संयुक्त किसान मोर्चा ने पंजाब में किसान नेताओं पर छापेमारी की निन्दा की

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Kisan ekta morcha

4 मार्च. संयुक्त किसान मोर्चा ने पंजाब में किसान नेताओं पर सीबीआई के छापे की निंदा करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार को किसानों से किए गए सभी वादों को पूरा करने हेतु मजबूर करने के लिए पूरे देश में किसान आंदोलन के पुनरुत्थान को दबाने और कमजोर करने की मंशा से ये छापे डाले गए।

21 फरवरी को सीबीआई ने भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के प्रदेश अध्यक्ष हरिंदर सिंह लाखोवाल और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सतनाम सिंह बहरू के परिसरों पर छापेमारी की।

छापा मारने वाली पार्टी द्वारा किसान नेताओं को कोई सूचना या तलाशी वारंट पेश नहीं किया गया और छापेमारी का कोई औचित्य उपलब्ध नहीं कराया गया। तलाशी की आड़ में, सीबीआई अधिकारियों ने परिसर में तोड़फोड़ की और किसान नेताओं को लंबे समय तक बेवजह हिरासत में रखा। श्री सतनाम सिंह बेहरू के चेकबुक, बैंक पासबुक, संस्थाओं के लेटरपैड और मोबाइल फोन बिना किसी तुक या कारण के जब्त कर लिये गए।

28 फरवरी को पंजाब के किसान संगठनों ने इन छापों के विरोध में पंजाब के राज्यपाल के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा। एसकेएम पंजाब 13 मार्च को इन छापों के खिलाफ जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करेगा और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेगा।

एसकेएम का स्पष्ट मत है कि ये छापे ऐतिहासिक किसान आंदोलन के लिए किसानों के खिलाफ मोदी सरकार का बदला है, जिसने प्रधानमंत्री को तीन किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था। एसकेएम इन छापों की निंदा करता है, और डराने-धमकाने और उत्पीड़न की इन युक्तियों के खिलाफ दृढ़ प्रतिरोध के साथ बढ़ता रहेगा। 20 मार्च को दिल्ली में होने वाली किसान महापंचायत में, जहां देश भर के किसान मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों और कार्यों के विरोध में इकट्ठा होंगे, सीबीआई के छापे और उत्पीड़न का मुद्दा मुखर रूप से उठाया जाएगा।


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