4 अप्रैल। जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) ने राजस्थान के मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में राज्य में स्वास्थ्य अधिकार कानून बनाने के लिए आभार व्यक्त किया है। इसके साथ पत्र में, इस कानून के विरोध में डाक्टरों द्वारा चलाए गए आंदोलन की निंदा की गई है। लेकिन एनएपीएम ने इस पर संतोष जताया है कि आखिरकार राज्य सरकार और डाक्टरों के संगठनों के बीच बातचीत से विवाद और विरोध दूर कर दिया गया।
मुख्यमंत्री के नाम दिए गए ज्ञापन में एनएपीएम ने स्वास्थ्य अधिकार कानून को अधिक जनहितैषी और अधिक कारगर बनाने के लिए कुछ सुझाव और माँगें भी पेश की हैं जो इस प्रकार हैं-
- इस कानून में राजस्थान के नागरिकों को आपातकालीन परिस्थितियों में, बिना किसी पूर्व भुगतान के, स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। यहाँ आपातकालीन परिस्थितियों को स्पष्टता के साथ परिभाषित करने की जरूरत है।
- आपातकालीन परिस्थितियों में आवश्यक सेवाओं को प्रदान करने के लिए स्पष्ट नियम और दिशा-निर्देश होना चाहिए, साथ ही अस्पताल की क्षमता का भी उल्लेख होना चाहिए।
- कानून के तहत 50 बेड या उससे अधिक बेड वाले निजी अस्पतालों से ही आपातकालीन सेवाएँ अपेक्षित होना चाहिए। छोटे अस्पतालों और निजी डॉक्टरों के पास उपलब्ध सीमित सेवाओं को ध्यान में रखते हुए, उनसे, प्राथमिक इलाज के बाद शीघ्र दूसरे सुयोग्य उपचार-स्थल पर भेजने की व्यवस्था करने की ही जिम्मेदारी की अपेक्षा की जाए।
- छोटे क्लीनिकों और छोटे अस्पतालों द्वारा आपातकालीन प्रसूति की स्थिति की असंभवता को ध्यान में रखा जाए।
- मस्तिष्क, फेफड़े, यकृत आदि को संभावित क्षति के कारण गंभीर आपात स्थिति में रोगी को स्थिर करने में अधिकांश क्लीनिकों और छोटे अस्पतालों की अक्षमता को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
- निजी स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने पर उनके खर्च की प्रतिपूर्ति समय से और पारदर्शिता के साथ होना चाहिए।
- स्वास्थ्य अधिकार कानून को पूरी पारदर्शिता के साथ पूर्ण रूप से लागू करने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधनों का प्रावधान किया जाना चाहिए। वर्तमान आवंटन में यह होना संभव प्रतीत नहीं होता है।
- कानून के अंतर्गत विभिन्न शिकायत निवारण तंत्रों का उल्लेख किया गया है। इन शिकायत निवारण तंत्रों में शासकीय प्रतिनिधियों, चिकित्सकों के साथ ही राजनीतिक प्रतिनिधित्व और सामाजिक संस्थाओं का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित होना चाहिए।
- वर्तमान कानून में लगभग सभी स्वास्थ्य प्राधिकरणों में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े प्रतिनिधियों को शामिल करने का प्रावधान दिखाई दे रहा है। यह कानून की मंशा के विपरीत होगा, इसलिए इन प्राधिकरणों मं सभी वर्गों जैसे हर स्तर पर जनता के चुने हुए प्रतिनिधि, सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, निजी क्षेत्र के प्रतिनिधि, सरकार के प्रतिनिधि सभी का बराबर प्रतिनिधित्व होना चाहिए।
- अधिनियम में पेशेंट राइट्स चार्टर के साथ ही मरीजों के लिए शिकायत हेल्पलाइन की आवश्यकता भी सुनिश्चित किया जाए।
- स्वास्थ्य अधिकार अधिनियम में राजस्थान के मूल निवासियों को स्वास्थ्य अधिकार प्रदान किया गया है। इसके साथ ही अन्य राज्यों से आए प्रवासी श्रमिकों, बेघर लोगों व घूमन्तू समुदाय को भी अधिनियम के तहत स्वास्थ्य अधिकार प्रदान करने का प्रावधान रखा जाए।
- अधिनियम स्वास्थ्य-देखभाल सेवाओं को सुनिश्चित करता है; इसके साथ ही शुद्ध हवा, शुद्ध जल, शुद्ध खाद्य एवं पर्यावरण जैसे स्वास्थ्य निर्धारकों को भी अधिनियम में सुनिश्चित करने का प्रावधान हो।
- इस अधिनियम को लागू करने के लिए सरकार निजी अस्पतालों के दबाव में आए बिना, जिन अस्पतालों को सरकारी रियायतें दे रखी हैं बाजार मूल्य वसूल करने के स्पष्ट संकेत देकर अनावश्यक दबाव व मरीजों की परेशानियों को दूर करे।
- स्वास्थ्य बजट में पर्याप्त वृद्धि करने के साथ-साथ सभी स्तरों पर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का सर्वांगीण सुदृढ़ीकरण किया जाना चाहिए।
इस चौदह सूत्री माँगपत्र के साथ ही एनएपीएम ने अपने ज्ञापन में कहा कि हमें पता चला है आंदोलनरत चिकित्सकों और सरकार के बीच समझौता हो गया है और सरकार ने सरकारी सहायता न लेने वाले अस्पतालों को स्वास्थ्य अधिकार कानून से बाहर करने का आश्वासन दिया है। लेकिन हमारी माँग है कि आपातकालीन परिस्थितियों में सभी अस्पतालों को ये सेवाएँ देना चाहिए इसलिए ऐसे अस्पतालों में भी आपातकालीन सेवाओं का प्रावधान कानून के अनुसार होना चाहिए।
इसके अलावा ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि निजी क्षेत्र के अस्पतालों, क्लीनिकों द्वारा दी जा रही सेवाओं की गुणवत्ता, मानक और शुल्क तय होना चाहिए, इनके संस्थानों की निगरानी का प्रावधान होना चाहिए। इसलिए प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार द्वारा 2010 में पारित किये गये क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट ऐक्ट को भी लागू करना चाहिए।
एनएपीएम ने राजस्थान सरकार से माँग की है कि जनता के हित में लाये गये स्वास्थ्य अधिकार कानून में उपर्युक्त सुझावों को शामिल करते हुए यथाशीघ्र लागू किया जाए।
एनएपीएम की तरफ से राजस्थान सरकार को ज्ञापन देने वालों में शामिल हैं-
कैलाश मीणा, अनिल गोस्वामी (राजस्थान)
बसंत (हरियाणा)
सुहास कोल्हेकर (महाराष्ट्र)
अमूल्य निधि, राजकुमार सिन्हा, राकेश चांदौरे (मप्र)
सुरेश राठौर, पूजा कुमारी (उप्र)
मुदिता विद्रोही (गुजरात)
मधुरेश कुमार (दिल्ली)
महेन्द्र यादव, आशीष रंजन (बिहार)
प्रफुल्ल सामंतरा (ओड़िशा)