एकता में अड़ंगा लगाने वालों को मधु लिमये ने चेतावनी देते हुए कहा कि राजनारायण को बाहर रखकर कोई समझौता सफल नहीं होगा। – सातवीं किस्त

0


— प्रोफेसर राजकुमार जैन —

क तरफ मधु लिमये एकता प्रयास में लगे हुए थे वहीं दूसरी ओर चौ चरण सिंह-राजनारायण विरोधी खेमा भी पूरी तरह सक्रिय था। मोरारजी देसाई चौधरी चरणसिंह, राजनारायण जी को मंत्रिमंडल में शामिल करने में आनाकानी कर रहे थे।

जनता पार्टी में संगठनात्मक चुनाव अभी तक नहीं हुए थे। सुब्रह्मण्यम स्वामी तथा राजनारायण जी ने मांग कर दी कि चुनाव की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। अक्तूबर 1978 तक चुनाव हो जाने थे। मोरारजी देसाई भी चुनाव चाहते थे, क्योंकि वो चंद्रशेखर जी को बदलना चाहते थे। चंद्रशेखर जी को लग रहा था कि मोरारजी जनसंघ के साथ मिलकर यह षड्यंत्र रच रहे हैं।

चंद्रशेखर जी-मोरारजी देसाई में पुरानी शत्रुता थी। चंद्रशेखर जी को लग रहा था कि मोरारजी देसाई उनको हटाना चाहते हैं।

7 दिसंबर को चंद्रशेखर जी ने एक बैठक जनता पार्टी के 24 नेताओं की बुलायी। वह चाहते थे कि चौ. चरण सिंह और उनके समर्थक वापस मंत्रिमंडल में शामिल किये जाएं। इस बैठक के एजेंडे में राजनारायण जी को छोड़कर और सभी पुराने मंत्रियों को मंत्रिमण्डल में शामिल करना था। मधु लिमये ने चंद्रशेखर जी से कहा कि राजनारायण को बाहर रखकर यह प्रक्रिया सफल नहीं होगी। चंद्रशेखर जी ने कहा कि राजनारायण जी का बहुत ज़्यादा विरोध है, अगर मैं उनको मंत्रिमंडल में शामिल करने पर ज़ोर दूंगा तो यह प्रयास असफल हो जाएगा, क्योंकि मोरारजी देसाई किसी भी क़ीमत पर राजनारायण जी को लेने के लिए तैयार नहीं हैं। जनसंघ के नेता मोरारजी के साथ थे।

समझौते के लिए बढ़ते हुए दबाव के बावजूद मोरारजी देसाई की शर्त थी कि :

1. चौ. चरण सिंह को गृह मंत्रालय नहीं दिया जाएगा।
2. उप-प्रधानमंत्री पद पर एक नहीं दो व्यक्ति होंगे।
3. राजनारायण को किसी भी क़ीमत पर मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाएगा।

दबाव बढ़ने पर फिर एक फार्मूला बना कि –

1. चौ. चरण सिंह तथा बाबू जगजीवन राम दो उपप्रधानमंत्री बनें।
2. चार राज्यमंत्रियों, जिन्होंने चरणसिंह के साथ इस्तीफ़ा दिया था, उनको शामिल कर लिया जाए।
3. राजनारायण जी की जगह रवि राय को नया स्वास्थ्य मंत्री बना दिया जाए।

इसी मध्य एक नयी स्थिति पैदा हो गई। चौ. चरण सिंह के समर्थकों ने राजनारायण जी की आलोचना शुरू कर दी कि वे चौ. साहब को मंडिमंडल में जाने से क्यों रोक रहे हैं। मोरारजी उन्हें कभी वापिस सरकार में नहीं लेंगे तो फिर राजनारायण जी क्यों नहीं मान जाते।

एक बैठक राजनारायण जी के निवास स्थान पर हुई, जिसमें एस.एन. मिश्रा, कर्पूरी ठाकुर, जनेश्वर मिश्र, रवि राय, मधु लिमये शामिल हुए। इसमें प्रयास किया गया कि राजनारायण जी स्वतः मंत्रिमंडल में न जाने के लिए तैयार हो जाएं। मधु लिमये ने कहा, यह अनैतिक होगा। 1978 में राजनारायण जी ने चौ. चरण सिंह के कहने पर चंद्रशेखर के विरोध में अभियान छेड़ा था, इसलिए राजनारायण पर अकेला दबाव क्यों बनाया जाए, परंतु राजनारायण जी पर इतना दबाव बना दिया गया। उन्होंने एक पत्र चौ. चरण सिंह को लिखकर कहा कि वे मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए स्वतंत्र हैं। जहां तक मेरा सवाल है, मैं पुनः मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए इच्छुक नहीं हूं।

राजनारायण जी के इस पत्र के बाद चौ. चरण सिंह का रास्ता साफ़ हो गया। चौ. चरण सिंह, दो उप-प्रधानमंत्री के फ़ार्मूले पर भी तैयार हो गए। मोरारजी ने शर्त रखी कि वे गृहमंत्री का पद चौ. चरण सिंह को नहीं देंगे। यह बात भी मानकर चौ. साहब वित्तमंत्री के पद को स्वीकार करने के लिए तैयार हो गए।

24 जनवरी 1979 को चौ. साहब दोबारा मंत्री बन गए। राजनारायण जी की जगह रवि राय स्वास्थ्य मंत्री बना दिये गए।

(जारी)

Leave a Comment