12 जनवरी। जनजातीय संगठन ‘आदिवासी सेंगेल अभियान'(एएसए) ने बुधवार को घोषणा की कि वह ”मारंग बुरु” पारसनाथ पहाड़ियों को जैनियों से मुक्त कराने के लिए 17 जनवरी को पाँच राज्यों में विरोध प्रदर्शन करेगा। संगठन ने कहा, कि झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम, ओड़िशा और बिहार के 50 जिलों में विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे और इस मुद्दे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन सौंपा जाएगा। वहीं इससे पहले बीते मंगलवार को तीन राज्यों के हजारों आदिवासी झारखंड के गिरिडीह जिले के मारंग बारू(पारसनाथ पहाड़ियों) के पास इकट्ठे हुए।
आदिवासियों ने राज्य सरकार और केंद्र से उनके पवित्र स्थल को आर्थिक और राजनीतिक रूप से शक्तिशाली जैन समुदाय के ‘चंगुल’ से मुक्त कराने का आग्रह किया। माँग पूरी नहीं होने पर लंबे आंदोलन की चेतावनी भी दी। झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओड़िशा से भी सैकड़ों आदिवासी पारंपरिक हथियारों और ढोल नगाड़ों के साथ दिन में पहले ही पहाड़ियों पर पहुँच गए।
विदित हो, कि हजारों आदिवासी 30 जनवरी को खूंटी जिले के उलिहातू में एक दिन का उपवास भी करेंगे, जो आदिवासी आइकन बिरसा मुंडा की जन्मस्थली है। प्रदर्शनकारियों ने मीडिया के हवाले से बताया कि सरकार दस्तावेजीकरण के आधार पर आवश्यक कदम उठाए। 1956 के राजपत्र में इसे ‘मारंग बारु’ के रूप में उल्लेख किया गया है। जैन समुदाय अतीत में पारसनाथ के लिए एक कानूनी लड़ाई हार गया था।