19 दिसंबर। हिमाचल प्रदेश में अडानी समूह द्वारा एसीसी और अम्बुजा सीमेंट प्लांटों को अचानक बन्द करने से शुक्रवार को मजदूर संगठन सीटू ने डीसी ऑफिस शिमला पर प्रदर्शन किया। कई दिनों से प्लांट न खुलने के कारण ट्रक ऑपरेटर और खफा हो गए। वहीं माहौल तनावपूर्ण देखते हुए प्रशासन की ओर से प्लांट परिसर में पुलिसकर्मी तैनात किए गए। सूबे में आई नई सरकार ने फैक्ट्री बंद करने के मामले में नोटिस जारी कर जवाब माँगा है।
विदित हो कि माल भाड़े को लेकर कंपनी प्रबंधन और ट्रक ऑपरेटर्स के बीच विवाद चल रहा था। बुधवार को जब कोई हल नहीं निकला तो कंपनी ने बुधवार शाम से प्लांट बंद कर दिया। कंपनी ने सीमेंट, क्लिंकर व कच्चे माल की ढुलाई में लगे ट्रक ऑपरेटर्स से रेट कम करने को कहा था। कंपनी ने कहा कि वे मौजूदा रेट पर माल ढुलाई को तैयार नहीं हैं, क्योंकि सीमेंट की उत्पादन लागत बढ़ने से कंपनी को घाटा हो रहा है।
सीटू ने इन प्लांटों को गैरकानूनी तरीके से बन्द करने की कड़ी निंदा की है, और सरकार से इस कंपनी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की माँग की है। सीटू ने माँग की है कि इन उद्योगों को तुरन्त शुरू करवाया जाए तथा 50 हजार से ज्यादा मजदूरों, ड्राइवरों, ट्रांसपोर्टरों व अप्रत्यक्ष तौर से कार्यरत लोगों के रोजगार की सुरक्षा की जाए। नई कांग्रेस सरकार ने भी नोटिस में कहा है कि सरकार को बिना सूचित किए और हजारों लोगों के रोजगार से जुड़े मामले को ध्यान में रखकर कंपनियां कैसे अपने संस्थानों को बंद कर सकती हैं।
सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वो इस समस्या का हल करें। कंपनी का कहना है कि सरकार ने 18 अक्तूबर 2005 को मालभाड़ा 6 रुपए प्रति टन प्रति किलोमीटर निर्धारित किया था। इसलिए सोसायटियों को इस रेट पर माल ढुलाई करना चाहिए। वहीं ट्रक सोसायटियों का कहना था, कि वर्ष 2019 से माल भाड़ा बढ़ना देय है। ट्रक ड्राइवरों का कहना है कि सरकार ने जब माल भाड़े का रेट तय किया था, तब कहा गया था कि डीजल के रेट बढ़ेंगे, उसी अनुपात में माल भाड़ा भी बढ़ेगा।
(MN News से साभार)
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