आदिवासियों पर अत्याचार में बढ़ोतरी, जबकि एनसीएसटी की कार्रवाईद्वारा में कमी

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7 फरवरी। बीते 6 फरवरी को संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा सदस्य अजय निषाद ने आदिवासियों के खिलाफ दर्ज किए गए अत्याचारों के बारे में जानकारी माँगी। इस पर जनजातीय मामलों के मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने विगत तीन वर्षों में देश में आदिवासियों पर हुए अत्याचारों और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग(एनसीएसटी) द्वारा की गई कार्रवाई यानी निपटाए गए मामलों से जुड़े आँकड़ों को सदन के समक्ष रखा। आँकड़ों के मुताबिक, विगत तीन वर्षों में आदिवासियों पर अत्याचार में हर साल बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। वर्ष 2019 में कुल 7570 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2020 में बढ़कर 8272 और 2021 में 8802 हो गए। इस प्रकार 2019-2021 की अवधि के दौरान दर्ज मामलों की संख्या में वृद्धि देखी गई। वहीं इसमें से 2019 में केवल 741 मामले, 2020 में 347 मामले और 2021 में 548 मामलों में ही आरोप तय किए गए।

जबकि वहीं विगत तीन वर्षों में आदिवासियों के खिलाफ अत्याचारों को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा की गई कार्रवाई में हर साल काफी कमी आई है। 2019-2020 की अवधि के दौरान निपटाए गए मामलों की कुल संख्या 1558 थी, जो 2020-2021 की अवधि के दौरान घटकर 533 हो गई। इसमें और भी कमी आ सकती है, क्योंकि 2020-21 में रिपोर्ट हुए 533 मामलों की तुलना में 2021-22 के दौरान केवल 368 मामलों का ही निपटारा किया जा सका है। विदित हो कि 2021-22 की अवधि के दौरान आयोग ने जिन मामलों पर कार्रवाई की उनमें सबसे ज्यादा मामले राजस्थान में(72) रिपोर्ट किए गए थे। दूसरे और तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा मामले क्रमशः मध्य प्रदेश(46) और झारखंड(35) में दर्ज हुए।


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