23 मार्च. 21-22 मार्च को लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान व झारखंड जनाधिकार महासभा द्वारा बगईचा, रांची में 2024 की राजनैतिक चुनौती व रणनीति पर दो-दिवसीय लोकतंत्र बचाओ समागम का आयोजन किया गया जिसमें झारखंड के विभिन्न जिलों से एवं ओड़िशा, बिहार, छत्तीसगढ़ व पश्चिम बंगाल के सामाजिक कार्यकर्ताओं व जनसंगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
भाजपा-आरएसएस द्वारा लोकतंत्र, राष्ट्र, संविधान और नागरिकता की अवधारणा और संरचना को खंडित और विकृत करने पर समागम में विस्तृत चर्चा हुई. भारत की संवैधानिक अवधारणा को बदलकर हिन्दू राष्ट्र बनाने की कोशिश हो रही है. मुसलमानों, अन्य अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, लोकतांत्रिक आंदोलनकारियों तथा भाजपा विरोधी दलों पर दमन चल रहा है. सीबीआई, ईडी, आय कर विभाग भाजपाइयों की सुरक्षा और विपक्षियों को डराने की एजेन्सी में बदल दिये गये हैं. धार्मिक बहुसंख्यकवाद का सांस्कृतिक राजनीतिक उभार मुस्लिमों, ईसाइयों, दलितों, आदिवासियों और महिलाओं पर नफरत, उत्पीड़न और उपेक्षा की मार तीखा करता गया है. मेहनतकश वर्ग के जनाधिकारों पर लगातार हमला हो रहा है. शिक्षा, स्वास्थ्य और मनरेगा में कटौती कर मोदी सरकार ने मेहनतकश वर्ग, मजदूर और किसान पर सीधा हमला किया है. सामाजिक सुरक्षा को कमजोर किया जा रहा है. मंगाई और बेरोजगारी चरम पर है. वहीं दूसरी ओर, मोदी सरकार कुछ चंद कॉर्पोरेट घरानों अडानी-अम्बानी के लिए देश के संसाधनों व कंपनियों को एक-एक करके बेच रही है या इनके हाथ कर दे रही है. आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन, खनिज की लूट और तीव्र हो गयी है. हाल में अडानी के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो भ्रष्टाचार उजागर हुआ है उसे दबाने के लिए मोदी सरकार लगातार कोशिश कर रही है. यह सिर्फ भ्रष्टाचार का मामला नहीं है बल्कि मोदी-अडानी की जोड़ी द्वारा देश को लूटने की एक गहरी साजिश की ओर इशारा भी करता है. समागम के दो दिनों में इस परिस्थिति पर चर्चा कर आगे की रणनीति बनी.
समागम के उदघाटन सत्र में जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर व लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान के संयोजक डॉ आनंद कुमार, झारखंड आन्दोलनकारी व पूर्व विधायक बहादुर उरांव व आदिवासी अधिकारों पर संघर्षरत दयामनी बरला ने सभा को संबोधित किया. डॉ आनंद कुमार ने बताया कि लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान के दो प्रमुख लक्ष्य हैं. पहला तात्कालिक लक्ष्य है वर्तमान देशविरोधी, अलोकतांत्रिक भाजपा को आगामी आम चुनाव में सत्ता से बाहर करना है. अभियान का दूसरा दूरगामी उद्देश्य है भारतीय संविधान द्वारा स्थापित “आइडिया ऑफ इंडिया” को सरंक्षित कर लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी राष्ट्र को विकसित करना. उन्होंने कहा कि लोगों को मूल मुद्दों–दवाई, पढ़ाई, कमाई और महंगाई–पर संगठित करना होगा.
दयामनी बरला ने कहा कि झारखंड समेत पूरे देश में भाजपा की जनविरोधी नीतियों से आदिवासी-दलित परेशान हैं. वर्तमान में झारखंड में जन मुद्दों जैसे 1932 खतियान आधारित डोमिसाइल, भाषा आधारित पहचान आदि पर कई समूह व संगठन संघर्षरत हैं. भाजपा को हराने के लिए इन सब समूहों व संगठनों को साथ आना होगा. बहादुर उरांव ने कहा कि भाजपा ‘फूट डालो, शासन करो’ की नीति पर चल रही है–चाहे हिन्दू-मुसलमान हो, सरना-ईसाई आदिवासियों के बीच हो या कुड़मी-आदिवासियों के बीच हो.
समागम में इस चुनौती को माना गया कि दलित-पिछड़े समुदायों व आदिवासियों में भाजपा का समर्थन बढ़ रहा है. गैर-भाजपा दल भी भाजपा-आरएसएस की संविधान-विरोधी हिंदुत्व नीति का विरोध करने के बजाय उसे अपना रहे है. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने पर विस्तार से चर्चा हुई. विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्र और लोकसभा क्षेत्रों की सीटों का विस्तार से विश्लेषण किया और वहां की समस्याओं और चुनाव की रणनीति पर अपने विचार रखे. भाजपा द्वारा लोगों को जन मुद्दों से भटकाकर धार्मिक बहुसंख्यकवाद में फंसाया जा रहा है. प्रतिनिधियों ने अगले कुछ महीनों में भाजपा के असली चेहरे को उजागर करने के लिए अपने-अपने क्षेत्रों/ राज्य-वार यात्रा व जनसंपर्क कार्यक्रमों के आयोजन का निर्णय लिया.
समागम के अंत में लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान व झारखंड जनाधिकार महासभा एवं सभी प्रतिभागियों द्वारा यह आह्वान किया गया कि लोकतंत्र को बचाने के लिए 2024 में भाजपा को हराना है. गैरभाजपा दलों से आह्वान किया गया कि वे सुनिश्चित करें कि विपक्ष के वोट का बिखराव नहीं हो एवं उनकी ओर से साझा उम्मीदवार दिया जाए. यह भी आह्वान किया गया कि गैरभाजपा दल जन मुद्दों के पक्ष में एवं धार्मिक बहुसंख्यकवाद का विरोध करते हुए अपना राजनीतिक अभियान चलायें. सभी प्रतिभागियों की ओर से दलित, आदिवासी व पिछड़े समुदायों से अपील है कि वे संगठित होके भाजपा का विरोध करें एवं आंतरिक विभाजन से बचें. साथ ही, विभिन्न विचारधाराओं– गांधीवादी, समाजवादी, अम्बेडकरवादी, आदिवासी पहचान आधारित, मार्क्सवादी-लेनिनवादी आदि–के संगठनों से अपील है कि वे इस लोकतंत्र को बचाने की मुहिम में साथ आएं. हमें यकीन है कि झारखंड में सभी आदिवासी-मूलवासी-वंचित अपने जल, जंगल, जमीन, खनिज, संस्कृति, स्वशासन और जन अधिकारों के लिए एकजुट होंगे और भाजपा को 2024 में हराएंगे.
समागम में अंतस पलाश, आशुतोष, अरविन्द अंजुम, भरत भूषण चौधरी, भासान मानमी, बिन्नी आजाद, दीनानाथ पेंटे, दिनेश मुर्मू, एलिन लकड़ा, गणेश रवि, गौरव, ग्रेगरी समाद, घनश्याम, गिरजा सतीश, किशोर दास, कारू, ललन कुमार, लाल मोहन खेरवार, लुकमान, मिथिलेश डांगी, प्रियदर्शी, रमेश जेराई, रामशरण, राजेश प्रधान, रेयांस समाद, रेनू उरांव, शाहिद कमाल, सुनीता जारिका, सुशील कुमार, सरिता मुर्मू, टॉम कावला, टोनी, उमेश, विकास महतो, विनोद रंजन समेत कई वक्ताओं ने बात रखी.
समागम का संचालन अफ़ज़ल अनीस, अम्बिका यादव, ज्योति बहन, कुमार चन्द्र मार्डी, कुमुद, किरण, मंथन, प्रवीर पीटर, सिराज ने किया.