2 मई। मणिलाल गांधी एवं सुशीला गांधी के सुपुत्र (और इस प्रकार महात्मा गांधी के पौत्र) तथा सीता गांधी और इला गांधी के भाई, और तुषार गांधी एवं अर्चना प्रसाद के पिता अरुण गांधी का 89 वर्ष की आयु में 2 मई, मंगलवार को कोल्हापुर में निधन हो गया। मंगलवार को अपराह्न कोल्हापुर में उनकी अंत्येष्टि की गयी और ठीक उसी समय दक्षिण अफ्रीका के फीनिक्स आश्रम (फीनिक्स सेटलमेंट) में उनकी स्मृति में प्रार्थना सभा हुई।
अरुण गांधी का जन्म 14 अप्रैल 1934 को, महात्मा गांधी द्वारा दक्षिण अफ्रीका में स्थापित फीनिक्स सेटलमेंट में हुआ था। वह मणिलाल और सुशीला गांधी की दूसरी संतान थे। वह 1956 में जब अपने पिता के अस्थि विसर्जन के लिए भारत आए, तो दक्षिण अफ्रीका उनसे छूट गया। भारत में उनका विवाह हो गया और दक्षिण अफ्रीका का उस समय का नस्लभेदी कानून उनकी पत्नी और बच्चों को वहाँ आकर रहने की इजाजत नहीं देता था। लिहाजा वह भारत में ही रह गए और यहाँ टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार के रूप में काम किया।
बहुत बाद में, अस्सी के दशक के उत्तरार्ध में वह अमरीका में बस गये और वहाँ उन्होंने मेंफिस में तथा बाद में राकेस्टर में ‘महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट’ की स्थापना की। वह बड़े चहेते वक्ता थे और अमरीका में तथा बाकी दुनिया में भी महात्मा गांधी के अहिंसा दर्शन के प्रसार में लगे रहे। इसी मकसद से उन्होंने ‘गांधी विरासत यात्रा’ की भी शुरुआत की, जिसमें यात्रियों को महात्मा गांधी से जुड़े दक्षिण अफ्रीका और भारत के प्रमुख स्थानों पर जाने का मौका मिलता था। उन्होंने गांधीजी पर कई किताबें लिखी हैं और गांधीमार्गी मूल्यों के बारे में बच्चों को शिक्षित करने के अपने अनुभवों को भी दर्ज किया है। वह फीनिक्स सेटलमेंट के एक न्यासी भी थे। कोल्हापुर में उन्होंने अपनी पत्नी सुनंदा गांधी की स्मृति में वंचित वर्ग की लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला था। वह मेरे चाचा थे।
– उमा धूपेलिया