बृजभूषण सिंह को प्रधानमंत्री अभयदान क्यों दे रहे हैं?

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— योगेन्द्र यादव —

जो सवाल पहले किसान पूछ रहे थे वही सवाल आज पहलवान पूछ रहे हैं। आखिर प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं? आपराधिक छवि वाले और संगीन आरोप झेल रहे नेता के खिलाफ कदम क्यों नहीं उठाते? आखिर प्रधानमंत्री की क्या मजबूरी है?

महिला पहलवानों द्वारा लगाये गए आरोप सामान्य नहीं हैं। आरोप ऐसे हैं कि किसी भी संवेदनशील इंसान का दिल दहल उठे, किसी भी देशभक्त का सिर झुक जाए। आरोप यह है कि महिला पहलवानों का यौन शोषण आज नहीं, कोई 10 साल से चल रहा है।

आरोप है कि यौन शोषण में केवल एक व्यक्ति नहीं, कुश्ती फेडरेशन के अनेक कोच भी शामिल हैं। आरोप है कि इनके शिकारों में नाबालिग बच्चियाँ भी शामिल रही हैं। यह आरोप लगाने वाली कोई एक महिला नहीं बल्कि अनेक महिला खिलाड़ी हैं। आरोप की गंभीरता स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार की है। आरोप यह भी है कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ शिकायत दो साल पहले सीधे प्रधानमंत्री को स्वयं साक्षी मलिक ने की थी।

बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यह पहला आरोप नहीं है। 6 बार लोकसभा के सदस्य रह चुके बृजभूषण के चुनावी हलफनामे उनके आपराधिक रिकॉर्ड की कहानी बयान करते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में उनके हलफनामे में धारा 307 (हत्या का प्रयास) सहित 4 आपराधिक मामलों का जिक्र था। एक और हत्या के मुकदमे में वह साक्ष्य के अभाव में बरी हो चुके हैं।

सांसद महोदय खुद अपने अपराध को स्वीकार करते हैं। पिछले साल लल्लनटॉप को दिये वीडियो इंटरव्यू में उन्होंने स्वयं कहा था, मेरे जीवन में मेरे हाथ से एक हत्या हुई है, लोग जो कुछ भी कहें, मैंने एक हत्या की है। लेकिन उस हत्या के मामले में इन पर मुकदमा भी चला हो, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है।

वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में जब भाजपा ने गोंडा से उनकी जगह घनश्याम शुक्ला को उम्मीदवार बनाया तो मतदान वाले दिन ही एक दुर्घटना में शुक्ला की मौत हो गयी। इस मौत के पीछे बृजभूषण का हाथ होने का संदेह किसी और ने नहीं, स्वयं अटल बिहारी वाजपेयी ने व्यक्त किया, और इस बात का खुलासा किसी और ने नहीं, स्वयं बृजभूषण ने द स्क्रोल को दिये इंटरव्यू में किया।

सवाल यह है कि ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री का संरक्षण क्यों प्राप्त है? सवाल की गहराई में जाएंगे तो आप पाएंगे कि बृजभूषण अपवाद नहीं हैं। एक लंबी फेहरिस्त बन सकती है भाजपा के उन नेताओं की, जिनके विरुद्ध महिलाओं के यौन शोषण के गंभीर आरोप लगे, लेकिन भाजपा या प्रधानमंत्री द्वारा कोई गंभीर कार्रवाई नहीं हुई।

इस सूची में कुलदीप सेंगर, चिन्मयानंद स्वामी, साक्षी महाराज, एमजे अकबर, उमेश अग्रवाल, बर्नार्ड मराक और संदीप सिंह का नाम होगा। उधर तथाकथित बाबा राम रहीम और आसाराम से भाजपा की नजदीकियाँ किसी से छुपी नहीं हैं।

याद करें तो अपने प्रधानमंत्रित्व-काल में हाथरस, कठुआ या बिलकिस बानो जैसी महिलाओं के विरुद्ध बलात्कार या शोषण की प्रमुख घटनाओं पर प्रधानमंत्री ने अजीब चुप्पी बनाए रखी है।

यह सवाल नया नहीं है। यह सवाल किसानों ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बारे में पूछा था। दिन-दहाड़े किसानों की हत्या के आरोपी के पिता और उस हत्याकांड की साजिश के मुख्य आरोपी अजय मिश्र टेनी आज भी मंत्रिमंडल में क्यों बने हुए हैं?

आज वही सवाल बृजभूषण शरण सिंह के बारे में उठ रहा है। बेटी बचाओ का नारा देनेवाले प्रधानमंत्री नाबालिग लड़की द्वारा यौन शोषण का आरोप लगाये जाने के बावजूद बृजभूषण को अभयदान क्यों दे रहे हैं?

इन खिलाड़ियों को भारत का गौरव बताने वाले मोदी जी बृजभूषण शरण सिंह को कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से हटाने जैसी सामान्य कार्रवाई से क्यों झिझक रहे हैं? इस साल जनवरी में यह कांड सार्वजनिक होने के बावजूद और खिलाड़ियों को समुचित कार्रवाई का आश्वासन मिलने के बाद भी कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो सकी?

इस प्रश्न के दो ही उत्तर हो सकते हैं। या तो राजनीतिक मजबूरी का मामला है, या फिर नैतिक कमजोरी का। यौन शोषण के यह सब आरोपी अपने अपने इलाके के दबंग नेता हैं और कुछ जातियों के वोटों के ठेकेदार हैं। इन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का मतलब होगा भाजपा के वोट बैंक में घाटे का जोखिम उठाना।

अगर यही कारण है तो फिर कुछ और सवाल खड़े होते हैं। क्या देश का सबसे लोकप्रिय और ताकतवर नेता कुछ स्थानीय क्षत्रपों के सामने इतना निरीह है? आखिर बृजभूषण किस बूते पर यह धमकी देते हैं कि अगर मैंने मुँह खोला तो सुनामी आ जाएगी? जो नरेन्द्र मोदी भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं को किनारे लगा चुके हैं वह इन छुटभैया नेताओं के सामने मजबूर क्यों हैं? और अगर इतने ही मजबूर हैं तो फिर किस मुँह से राष्ट्र-गौरव और बेटी बचाओ की बात करते हैं?

हम नहीं जानते कि प्रधानमंत्री के मन में क्या है और आशा यही करनी चाहिए कि यह सच नहीं है। लेकिन क्या साक्षी मलिक के आँसू, बृजभूषण की ढिठाई और प्रधानमंत्री की चुप्पी को देखनेवाली करोड़ों भारतीय महिलाओं को ऐसा महसूस नहीं होगा? जब तक प्रधानमंत्री अपनी चुप्पी नहीं तोड़ेंगे तब तक ये सवाल मुँह बाए खड़े रहेंगे।

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