अख़्तर हुसैन बंद हैं पटना की जेल में, अब्दुल गफूर मस्त है सत्ता के खेल में – बाबा नागार्जुन.
11 जनवरी. बाबा नागार्जुन की यह कविता ही अख़्तर का परिचय है. बुधवार को ख़बर मिली कि अख़्तर नहीं रहे. राँची के एक अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया.
अख़्तर के पिताजी कॉलेजियट स्कूल में कर्मचारी थे. परिवार बीड़ी बनाने का काम करता था. उस माहौल में जन्म लेने वाले अख़्तर का रामनाथ ठाकुर ने समाजवादी आंदोलन से परिचय कराया. समझाया. उसके बाद अख़्तर उस रास्ते पर आगे बढ़ते गए. चौहत्तर के जयप्रकाश आंदोलन के उन चंद कार्यकर्ताओं में अख़्तर का नाम लिया जा सकता है जिन्होंने सबसे ज़्यादा पुलिस की लाठियां खाई थीं.
लालू जी ने एक मर्तबा अख़्तर को 15सूत्री कार्यक्रम का उपाध्यक्ष बनाया था. लेकिन पता नहीं क्यों छह महीना बाद ही उनको हरा दिया गया था. समाजवादी आंदोलन के देशभर के नेता और कार्यकर्ता अख़्तर को एक कर्मठ, जुझारू, निष्ठावान समाजवादी कार्यकर्ता के रूप में जानते और उनकी इज़्ज़त करते हैं. मैं अपने उस जुझारू साथी के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ.
– शिवानन्द तिवारी
सादर नमन अख्तर हुसैन को !