बेलसोनिका यूनियन : छंटनी के खिलाफ संघर्ष के दो साल

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— अजीत सिंह —

21 मई। बेलसोनिका फैक्ट्री में श्रमिकों की छंटनी के खिलाफ संघर्ष को लगभग दो वर्ष हो चुके हैं। बेलसोनिका फैक्ट्री मारुति सुजूकी की एक वेंडर कम्पनी है।

इस समय फैक्ट्री में लगभग 692 स्थायी श्रमिक, लगभग 125 पुराने ठेका श्रमिक, जिनको फैक्ट्री में कार्य करते हुए लगभग 7-8 वर्ष का समय हो चुका है तथा 600-700 के बीच 6 माह के लिए ठेका श्रमिक, नीम ट्रेनी, अप्रेन्टिस इत्यादि श्रमिक कार्य करते हैं।

वर्ष 2014 में जब बेलसोनिका के मजदूरों ने फैक्ट्री में यूनियन बनाने की शुरुआत की थी, उस समय फैक्ट्री में 89 परमानेंट वर्कर, 448 के लगभग ट्रेनी व 450 के लगभग ठेका वर्कर थे। साल 2014 में बेलसोनिका में केवल तीन तरह के श्रमिक परमानेंट, ट्रेनी व ठेका होते थे।

यूनियन बनने के बाद तथा समझौते के बाद 454 ट्रेनी वर्करों को व 168 ठेका वर्करों को स्थायी करवाया गया, जिससे कि स्थायी वर्करों की संख्या 705 पहुंच गई थी। उसके बाद यूनियन ने एक-एक वर्ष के दो वेतन वृद्धि के समझौते सम्पन्न किए।

यूनियन ने साल 2014-16 का तीन सालों की वेतन बढ़ोतरी की अपनी मांग को छोड़कर 168 ठेका वर्करों को स्थायी करवाया था। साल 2018 के एक साल के समझौते के बाद यूनियन की स्थायी व ठेका श्रमिकों की यह एकता बेलसोनिका प्रबंधन को चुभने लगी।

परमानेंट वर्करों की जगह ट्रेनी की भर्ती

साल 2018 की शुरुआत में ही प्रबंधन ने छह माह के ठेका वर्करों को कम्पनी में भर्ती करना शुरू कर दिया। उसके बाद वर्ष 2019 में नीम ट्रेनी को भी भर्ती किया गया। साल 2021 में प्रबंधन ने दो वर्षों के लिए अप्रेन्टिस व डिप्लोमा ट्रेनी के लिए वर्करों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी।

प्रबंधन ने यह सब यूनियन की वर्गीय एकता को तोड़ने के लिए व दूरगामी तौर पर परमानेंट वर्करों की छंटनी करने के लिए 6 माह के ठेका वर्करों व कौशल विकास के नाम पर ठेका वर्करों की भर्ती शुरू की थी।

साल 2019 में यूनियन के सामूहिक मांग पत्र पर वार्ता के दौरान प्रबंधन ने स्पष्ट कर दिया कि हमारी फैक्ट्री में परमानेंट वर्करों की संख्या ज्यादा है।

प्रबंधन ने यूनियन को छंटनी के संकेत दे दिए थे कि फैक्ट्री में परमानेंट वर्करों की संख्या ज्यादा है, जिससे कि हम ज्यादा दिन तक प्लांट को नहीं चला सकते। क्योंकि कम्पनी घाटे में चली जाएगी। प्रबंधन का निशाना परमानेंट वर्करों की 700 की संख्या थी।

मैनेजमेंट ने 24 नवम्बर 2020 में वर्करों की वर्गीय एकता को ध्यान में रखते हुए यूनियन से समझौता करना पड़ा।

लेकिन मैनेजमेंट ने समझौते के 6 माह बाद ही स्थायी व पुराने वर्करों की छंटनी करने के लिए जुलाई 2021 में ‘‘फर्जी दस्तावेजों‘‘ का हवाला देकर 22 वर्करों को आरोप पत्र देकर उनकी घरेलू जांच शुरू कर दी।

वीआरएस स्कीम के विरोध के बाद खुली छिपी छंटनी

इससे पहले मैनेजमेंट ने जून 2021 में पुराने ठेका वर्करों को वी.आर.एस. देने के लिए प्रोत्साहित किया। यूनियन ने प्रबंधन की वी.आर.एस. की इस स्कीम का विरोध किया।

विरोध करने पर मैनेजमेंट ने यूनियन को धमकी दी कि ‘अभी तो हम पुराने ठेका वर्करों का वी.आर.एस. लेकर आ रहे है, उसके बाद हम स्थायी वर्करों का वी.आर.एस. लेकर आएंगे।’

यूनियन ने प्रबंधन का विरोध किया और सभी वर्करों को प्रबंधन की वी.आर.एस. स्कीम का विरोध करने को कहा। बड़े पैमाने पर यूनियन व वर्करों का विरोध देखकर प्रबंधन ने अपना रुख़ बदलते हुए ‘‘फर्जी दस्तावेज‘‘ का विवाद लेकर छिपी छंटनी की इस प्रक्रिया शुरू दी।

यूनियन को प्रबंधन की इस कार्रवाई को समझने में देर नहीं लगी कि मैनेजमेंट इस तरीके से वर्करों की छिपी छंटनी की प्रक्रिया शुरू कर रहा है।

जुलाई 2021 से यूनियन छिपी छंटनी की इस प्रक्रिया के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रही है। इस संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ ये आया कि जब फैक्ट्री प्रबंधन ने परमानेंट वर्करों की छंटनी कर 6 माह के ठेका वर्करों को भर्ती करने की मंशा ज़ाहिर कर दी।

इसके बाद यूनियन भी अपनी वर्गीय एकता की तरफ आगे बढ़ी। यूनियन ने अगस्त 2021 में एक ठेका वर्कर को यूनियन की सदस्यता दी।

ठेका वर्कर को यूनियन की सदस्यता

साल 2022 में जब यूनियन ने अपनी आयकर रिटर्न में ठेका वर्कर की सदस्यता को स्वीकार किया तो प्रबंधन को यह रास नहीं आया।

मैनेजमेंट ने ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार को एक पत्र दिनांक 23.08.2022 लिखकर कहा कि ‘यूनियन ने गैर कानूनी तरीके से एक ठेका वर्कर को यूनियन की सदस्यता दी है, क्यों न यूनियन के पंजीकरण को रद्द किया जाए।’

मैनेजमेंट के इस पत्र पर ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार ने एक ठेका मजदूर को यूनियन की सदस्यता देने पर पत्र दिनांक 05 सितम्बर 2022 लिखकर यूनियन से स्पष्टीकरण मांगा। यूनियन ने एक ठेका वर्कर को यूनियन की सदस्यता देने को स्वीकार करते हुए 27 सितम्बर 2022 को इसका जवाब भेजा।

लेकिन ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार यूनियन के स्पष्टीकरण से सहमत नहीं हुए और यूनियन को 26 दिसम्बर 2022 को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 2 महीने का समय देते हुए पंजीकरण को रद्द करने की धमकी दी।

ठेका मजदूर यूनियन का सदस्य बन सकता है या नहीं इस मुद्दे को यूनियन सदस्यों ने चण्डीगढ़ हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसकी सुनवाई  17 जुलाई 2023 को होनी है।

ठेका मजदूर यूनियन का सदस्य नहीं बन सकता है, इस सवाल पर कम्पनी मैनेजमेंट व श्रम विभाग एक साथ खड़े दिखाई दिए।

ट्रेड यूनियन के संकीर्ण दायरे से निकलने की कोशिश

ठेका वर्कर के सवाल पर श्रम विभाग खुले तौर पर मालिकों के साथ खड़ा हुआ है। यूनियन ने ठेका मजदूर के सवाल को मजदूरों के बीच रखकर वर्गीय एकता के सवाल को पटल पर लाने का प्रयास किया। मजदूर वर्ग पर हो रहे हमलों का जवाब मजदूर अपनी वर्गीय एकता से ही दे सकते हैं।

बेलसोनिका यूनियन ने अपनी क्षमतानुरूप वर्गीय एकता को व्यवहारिक रूप देने के प्रयास करते हुए मजदूरों, किसानों, छात्रों, नौजवानों, महिलाओं, शोषित तबकों की लड़ाई के साथ अपनी एकजुटता बनाई।

ट्रेड यूनियन का कार्य केवल स्थाई वर्करों का सामूहिक मांग पत्र हल कराना नहीं है। जिस समय ट्रेड यूनियन कानूनी तौर पर अस्तित्व में आई थी उस समय ट्रेड यूनियन का कार्यभार व्यापक था।

ट्रेड यूनियन मजदूर वर्ग की लड़ाई के साथ – साथ देश दुनिया की सामाजिक, राजनीतिक लड़ाइयों में अपनी भगीदारी निभाती रही है।

लेकिन पिछले 3 दशक से ट्रेड यूनियन की गतिविधियों को इतना संकीर्ण कर दिया गया है कि जब 4 घोर मजदूर विरोधी लेबर कोड्स का हमला मजदूर वर्ग पर हो रहा है तो ट्रेड यूनियन उसका प्रतिकार करने की स्थिति में नहीं हैं।

ट्रेड यूनियन चेतना को इतना संकीर्ण कर दिया है कि यूनियन अपनी फैक्ट्री के भीतर के मजदूरों को गोलबंद करने की स्थिति में भी नहीं है।

यूनियन का काम सभी वर्करों का मुद्दा हल कराना

स्थिति यहां तक पहुंच चुकी है कि जब स्वयं उसके ऊपर छंटनी की तलवार लटकी हुई है तो वह उसका विरोध करने तक की हिम्मत नहीं कर पा रही है।

लम्बे समय से चली आ रही ट्रेड यूनियन की कार्यशैली ने वर्गीय राजनीति व वर्गीय विचारधारा को मजदूरों से परे की चीज बना दिया, जिसका परिणाम हम देख पा रहे हैं।

बेलसोनिका यूनियन ने इसी कार्यशैली को तोड़ते हुए वर्गीय एकता, वर्ग की विचारधारा, वर्ग की राजनीति को मजदूरों के बीच स्थापित करने का काम किया।

यहीं से यूनियन के अंतरविरोध बेलसोनिका प्रबंधन से तीखे होते गए जो वह यूनियन को हर समय बोलती भी है कि ‘यूनियन का कार्य केवल स्थाई वर्करों का सामूहिक मांग पत्र हल कराना है।’

इसके साथ ही यूनियन के अंतरविरोध अन्य यूनियनों के साथ भी खड़े हो जाते हैं क्योंकि यूनियनों के लिए यह बात दूर की प्रतीत हो रही है। ट्रेड यूनियन की चेतना की संकीर्णता इन्हीं बातों से देखी जा सकती है।

बेलसोनिका प्रबंधन ही नहीं, बल्कि तमाम मैनेजमेंट बेलसोनिका यूनियन को पीछे धकेलने व तोड़ने पर लगे हुए हैं। बेलसोनिका यूनियन अपने संघर्ष को वर्गीय एकता से लड़ रही है।

(लेखक बेलसोनिका यूनियन के महासचिव हैं।workers’unity से साभार)

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