18 दिसंबर। केंद्र सरकार अल्पसंख्यक छात्रों की योजनाओं पर लगातार कैंची चला रही है। मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप को बंद करने के फैसले के बाद अब एक और स्कॉलरशिप योजना को बंद कर दिया गया है। विदित हो, कि अल्पसंख्यक मंत्रालय की तरफ से अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली ‘पढ़ो परदेश योजना’ को बंद कर दिया गया है। मंत्रालय ने विदेश में पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन पर लगने वाले ब्याज पर सब्सिडी देने वाली इस योजना को बंद कर दिया है। अब अल्पसंख्यक समुदायों के छात्र विदेश में पढ़ने के लिए शिक्षा ऋण पर ब्याज सब्सिडी का लाभ नहीं उठा सकते हैं।
द हिंदू बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, अल्पसंख्यक मंत्रालय ने ‘पढ़ो परदेश योजना’ को बंद कर दिया है, जिसके तहत छात्रों को यह लाभ मिलता था। पिछले महीने भारतीय बैंक संघ ने 2022-23 से योजना को बंद करने के बारे में बैंकों को सूचित किया। ‘पढ़ो परदेश’ ब्याज सब्सिडी योजना के तहत जो छात्र मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी सहित अल्पसंख्यक समुदायों से ताल्लुक रखते हैं और विदेश में मास्टर डिग्री, एमफिल और पीएचडी जैसी उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, वे एक निर्दिष्ट समयावधि (पाठ्यक्रम अवधि के बाद एक साल या नौकरी मिलने के बाद छह महीने, जो भी पहले हो) के लिए उनकी संपूर्ण ऋण राशि पर ब्याज सब्सिडी पाने के पात्र होते हैं।
मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने संगठन की दो दिवसीय कार्य समिति की बैठक में कहा, कि मुस्लिम समुदाय के लिए आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षिक विकास के रास्ते बंद किए जा रहे हैं। मौलाना मदनी ने कहा, हमें अपने बच्चों और बच्चियों के लिए अलग-अलग शिक्षण संस्थाएं खुद स्थापित करनी होंगी।
Discover more from समता मार्ग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.