अंकिता भंडारी हत्याकांड पर राष्ट्रीय तथ्यान्वेषी दल ने जारी की रिपोर्ट

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7 फरवरी. उत्तराखंड के ऋषिकेश में सितंबर 2022 में पौड़ी गढ़वाल के श्रीकोट की निवासी अंकिता भंडारी के गायब होने का मामला सामने आया. वह ऋषिकेश से लगभग 12-13 कि.मी. दूर चीला बैराज के निकट स्थित वनंतरा रिजोर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्य कर रही थी. परिजनों द्वारा गुमशुदगी रिपोर्ट करने पर पुलिस द्वारा रिपोर्ट दर्ज करने में लगातार आनाकानी की गई और घटना के 72 घंटे के बाद रिपोर्ट दर्ज हुई.

इसके बाद 18 सितंबर को अंकिता भंडारी निर्मम हत्या की जानकारी सामने आई और यह तथ्य सामने आया कि रिजार्ट में मौजूद एक वीआईपी को विशेष सेवा देने से इनकार किए जाने पर रिजार्ट के मालिक पुलकित आर्य ने अपने दो कर्मचारियों की मदद से इस निर्मम हत्या को अंजाम दिया. इस हत्या में शामिल मुख्य आरोपी पुलकित आर्य का पिता विनोद आर्य भाजपा सरकार में पूर्व दर्जाधारी मंत्री रहा है और वर्तमान में भी उसका सत्ता से सीधा संबंध रहा है. इसीलिए शुरू से ही इस मामले में प्रशासन और पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है.

घटना के पांच दिन बाद चीला नहर से प्राप्त युवती के शव को जिस तरह से जल्दबाजी में जला दिया गया और घटना स्थल पर बुलडोजर चलाया गया उससे सबूत नष्ट हो गए और कई सवाल अनसुलझे रह गए. संपूर्ण मामले को देखकर स्पष्ट है कि एक निर्दोष युवती की निर्मम हत्या को कमजोर और लचर जांच, सबूतों को नष्ट कर हत्यारों को बचाने के प्रयास हो रहे हैं.

इन तथ्यों को देखते हुए उत्तराखंड महिला मंच ने राष्ट्रीय स्तर पर महिला अधिकारों के लिए संघर्षरत संगठनों के नेतृत्वकारी साथियों के साथ संपूर्ण मामले की जांच कर वास्तविकता को सामने लाने का प्रयास किया. जांच दल में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक से विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही 30 सदस्यीय जांच दल ने अलग-अलग समूहों में बंटकर 27 से 29 अक्टूबर को मृतका के गाँव डोब श्रीकोट (पौड़ी गढ़वाल) ऋषिकेश में घटनास्थलों, अंकिता के माता-पिता व उसके गांव के लोगों से, श्रीनगर में आंदोलन कर रहे जनसंगठनों, ऋषिकेश की कोयल घाटी में चल रहे धरनास्थल पर आंदोलनकारियों से मुलाकात, घटनास्थल वनन्तरा रिसोर्ट, व आसपास के होटलों, गंगा-भोगपुर के ग्रामीणों के साथ बातचीत की. ऋषिकेश का वह स्थान जहां अंकिता को नहर में धक्का दिया गया तथा वो स्थान भी जहाँ अंकिता का शव मिला, सभी स्थानों का दौरा और वहाँ उपस्थित लोगों से बातचीत की. इस संपूर्ण अभियान में जो तथ्य पाये उन्हें लेकर जांच दल ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है.

जांच दल ने पाया कि –

1. इस निर्मम हत्याकांड की जांच के लिए बनी एसआईटी ने जांच में जानबूझकर लापरवाही बरती है. वह दबाव में काम कर रही है इसलिए इस घटना की निष्पक्ष जांच सीबीआई से करवाई जानी चाहिए. उत्तराखंड उच्च न्यायालय न्यायालय द्वारा इस संबंध में सीबीआई जांच की अपील ठुकराए जाने के बाद मामले की सीबीआई जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की तैयारी की जा रही है.

2. अंकिता की हत्या के बाद उसकी लाश 5 दिन बाद ऋषिकेश स्थित चीला नहर पर स्थित चीला बैराज में बरामद हुई. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उसके शरीर में चोट के निशान थे. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतका की डूबने से मौत होना बताया गया. लेकिन उसके साथ बलात्कार हुआ या नहीं, किसी तरह की ज्यादती हुई या नहीं इस बात की जांच नहीं की गई.

3. वनंतरा रिजॉर्ट, आयुर्वेदिक फैक्ट्री के साथ यहां अवैध रूप से चलाया जा रहा था. इस हत्याकांड में एक वीआईपी की संलग्नता की बात भी बार-बार सामने आ रही थी लेकिन पुलिस ने इस संदर्भ में किसी तरह की जांच करने की जरूरत नहीं समझी. यही नहीं स्थानीय विधायक रेनू बिष्ट के इशारे पर जिस तरह मृतका अंकिता भंडारी के कमरे वाले हिस्से में बुलडोजर चलाया गया वह स्पष्ट तौर पर साक्ष्य मिटाने की कोशिश थी लेकिन इस विषय में भी पुलिस-प्रशासन के स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

4. एक महत्त्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि सभी कार्यस्थलों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशाखा गाइडलाइन लागू किए जाने के निर्देशों के बावजूद उत्तराखंड में पर्यटन क्षेत्र में इसे लागू नहीं किया गया है. यही नहीं एक दुखद तथ्य यह भी है कि कई होटल/रिजार्ट मालिकों, कर्मचारियों को विशाखा गाइडलाइन के विषय में कोई जानकारी नहीं है.

अपनी रिपोर्ट में आए तथ्यों के मद्देनजर जांच दल के सदस्यों ने विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों – डीजीपी उत्तराखंड, एस.आई.टी. प्रमुख पी. रणुका देवी, अपर सचिव पर्यटक, उप निदेशक पर्यटक, मुख्य सचिव उत्तराखंड, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष से मुलाकात की और अपने ज्ञापन उन्हें सौंपे. मांग की गई कि अंकिता की निर्मम हत्या के मामले में बिना किसी प्रभाव के निष्पक्ष और त्वरित कार्रवाई की जाय तथा इस तरह के मामले आगे न हों इसके लिए ठोस सुरक्षात्मक उपायों के लिए संबंधित विभागों को निर्देशित किया जाय.

मुख्य सचिव से कार्यस्थल में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित किये जाने की मांग की गई साथ ही पर्यटन उद्योग में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के विशेष प्रयासों के साथ उन्हें सुरक्षित व सम्मानजनक माहौल देने व सभी सरकारी/गैरसरकारी कार्यस्थलों पर महिला सुरक्षा के लिए विशाखा गाइडलाइन का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने की मांग की गई।

मंगलवार को प्रेस क्लब दिल्ली में जांच दल ने अपनी रिपोर्ट जारी की. इस मौके पर मौजूद पत्रकारों-बुद्धिजीवियों-संगठनों के प्रतिनिधियों और आमंत्रित लोगों को संबोधित करते हुए करते हुए वक्ताओं ने समवेत स्वर में इस बात को कहा कि आज उत्तराखंड ही नहीं संपूर्ण देश में बड़ी तादाद में महिलाएं काम के लिए बाहर निकल रही हैं लेकिन यौनिक हिंसा के साथ-साथ उनको विभिन्न तरह से प्रताड़ित होना पड़ता है. अंकिता की तरह ही देशभर में हजारों-लाखों महिलाओं को रोज इस तरह के हादसों से गुजरना पड़ता है. यह सभी महिला संगठनों और महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाले नेतृत्वकारी साथियों के लिए गंभीर प्रश्न है. इसीलिए हमें लगता है कि अंकिता भंडारी के लिए न्याय का संघर्ष महिला अधिकारों के सशक्तीकरण के लिए एक जरूरी कदम है और हमें इसे मंजिल तक पहुंचाना होगा.

अंकिता भंडारी हत्या की जांच रिपोर्ट को जारी करते हुए उत्तराखंड महिला मंच की ओर से प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम को सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर, एडवा नेत्री जगमति सांगवान, एक्टिविस्ट कविता कृष्णन, पीयूसीएल से कविता श्रीवास्तव, एडवा नेत्री मैमूना मुल्ला और उत्तराखंड महिला मंच की ओर से उमा भट्ट ने अपनी बात रखते हुए उम्मीद जाहिर की कि महिला संगठनों के इस संयुक्त प्रयास से अंकिता भंडारी के हत्यारों को सजा मिलेगी और राष्ट्रीय स्तर पर महिला अधिकारों के आंदोलन को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. दिल्ली के प्रेस क्लब में जगमती सांगवान ने बताया कि किस तरह राजनीतिक संरक्षण में महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं पर लड़कियों का उत्पीड़न हो रहा है।

उत्तराखंड महिला मंच की ओर से कार्यक्रम का संचालन करते हुए मल्लिका विर्दी ने कहा कि अंकिता भंडारी केस में न्याय मिलना जरूरी है क्योंकि एक 18 साल की युवती के सारे जीवन की उम्मीदों पर कुठाराघात करते हुए उसे समाप्त कर दिया गया। सभी की नजर इस केस पर है। इसीलिए हम दिल्ली में आवाज उठाने आए हैं। नैनीताल से आई उत्तराखंड महिला मंच की उमा भट्ट ने पूरे कांड का ब्यौरा देते हुए कहा कि इस केस को लेकर सशक्त आंदोलन था इसलिए यह मामला दब नहीं पाया। इस मामले में पुलिस ने हर स्तर पर देरी की। एफआईआर दर्ज होने में 72 घण्टे लग गए। एसआईटी बनाई गई पर उसने भी जांच में लापरवाही की और कई महत्त्वपूर्ण साक्ष्य नष्ट हो गए। जिस वीआईपी की वजह से अंकिता की हत्या हुई, उसका नाम अभी तक जाहिर नहीं किया गया। एडवा की मैमूना मुल्ला ने कहा कि हम जब फैक्ट फाइंडिंग के लिए उत्तराखंड पहुंचे तो पूरे मसले पर लीपापोती चल रही थी। लेकिन जब महिला संगठनों ने सवाल उठाए तो उन्हें जवाब देना पड़ा। उत्तराखंड का महिला आयोग भी मृतप्राय है। उसने भी सही जांच के लिए दबाव नहीं बनाया।

इस मसले पर पीयूसीएल की कविता श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य में जीरो नम्बर एफआईआर क्यों नहीं हो रही है। यह हैरानी की बात है कि अंकिता के पिता को एफआईआर दर्ज कराने के लिए 72 घण्टे तक दौड़ना पड़ा। साथ ही 1997 से बना विशाखा गाइड लाइन औऱ 2006 से बना कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न विरोधी कानून उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग में लागू क्यों नहीं है। कविता कृष्णन ने कहा कि सभी प्रकार के पर्यटन में महिलाओं के लिए सुरक्षा की क्या व्यवस्था है। किसी भी राज्य में आज महिलाओं की स्थिति औऱ कमजोर हो गई है। हमें महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल बनाना होगा।

एडवोकेट वृन्दा ग्रोवर ने कहा कि अंकिता भंडारी के केस में आईपीसी की धारा 370 भी लगनी चाहिए। क्योंकि पुलकित ने अंकिता को बंधक बनाया था। इस मसले में जितने भी कर्मचारियों, अधिकारियों ने कोताही बरती है उन पर 166 (A) लगनी चाहिए। साथ ही उन्होंने सुझाया कि पूरे मसले पर निगरानी रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि महिला आंदोलन को भी पिछले दस सालों का जायजा लेना चाहिए कि क्या कानून बने औऱ क्या क्या लागू हुए। एनएफआईडब्ल्यू की दीप्ति भारती ने कहा कि महिलाओं के लिए रोजगार होना चाहिए। यह जिम्मेदारी सरकार की है। कार्यक्रम में हिंदी तथा अंग्रेजी में अंकिता हत्याकांड की रिपोर्ट जारी की गई।

– उत्तराखंड महिला मंच की ओर से जारी

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