10 दिसंबर। हमारे देश में 2021-22 में लगभग 20 हजार विद्यालय बंद हुए तथा लगभग 1.9 लाख शिक्षकों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। यह जानकारी बुधवार को राज्यसभा में शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी ने दी है। साल 2020-21 में सरकारी, निजी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की संख्या 15,09,136 थी, जो 2021-22 में घटकर 14,89,115 हो गयी। इस अवधि में शिक्षकों की संख्या 96,96,425 से घटकर 95,07,123 हो गयी। सरकार ने स्कूल बंद करने के दो कारण बताये हैं, कम छात्रों वाले सरकारी स्कूलों का विलयन तथा महामारी में निजी स्कूलों का बंद होना। वर्ष 2018-19 और 2020-21 के बीच लगभग 50 हजार सरकारी स्कूलों का विलय किया गया है।
अब यहाँ कुछ प्रश्न उठते हैं। क्या सरकार ने कम छात्रों वाले स्कूलों को बड़े विद्यालयों के साथ मिलाने के कार्य की समीक्षा की है? इससे शिक्षकों की बहाली पर क्या असर पड़ा है? निजी स्कूलों के छात्रों का कोई आकलन हुआ या नहीं? समुचित संख्या में स्कूल और शिक्षक नहीं होंगे, तो फिर शिक्षा का क्या होगा, जब प्रारंभ में ही रास्ता बंद हो जाए?
संसाधनों और सुविधाओं की भारी कमी भी है। उत्तर, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के गाँवों में स्थिति चिंताजनक है। ‘पढ़ेगा इंडिया, तभी बढ़ेगा इंडिया’ और ‘स्कूल चलें हम’ जैसे नारे केवल नारे नहीं रह जाने चाहिए। देश की स्कूली शिक्षा पर संसद में विशेष चर्चा होनी चाहिए तथा एक संपूर्ण रिपोर्ट प्रकाशित की जानी चाहिए।