है।
विदित हो कि मोदी सरकार द्वारा लाये गये चार नए लेबर कोड के विरोध में टीयूसीआई द्वारा तीन दिवसीय धरना जंतर-मंतर पर आयोजित किया गया है, जिसमें सैकड़ों की संख्या में मजदूरों और ट्रेड यूनियन हिस्सा ले रहे हैं। टीयूसीआई सदस्यों की मुख्य माँग है, कि मोदी सरकार तत्काल मजदूर विरोधी कानून वापस ले। उनका कहना है, कि जिस तरह किसानों ने तीन किसान विरोधी कानूनों को वापस कराया है, उसी तरह मजदूरों और सभी मजदूर संगठनों को एक होकर इसका विरोध करना होगा। देशभर में नए लेबर कोड के विरोध में लगातार प्रदर्शन किये जा रहे हैं। इस कड़ी में नवंबर मोदी सरकार के लिए विरोध का महीना होने जा रहा है। आगामी 13 नवंबर को MASA ने दिल्ली में महारैली का प्रस्ताव किया है, जिसमें हजारों की संख्या में मजदूरों के शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है।
(‘वर्कर्स यूनिटी’ से साभार)