राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द किया जाना लोकतंत्र पर एक और हमला है – स्वराज इंडिया

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25 मार्च. स्वराज इंडिया ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द किए जाने की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि यह सत्तारूढ़ दल द्वारा लोकतंत्र पर किए जा रहे लगातार हमले का एक और खतरनाक प्रकरण है। मानहानि के मामले में राहुल गांधी को दो साल की सजा न केवल कठोर और अभूतपूर्व है, बल्कि कानून की दृष्टि से भी गलत है। यह सही इंगित किया गया है कि एक सामान्य वर्ग, जैसे कोई उपनाम, का संदर्भ कार्रवाई योग्य नहीं है, जब तक कि कोई व्यक्ति “स्वयं” के लिए प्रत्यक्ष संदर्भ नहीं स्थापित कर सकता है। इसके बावजूद लोकसभा अध्यक्ष ने बड़ी फुर्ती से राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी जो विपक्ष को चुप कराने की सत्ताधारी पार्टी की मंशा का स्पष्ट संकेत है।

राहुल गांधी द्वारा याराना पूँजीवाद और अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोपों का मुद्दा उठाए जाने के बाद से सत्तारूढ़ दल द्वारा उन पर लगातार हमला जारी है। पूर्ण जांच का आदेश देने के बजाय सरकार ऐसे हथकंडों का सहारा ले रही है जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए हानिकारक हैं।स्वराज इंडिया ने सरकार से भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के इन आरोपों की निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की है।

स्वराज इंडिया ने अपने बयान में आगे कहा है कि मानहानि का मामला जो 2019 के एक राजनीतिक भाषण से संबंधित है, वर्षों से निष्क्रिय पड़ा हुआ था, लेकिन याराना पूँजीवाद के खिलाफ राहुल गांधी के भाषण के बाद इसे अचानक वापस लाया गया। इस मामले में न केवल एक महीने के भीतर सुनवाई हुई और फैसला सुनाया गया, बल्कि बचाव-पक्ष को आपराधिक मानहानि के मामले में दो साल की सबसे कठोर संभव सजा भी दी गई। संयोग से, किसी भी आपराधिक मामले में दो साल या उससे अधिक की सजा ही संसद से सदस्यता रद्द होने का मानदंड भी है। गौरतलब है कि पिछले साल दिल्ली उच्च न्यायालय ने भाजपा नेता अनुराग ठाकुर और प्रवेश शर्मा के खिलाफ नफरती भाषण के मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि चुनाव प्रचार के दौरान मुस्कान के साथ की गई टिप्पणी अपराध नहीं है।

स्वराज इंडिया ने अपने बयान में इस ओर भी ध्यान दिलाया है कि हाल के महीनों में, सीबीआई और ईडी जैसी सरकारी एजेंसियों ने विपक्षी नेताओं के खिलाफ कई छापेमारी की कार्रवाई की है। यह विपक्षी राजनीतिक नेताओं को निशाना बनाने और उनकी आवाज को दबाने का स्पष्ट प्रयास है। 24 मार्च को, विपक्ष के चौदह राजनीतिक दलों ने विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सीबीआई और ईडी द्वारा जांच किए गए लगभग 95% मामले विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ हैं। हम न्यायालय से उचित कार्रवाई करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं कि इन एजेंसियों का उपयोग विपक्ष की आवाजों को दबाने और लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए नहीं किया जाए।

ऐसी कार्रवाई भारत में बढ़ते अधिनायकवाद का संकेत है और देश में लोकतंत्र की बुनियाद के लिए खतरा है, इस बारे में आगाह करते हुए स्वराज इंडिया ने कहा है कि सत्तारूढ़ दल द्वारा लोकतंत्र पर किए जा रहे लगातार हमलों के विरुद्ध वह विपक्षी नेताओं के साथ एकजुटता से खड़ा है और राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द किए जाने की निंदा करता है। स्वराज इंडिया लोकतांत्रिक मूल्यों और गणतंत्र की रक्षा के लिए रविवार को राजघाट पर “संकल्प सत्याग्रह” को समर्थन और एकजुटता देता है। हम नागरिक समाज संगठनों, जन आंदोलनों और भारत के आम नागरिकों से लोकतंत्र की रक्षा के लिए इस आंदोलन का समर्थन करने के लिए आगे आने का आह्वान करते हैं।

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