29 नवम्बर। संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा हरिद्वार की बैठक में ठेका प्रथा समाप्त करने के लिए हरिद्वार जनपद के औद्योगिक क्षेत्र में एक व्यापक अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। मोर्चे के संयोजक व फूड्स श्रमिक यूनियन आईटीसी के अध्यक्ष गोविन्द सिंह ने कहा, कि अधिकांश उद्योगों में स्थायी नियुक्तियां लगभग समाप्त हो रही हैं। सिडकुल हरिद्वार में बड़ी-बड़ी कम्पनियों में भी सन 2012-2013 के बाद स्थायी नौकरियां नाम मात्र की भी नहीं है। मोर्चे के संरक्षक व भेल मजदूर ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष राजकिशोर ने कहा, कि केन्द्र सरकार द्वारा स्थायी नौकरी के स्थान पर एफटीई व नीम, ट्रेनी, अप्रेंटिस तथा प्रधानमंत्री कौशल विकास परियोजना आदि में भर्ती के नाम पर उद्योगों में नौजवानों को छला जा रहा है। इस नई ठेकेदारी व्यवस्था में मजदूरों को कोई श्रम कानूनों/अधिकारों का लाभ नहीं मिल रहा है। मोर्चे के कोषाध्यक्ष व देवभूमि श्रमिक संगठन हिन्दुस्तान यूनीलीवर के उपमंत्री दिनेश कुमार ने कहा, कि हमें ठेकेदारी प्रथा के खिलाफ मजदूर वर्ग में पर्चे, पोस्टर व सोशल मीडिया पर व्यापक अभियान चलाने की आवश्यकता है।
मोर्चे के मीडिया प्रभारी व किसान मजदूर संगठन सोसाइटी के विधानसभा अध्यक्ष रानीपुर व कर्मचारी संघ सत्यम आटो के मजदूर नेता महिपाल सिंह ने कहा, कि ठेकेदारी प्रथा ने मजदूर वर्ग की जिंदगी को बदहाल व बर्बाद कर दिया है। इसके खिलाफ जागरूकता अभियान चलाकर पूंजीपतियों को ललकारना होगा। भगवानपुर से एवरेस्ट इण्डस्ट्रीज मजदूर यूनियन के विजय नारायण ने कहा, कि भगवानपुर में मालिक वर्ग द्वारा न्यूनतम मजदूरी तक मजदूरों को नहीं दी जा रही है। मोर्चा भगवानपुर में भी जुलूस-प्रदर्शन करेगा। मोर्चे के सलाहकार व इंकलाबी मजदूर केन्द्र के हरिद्वार प्रभारी पंकज कुमार ने कहा, कि श्रम विभाग के अधिकारी भी मजदूरों के साथ मालिक जैसा व्यवहार करते हैं। श्रम कानूनों का ईमानदारी से पालन करने के स्थान पर मालिकों/प्रबंधन वर्ग के साथ पक्षधरता अधिक दिखाई देती है। इसके खिलाफ मोर्चा जल्द से जल्द ज्ञापन देकर मजदूरों को न्याय दिलवाने के लिए अग्रणी भूमिका निभाने का प्रयास करेगा। बैठक में इनके अलावा सी एण्ड एस मजदूर संगठन (सीमैन्स ग्रुप) के दिलीप कुमार, विभूषण, राजा मजदूर संगठन के ब्रिजेश कुमार, बच्चा प्रसाद आदि उपस्थित रहे।
(‘मेहनतकश’ से साभार)