8 अप्रैल। सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में किए गए संशोधनों को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कड़ी नाराजगी जताई है। गिल्ड ने नये नियमों को कठोर और सेंशरशिप के समान बताया है। इन संशोधनों के अनुसार फर्जी समाचारों को निर्धारित करने का पूरा अधिकार सरकार के पास है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का कहना है कि इन संशोधनों से देश में प्रेस की स्वतंत्रता पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ ने सरकार से माँग की है कि सूचना प्रौद्यागिकी नियमों में किये गए संशोधनों को तत्काल वापस लिया जाए और सरकार द्वारा पहले से किये गये वादे के मुताबिक मीडिया संगठनों और प्रेस संस्थाओं के साथ विचार-विमर्श करने का आग्रह भी किया।
ईजीआई ने आगे कहा कि नए नियमों के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने खुद को एक ‘फैक्ट चेक यूनिट’ गठित करने की शक्ति दे दी है, जिसके पास केंद्र सरकार के किसी भी काम के संबंध में फर्जी, गलत या भ्रामक क्या है, यह निर्धारित करने के लिए व्यापक शक्तियां होंगी। इसके पास ‘मध्यस्थों'(सोशल मीडिया मध्यस्थों, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर और अन्य सर्विस प्रोवाइडर सहित) को ऐसी कंटेंट को होस्ट न करने का निर्देश देने का अधिकार भी होगा। यह सब प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ और सेंसरशिप के समान है। ईजीआई ने कहा, कि चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार ने इस संशोधन की अधिसूचना भी जारी कर दी और वादे के अनुसार इस पर चर्चा करना भी जरूरी नहीं समझा।