26 मार्च. भारत तिब्बत मैत्री संघ और भुवनेश्वर स्थित लोहिया अकादमी के संयुक्त तत्त्वावधान में समाजवादी नेता तथा लोकसभाध्यक्ष रहे रवि राय की स्मृति में व्याख्यानमाला का आरंभ हुआ. पहला रवि राय स्मारक व्याख्यान नयी दिल्ली में लोदी रोड स्थित इस्लामिक सांस्कृतिक केंद्र के सभागार में आयोजित किया गया. मुख्य वक्ता थे स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, जेएनयू के डीन, प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली.
आरंभ में भारत तिब्बत मैत्री संघ के अध्यक्ष प्रो आनंद कुमार ने मुख्य वक्ता और कार्यक्रम के अध्यक्ष समेत सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और भारत तिब्बत मैत्री संघ की गतिविधियों की जानकारी दी. उन्होंने यह भी बताया कि व्याख्यान का आयोजन किस संदर्भ और परिप्रेक्ष्य में किया गया है.
व्याख्यान से पहले, राष्ट्रपति के.आर. नारायणन के प्रेस सचिव रह चुके और लेखक श्री सत्यनारायण साहु ने रवि राय की शख्सियत और खासकर लोकसभा अध्यक्ष के तौर पर निभायी गयी उनकी भूमिका के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि यह सब आज इसलिए और भी शिद्दत से याद आता है क्योंकि संसद के सदनों में पीठासीन अधिकारी अपने पद की मर्यादा, गरिमा और संवैधानिक दायित्व भूल गए हैं; पक्षपातपूर्ण तथा गैरलोकतांत्रिक व्यवहार कर रहे हैं. यह पद का दुरुपयोग तो है ही, हमारे लोकतंत्र को संकट में डालने वाला है.
स्व रवि राय के बारे में साहु जी के परिचय-वक्तव्य के बाद डॉ एम.एस. सोंधी को सम्मानित किया गया. उन्हें कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रफुल्ल सामंतरा के कर-कमलों से शॉल और अभिनंदन पत्र अर्पित किया गया. इसके बाद सोंधी जी ने आभार व्यक्त करते हुए अपने उदबोधन में रवि राय को और अपने स्वर्गीय पति प्रो मनोहर सोंधी को याद किया तथा उनकी विरासत को सहेजने व आगे बढ़ाने की जरूरत बतायी.
भारत चीन संबंध में तिब्बत विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रो श्रीकांत कोंडापल्ली ने विस्तार से बताया कि चीन ने किस तरह तिब्बत में हान चीनियों को बसा बसाकर वहाँ के जनसांख्यिकीय स्वरूप को बदल दिया है ताकि तिब्बत की आजादी ही नहीं, स्वायत्तता के प्रश्न को भी हमेशा के लिए दफ्न कर दिया जाए. उन्होंने बताया कि चीनी शासकों के लिए तिब्बत भौगोलिक विस्तार, सामरिक तैयारी, ढॉंचागत परियोजनाओं और प्राकृतिक संसाधनों के लिए तो महत्त्व रखता है लेकिन तिब्बतियों के मानवाधिकारों की तनिक भी परवाह उन्हें नहीं है. वहाँ तिब्बतियों पर चप्पे चप्पे पर नजर रखी जाती है. तिब्बतियों पर क्या बीतती है इसका अंदाजा जब तब तिब्बत में होने वाले आत्मदाह की घटनाओं से लगाया जा सकता है. तिब्बती अपने को असहाय महसूस करते हैं. एक समय तिब्बतियों के मानवाधिकारों का सवाल सारी दुनिया में उठता था, लेकिन अब दुनिया ने उन्हें अकेला छोड़ दिया है. क्योंकि अब सिर्फ व्यापार मायने रखता है. अपने व्याख्यान में प्रो कोंडापल्ली ने भारत पर दबाव डालने की मंशा से सिक्किम, अरुणाचल और कश्मीर के प्रति चीन के रुख के बारे में भी विस्तार से बताया. व्याख्यान के बाद उन्होंने श्रोताओं के प्रश्नों और जिज्ञासाओं के उत्तर भी दिये.
व्याख्यान के बाद कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे लोहिया अकादमी (भुवनेश्वर) के प्रमुख व जनजातीय हितों के जाने-माने एक्टिविस्ट श्री प्रफुल्ल सामंतरा ने अपने संबोधन में रवि राय को याद किया और बताया कि लोकसभा अध्यक्ष जैसे पद पर रहने के बाद भी उन्हें फिर से आम लोगों की तरह रहने, आम लोगों के बीच जाने में कोई संकोच नहीं हुआ. लोक शक्ति अभियान गठित कर वह भूमंडलीकरण के नाम से हो रहे पूंजीवाद के हमलों का प्रतिकार करने में जुट गए.
कार्यक्रम का संचालन भारत तिब्बत मैत्री संघ के डॉ मनोज कुमार और धन्यवाद ज्ञापन डॉ अनिल ठाकुर ने किया. डॉ रणधीर गौतम और उत्सव यादव के सहयोग से कार्यक्रम का सीधा प्रसारण भी हुआ. कार्यक्रम में कई जाने माने बुद्धिजीवियों समेत अच्छी भागीदारी रही.