18 नवम्बर। मुंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भीमा कोरेगांव-एलगार परिषद मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किए गए आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर और दलित विद्वान प्रो. आनंद तेलतुंबडे को जमानत दे दी। अदालत ने कहा कि प्रथमदृष्टया उनके खिलाफ मामला आतंकवादी संगठनों से उनके कथित संबंधों और उन्हें दिए जाने वाले समर्थन से जुड़ा है, जिसके लिए अधिकतम सजा 10 साल कारावास है। न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायूमर्ति एम.एन.जाधव की खंडपीठ ने कहा, कि तेलतुंबडे पहले ही जेल में दो साल बिता चुके हैं। बहरहाल उच्च न्यायालय ने इस आदेश पर एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी, ताकि इस मामले की जांच कर रही एजेंसी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) उच्चतम न्यायालय का रुख कर सके। इसका अर्थ है कि तेलतुंबडे तब तक जेल से बाहर नहीं जा सकेंगे।
विदित हो, कि आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे को अप्रैल 2020 में गिरफ्तार किया गया था। इस समय वो नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं। एनआईए की ओर से पेश अधिवक्ता संदेश पाटिल ने तर्क दिया कि कार्यक्रम में दिए गए भाषणों को कथित रूप से प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) द्वारा समर्थित किया गया था। उन्होंने आरोप पत्रों के प्रासंगिक अंश भी प्रस्तुत किए और साक्ष्य संलग्न करने के लिए उस सामग्री को दिखाने के लिए जो एजेंसी ने आरोपी के खिलाफ घटना में उसकी कथित संलिप्तता दिखाने के लिए एकत्र की थी।