17 मई। उत्तराखंड सरकार द्वारा एक धर्म विशेष की धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त किए जाने के मामले को लेकर विभिन्न संगठनों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कार्बेट टाइगर रिजर्व के पार्क वार्डन अमित ग्वासीकोटी, तराई पश्चिमी वन प्रभाग के डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य तथा रामनगर वन प्रभाग की एसडीओ पूनम सैंथल से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने अतिक्रमण हटाए जाने के नाम पर एक धर्म विशेष की धार्मिक संरचनाओं को निशाना बनाए जाने की कार्रवाई को संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन करार देते हुए इस पर तत्काल रोक लगाने व पारदर्शिता का अनुपालन करने की माँग की।
समाजवादी लोकमंच के मुनीष कुमार व उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रभात ध्यानी ने साझा बयान जारी कर वन प्रशासन पर सांप्रदायिक मानसिकता से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन संविधान के अनुरूप नहीं बल्कि भाजपा सरकार के टूल के रूप में काम कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि कार्बेट टाइगर रिजर्व और कालागढ़ टाइगर रिजर्व में एक दर्जन धार्मिक संरचनाएं हैं, जिनमें से 9 संरचनाएं तोड़ी गई हैं, जो कि सभी मजारें हैं।प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन से पारदर्शिता का अनुपालन करने की माँग की है। उन्होंने आगे कहा है, कि वन भूमि पर जो भी चिन्हित अतिक्रमण है, उसको सार्वजनिक किया जाए। देश के संविधान में दर्ज समानता का अधिकार जिसमें कहा गया है, कि कानून के समक्ष किसी भी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, लिंग, भाषा, क्षेत्र को लेकर भेदभाव नहीं किया जाएगा, इसका अनुपालन किया जाए।
(‘मेहनतकश’ से साभार)