तकनीक की मार से लड़खड़ाया मनरेगा; मजदूरों की संख्या में आयी 16 फीसदी गिरावट

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2 अप्रैल। मोबाइल ऐप के माध्यम से हाजिरी को अनिवार्य बनाने के बाद मनरेगा के तहत काम माँगने वाले परिवारों की संख्या में पिछले वित्तवर्ष की तुलना में चालू वित्तवर्ष में लगभग 16 फीसद की गिरावट आयी है। जहाँ पिछले वित्तीय वर्ष में 7.25 करोड़ परिवारों को काम मिला, वहीं चालू वित्तवर्ष में यह संख्या घटकर 6.11 करोड़ रह गयी है। मनरेगा वेबसाइट के आँकड़ों का हवाला देते हुए बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक वित्तवर्ष 2023 में काम के दिनों की औसत संख्या एक साल में अनिवार्य 100 दिनों के काम के मुकाबले 47.13 दिन थी। यह आँकड़ा हाल के वर्षों में सबसे कम है। वहीं वित्तवर्ष 2020 में पिछला निचला स्तर 48.4 दिन था।

विदित हो, कि जनवरी 2023 में जिन मजदूरों को काम दिया गया उन सभी के लिए नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सर्विस ऐप से हाजिरी अनिवार्य कर दी गयी है। इसके कारण दूरदराज के इलाकों में नेट कनेक्शन की अनुपलब्धता और अन्य तकनीकी गड़बड़ियों की बड़े पैमाने पर शिकायतें मिली हैं, जिसकी वजह से असहाय श्रमिकों को अपनी दिहाड़ी लगाने के लिए अपना नाम दर्ज करने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। यहाँ तक कि सिस्टम की विफलता के कारण उन्हें अपनी अर्जित मजदूरी भी खोनी पड़ी। यही कारण है, कि इन महीनों में काम में गिरावट आ रही है। गौरतलब है कि जमीनी स्तर पर मजदूरों ने इस ऐप का विरोध किया था। दिल्ली के जंतर मंतर पर पिछले कई दिनों से मनरेगा मजदूरों का अनवरत धरना चल रहा है।

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