27 अप्रैल। महाराष्ट्र के किसानों और खेतिहर मजदूरों ने अपनी माँगों को लेकर एक बार फिर पैदल मार्च शुरू कर दिया। राज्य के अलग-अलग जिले से हजारों किसानों ने तीन दिवसीय पैदल मार्च का आह्वान करते हुए अहमदनगर से लोनी के लिए मार्च शुरू कर दिया है। इस मार्च की शुरुआत से पहले एक जनसभा की गई। मार्च की शुरुआत जाने-माने कृषि पत्रकार पी. साईनाथ के भाषण के साथ हुई। इसके अलावा इस जनसभा को प्रोफेसर एन राम, जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय महासचिव मरियम धावले, सीटू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बीएल कराड़ और माकपा के राज्य सचिव व किसान सभा के उपाध्यक्ष उदय नराकर ने संबोधित किया।
साईनाथ ने देश में गंभीर कृषि संकट को लेकर अपनी बात रखी और कहा कि किसानों ने देश के बुद्धिजीवियों से पहले इस चुनौती को समझा और संघर्ष किया। अब कृषि संकट केवल किसानी तक नहीं बल्कि समाज का संकट बन गया है। साईनाथ ने आगे कहा कि किसानों ने पिछले कुछ सालों के दौरान देश के सभी वर्गों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि किसानों के संघर्ष के साथ एकजुटता दिखाते हुए वो भी तीन दिन किसानों के साथ पैदल मार्च करेंगे। उदय नराकर ने कहा कि सरकार ने काफी कोशिश की कि ये पैदल मार्च न हो सके, लेकिन हमने साफ किया कि ये हमारा अधिकार मार्च है, और हमारी विजय होगी ये तय है।
प्रमुख माँगें
1) किसानों और खेतिहर मजदूरों को उनकी वनभूमि का मालिकाना हक मिले और भूमि अधिग्रहण के लिए उचित मुआवजा दिया जाए।
2) दूध, कपास, सोयाबीन, अरहर, चना और अन्य उत्पादों का लाभकारी मूल्य मिले, दूध और डेयरी उत्पादों के आयात पर रोक लगाई जाए।
3) प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल के नुकसान के लिए पर्याप्त मुआवजा मिले।
4) किसानों, खेतिहर मजदूरों और निराश्रित लोगों के लिए बढ़ी हुई पेंशन दी जाए।
5) निर्माण श्रमिकों के लिए मेडिक्लेम और आवास सुविधाएं प्रदान की जाएं।
6) आंगनवाड़ी, आशा, मिड-डे मील और अन्य असंगठित श्रमिकों को बढ़ा हुआ पारिश्रमिक मिले और उन्हें सरकारी कर्मचारियों का दर्जा दिया जाए।
(‘न्यूज क्लिक’ से साभार)
Discover more from समता मार्ग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.