प्रख्यात पत्रकार और जनांदोलनों के साथी नचिकेता देसाई नहीं रहे

0
  • 5 फरवरी. नचिकेता देसाई नहीं रहे। इस एक वाक्य ने कितने वर्षों की यादों के पिटारे को एक झटके में खोल दिया कि उन्हें इस समय ठीक से समेट नहीं पा रहा। आपातकाल के दौरान हम चार योगेंद्र, सुधेन्दु पटेल, अशोक कुमार मिश्र और नचिकेता देसाई की जो चौकड़ी बनी थी, उसकी एक कड़ी नचिकेता के रूप में आज टूट गयी।

आपातकाल लगते ही पूरे देश के राजनीतिक और सामाजिक माहौल में जो सन्नाटा पसर गया था, उसे अपने स्तर पर ही तोड़ने की बेचैनी ने हमें एकजुट किया था और भूमिगत बुलेटिन ‘रणभेरी’ का जन्म हुआ जो पूरे आपातकाल के दौरान गूंजती रही।

आपातकाल खत्म होने के बाद भी देश के माहौल को बेहतर बनाने की हमारी बेचैनी खत्म नहीं हुई बल्कि इस समय तो ज्यादा ही है और अलग-अलग रूपों में फूटती रही है, भले ही हम बनारस, जयपुर और अहमदाबाद में बिखरे दिखाई देते हैं।

नचिकेता कुछ वर्षों से बीमार चल रहे थे। पहले ओपन हार्ट आपरेशन हुआ था और ठीक लग रहे थे कि प्रोस्टेट कैंसर ने जकड़ लिया था। पिछले नवम्बर में मोबाइल पर लम्बी बातें हुई थीं। उसे मालूम था कि ज्यादा दिन नहीं चलेगा, परन्तु एक ही इच्छा थी कि अपने दादा महादेव देसाई की बड़ी मेहनत से जुटाए गये लेखों का संग्रह प्रकाशित हो जाय और एक जनवरी को अहमदाबाद में साबरमती आश्रम द्वारा प्रकाशित हो लोकार्पित हो गयी। पुस्तक का नाम ‘महादेव देसाई : महात्मा गांधीज़ फ्रंटलाइन रिपोर्टर’ है।
नचिकेता देसाई की स्मृतियों के साथ उन्हें अंतिम सलाम और हार्दिक श्रद्धांजलि।

– योगेन्द्र नारायण

वरिष्ठ पत्रकार, छात्र युवा संघर्ष वाहिनी और जेपी आंदोलन के सक्रिय कार्यकर्ता नचिकेता देसाई (72) के निधन की सूचना ने स्तब्ध कर दिया। कल तक वे फेसबुक पर सक्रिय थे। अपनी बीमारियों की लगातार खबर दे रहे थे। वे कई बीमारियों से जूझ रहे थे। कल की पोस्ट में उन्होंने पहली बार आर्थिक समस्या का ज़िक्र किया था।

नचिकेता देसाई एक जाने-माने बहुभाषी पत्रकार थे। वे अंग्रेजी, हिंदी, गुजराती, ओड़िया आदि भाषाओं में लिखते और पढ़ते थे। नचिकेता ने एक दर्जन से ज्यादा मीडिया संस्थानों में काम किया, लेकिन समझौतावादी नहीं होने के कारण कहीं भी लंबे समय तक टिक नहीं पाए. कुछ दिनों पहले ही उन्होंने महात्मा गांधी के निजी सचिव रहे अपने दादाजी महादेव भाई देसाई की जीवन-यात्रा पर लेखन (MAHADEV DESAI: MAHATMA GANDHI’S FRONTLINE REPORTER) पूरा किया था, जिसका लोकार्पण पिछले महीने एक जनवरी को साबरमती आश्रम (अहमदाबाद) में हुआ था.

नचिकेता जी के दादा महादेव देसाई गांधीजी के सचिव रहे। पिता नारायण देसाई प्रसिद्ध गांधीवादी थे। नाना नवकृष्ण चौधरी ओड़िशा के पहले मुख्यमंत्री रहे। नचिकेता के दादा व पिता ही नही मां उत्तरा सहित परिवार के अन्य सदस्यों ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और जेल गए थे। ननिहाल पक्ष में नाना नानी मामा मामी मौसी सबका आज़ादी के संघर्ष में सक्रिय योगदान रहा। सबने जेल की यात्रा की।

नचिकेता देसाई समाजवादी जनपरिषद के वरिष्ठ नेता अफ़लातून एवं परमाणु मुक्ति आंदोलन से जुड़ी संघमित्रा के भाई थे।

यह कैप वाली फ़ोटो उन्होंने परसों  अपनी फेसबुक वॉल पर पोस्ट की थी। विनम्र श्रद्धांजलि

– गोपाल राठी


Discover more from समता मार्ग

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment