जुमला दिवस को लेकर भारी उत्साह

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8 सितंबर। प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर ‘जुमला दिवस’ मनाने की युवा नेता अनुपम की अपील को लेकर युवाओं में भारी उत्साह है। शुक्रवार 17 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन है और पिछले साल भी बेरोजगार युवाओं ने इस दिन को जुमला दिवस की तरह मनाया था। इस बार की खासियत है कि कार्यक्रम में सिर्फ बेरोजगार युवा नहीं, बल्कि निजीकरण से परेशान बैंककर्मी और महँगाई से त्रस्त नागरिक भी हिस्सा लेंगे।

‘युवा हल्ला बोल’ के कार्यकारी अध्यक्ष गोविंद मिश्रा ने जानकारी दी कि 17 सितंबर को कहीं थाली बजाकर, कहीं बेरोजगारी मार्च निकालकर तो कहीं ‘जुमले का केक’ काटकर मोदी जी का जन्मदिन मनाया जाएगा। कोशिश ये है कि इस कार्यक्रम के जरिए महँगाई, बेरोजगारी और निजीकरण जैसे मुद्दों पर सरकार की जवाबदेही तय हो। नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपने 7 साल के कार्यकाल में जुमलों की बौछार कर दी है। बड़ी-बड़ी बातें कही गयीं, बड़े-बड़े नारे दिए गए, गाजे-बाजे के साथ योजनाएं लांच की गयीं लेकिन ज़मीन पर इसका कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा। आज हमारा देश महँगाई और बेरोजगारी की मार ही नहीं झेल रहा बल्कि दशकों से अर्जित राष्ट्रीय संपत्ति को बेचे जाने का गवाह भी बन रहा है। ‘जुमला दिवस’ का कार्यक्रम इन मुद्दों को राजनीतिक बहस के केंद्र में लाने की एक और कोशिश है। युवा ही नहीं, बल्कि निजीकरण से परेशान बैंककर्मी और महँगाई से त्रस्त नागरिक भी हिस्सा लेंगे।

‘युवा हल्ला बोल’ के कार्यकारी अध्यक्ष गोविंद मिश्रा ने जानकारी दी कि 17 सितंबर को कहीं थाली बजाकर, कहीं बेरोज़गारी मार्च निकालकर तो कहीं ‘जुमले का केक’ काटकर मोदी जी का जन्मदिन मनाया जाएगा। कोशिश ये है कि इस कार्यक्रम के जरिए महँगाई बेरोज़गारी और निजीकरण जैसे मुद्दों पर सरकार की जवाबदेही तय हो। नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपने 7 साल के कार्यकाल में जुमलों की बौछार कर दी है। बड़ी बड़ी बातें कही गयी, बड़े बड़े नारे दिए गए, गाजे-बाजे के साथ योजनाएं लांच की गयीं लेकिन जमीन पर इसका कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा। आज हमारा देश महँगाई और बेरोज़गारी की मार ही नहीं झेल रहा बल्कि दशकों से अर्जित राष्ट्रीय परिसंपत्तियों को बेचे जाने का गवाह भी बन रहा है। ‘जुमला दिवस’ का कार्यक्रम इन मुद्दों को राजनीतिक बहस के केंद्र में लाने की एक और कोशिश है।

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