1 जनवरी। साल 2023 के पहले ही दिन एक आंदोलन ने दस्तक दी है। देशभर में लाखों की तादाद में जैन समाज के लोग सड़कों पर उतर आए। दिल्ली, मुंबई, अमदाबाद और हर छोटे-बड़े शहर में ऐसी ही तस्वीर दिखी। हाथों में तख्तियां, जुबान पर नारे। ये लोग जैन मुनियों के नाम का जयकार लगा रहे हैं। जैन समाज “श्री सम्मेद शिखर तीर्थ” को पर्यटन स्थल बनाने और शत्रुंजय पर्वत पर भगवान आदिनाथ की चरण पादुकाओं को खंडित करने वालों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। जैन धर्म के तीर्थराज के रूप में इसकी मान्यता है। ये तीर्थ ‘पारसनाथ पर्वत’ के नाम से भी मशहूर है। श्री सम्मेद शिखर तीर्थ झारखंड के गिरिडीह में है। जैन समाज के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने यहाँ मोक्ष प्राप्त किया था। उनकी माँग है, कि सम्मेद शिखर को टूरिस्ट सेंटर ना बनाया जाए। अपनी माँगों को लेकर जैन समाज का एक डेलीगेशन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने पहुँचा है।
दिल्ली में जैन समाज के लोगों ने बड़ी संख्या में रैली निकाली। हजारों की भीड़ इंडिया गेट पर पहुँच गई। उनके हाथों में झंडे और पोस्टर बैनर थे। रैली को रोकने के लिए पुलिस को बैरिकेड लगाने पड़े। वहीं मुंबई में भी कुछ ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली है। वहाँ सड़क पर जनसैलाब उमड़ पड़ा। अपने तीर्थस्थल को टूरिस्ट प्लेस बनाने के खिलाफ हजारों की भीड़ रोड पर आ गई है। ऐसा लग रहा था जैसे मुंबई में रहने वाले हर जैन परिवार से कोई ना कोई सदस्य इस महारैली में शामिल होने निकल पड़ा है।
इसके अलावा पहली बार अमदाबाद की सड़कों पर एक लाख जैन समाज के लोगों ने दस किलोमीटर तक मार्च निकाला। हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था कि जैन समाज कम है कमजोर नहीं है। दरअसल जैन समाज “श्री सम्मेद शिखर तीर्थ” को पर्यटन स्थल बनाने का विरोध कर रहा है। श्री सम्मेद शिखर तीर्थ झारखंड में मौजूद है। इसके पीछे दलील ये दी जा रही है, कि पर्यटन स्थल बनाने से तीर्थ की पवित्रता को खतरा है। पर्यटन स्थल बनाने का फैसला झारखंड सरकार ने लिया है। विदित हो, कि श्री सम्मेद शिखर तीर्थ जैन समाज का सर्वोच्च तीर्थ है। जैन समाज की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है।