26 अप्रैल। संयुक्त किसान मोर्चा और कर्नाटक के प्रमुख राज्य स्तरीय किसान संगठनों ने बुधवार को बेंगलुरु में संयुक्त किसान पंचायत का आयोजन किया, जिसमें 200 से अधिक किसान नेताओं और 20 से अधिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता श्री हन्नान मोल्लाह, श्री योगेंद्र यादव, श्रीमती कविता कुरुगंती और श्री अविक साहा ने पंचायत को संबोधित किया। पंचायत की शुरुआत शहीद किसानों को श्रद्धांजलि के साथ हुई, जिन्होंने अपने अधिकारों के लिए किसानों के विभिन्न संघर्षों में अपने प्राणों की आहुति दी है।

पंचायत में कर्नाटक के किसानों की 15 मांगों और विशेष तथा तात्कालिक मांगों वाला एक मांगपत्र जारी किया गया जिनमें प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं :
1. भाजपा सरकार द्वारा 2019-2020 में लाए गए किसान विरोधी कानूनों, जैसे भूमि सुधार (संशोधन) अधिनियम, एपीएमसी संशोधन अधिनियम और मवेशी वध रोकथाम अधिनियम को रद्द करना।
2. केंद्र सरकार द्वारा निजीकरण का कानून लाने के बाद भी किसानों को दी जाने वाली बिजली सबसिडी को जारी रखना।
3. सभी किसानों के सभी कृषि उत्पादों के लाभकारी मूल्य की कानूनी गारंटी के लिए एक नए कानून का अधिनियमन करना।
4. सरकार द्वारा स्थापित प्रभावी आपदा राहत और फसल बीमा तंत्र के माध्यम से कृषि आपदाओं के कारण होने वाले विभिन्न नुकसानों के लिए किसानों को पर्याप्त मुआवजा सुनिश्चित करना।
5. किसान और खेतिहर मजदूर को कर्ज के बोझ से निकलने और कृषि नुकसान के कारण हो रही आत्महत्याओं को रोकने के लिए, किसानों की ऋणग्रस्तता से मुक्ति अधिनियम को लागू करना। किसानों के सभी बकाया कृषि ऋण भी माफ करना।
6. भाजपा सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण, पुनर्स्थापन और पुनर्वास अधिनियम (एलएआरआर) 2013 में लाए गए संशोधनों को रद्द करना। किसानों की इच्छा के विरुद्ध किसी भी भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जाना।
एक तत्काल और विशेष मांग उठाई गई कि राज्य सरकार नंदिनी को अमूल के साथ विलय करने या अमूल को कर्नाटक में नंदिनी के साथ प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देने के किसान विरोधी उपायों को तुरंत बंद करे। नंदिनी 15 हजार से अधिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों का एक समूह है जिसमें 60 लाख से अधिक किसान परिवार शामिल हैं। सरकार को अंबानी की विशाल कॉर्पोरेट कंपनी की मदद नहीं करनी चाहिए।

मांगपत्र कर्नाटक के प्रमुख राजनीतिक दलों, जेडीएस और कांग्रेस को प्रस्तुत किया गया, जिनके नेताओं को पंचायत में आमंत्रित किया गया था और उन्होंने इस पंचायत में भाग लिया। आमंत्रित किए जाने के बावजूद भाजपा का कोई नेता शामिल नहीं हुआ। जिन राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए उन्होंने किसानों की मांगों को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल करने का वादा किया।
आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए जहां किसान विरोधी भाजपा एक प्रमुख प्रतियोगी है, पंचायत ने किसान संगठनों द्वारा निभाई जा सकने वाली भूमिका पर चर्चा की, और विस्तृत चर्चा तथा विचार-विमर्श के बाद आगामी चुनावों में किसान विरोधी, जनविरोधी साम्प्रदायिक भाजपा सरकार को हराने के लिए एक सर्वसम्मत आह्वान किया गया। सभी संगठन घर-घर संपर्क अभियान और संचार के अन्य माध्यमों से इस संदेश को जमीनी स्तर तक ले जाने के लिए सहमत हुए।
किसान पंचायत में केपीआरएस के श्री जीसी बयारेड्डी, केआरआरएस के बडागलापुरा नागेंद्र, केआरआरएस के एचआर बसवराजप्पा, जय किसान आंदोलन के दीपक लांबा, डॉ. प्रकाश कम्माराडी (अनुभवी कृषि वैज्ञानिक), कर्नाटक जनशक्ति के श्री नूर श्रीधर सहित कई किसान नेताओं ने भाग लिया।
Discover more from समता मार्ग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
















