4 जनवरी। उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे के स्वामित्व वाले क्षेत्र में रह रहे 4,000 से अधिक परिवारों को बेदखली नोटिस दिया गया है। हजारों लोग बेघर होने के डर की वजह से सड़कों पर उतर आए हैं। हल्द्वानी में इन परिवारों को जमीन खाली करने का नोटिस दिया गया था। दावा किया जा रहा है कि ये परिवार पिछले एक दशक से अनधिकृत कॉलोनियों में रह रहे हैं। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि सभी अवैध निवासियों को 7 दिनों के अंदर परिसर खाली करना होगा। नैनीताल जिले में कुल 4,365 अतिक्रमण उस क्षेत्र से हटाया जाएगा, जो रेलवे से संबंधित जमीन पर अवैध रूप से बनाया गया था।
अदालत के आदेश के तुरंत बाद क्षेत्र के निवासी फैसले के विरोध में सड़कों पर उतर आए। इस कड़कड़ाती ठंड में बेघर हो रहे गरीब मुसलमान बच्चे और बूढ़े बेबस हो गए हैं। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे की जमीन पर अवैध रूप से बनाए गए कई छोटे ढांचों को गिराने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। कब्जाधारियों को परिसर खाली करने के लिए सात दिन का समय दिया गया है। अगर 7 दिनों के अंदर घर खाली नहीं किया गया तो उसे ढहा दिया जाएगा।
वहीं इस इलाके में रहने वाले लोगों का कहना है कि जमीन लगभग एक दशक से उनकी है। रेलवे ने अदालत को बताया कि किसी भी अतिक्रमणकर्ता के पास इस बात के पुख्ता सबूत नहीं हैं कि यह जमीन उनकी है। इसके अलावा राज्य सरकार ने भी रेलवे के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करने का फैसला किया है। विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने भी इसकी तीखी आलोचना की है। प्रसिद्ध शायर और राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने शायराना अंदाज में कहा कि “लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में, तुम तरस नहीं खाते बस्तियॉं जलाने में।” भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर रावण ने ट्वीट कर कहा, कि इसमें मानवीय पहलू भी देखना चाहिए। हजारों बच्चे अपना स्कूल अपना घर बचाने के लिए धरना दे रहे हैं। राज्य सरकार हाईकोर्ट में लड़ ही नहीं पाई। प्रधानमंत्री ने 2022 तक बेघरों को घर देने का वादा किया था, वादा तो पूरा किया नहीं ऊपर से बसे बसाए लोगों को उजाड़ने लगे हैं।