भूली बिसरी यादें !

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— प्रोफेसर राजकुमार जैन —

ड़िशा के लगातार पांच बार के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक 1966 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज में बीए के छात्र थे, और मैं भी। उन दिनों क्लास में हाजिरी की पाबंदी होती थी। हाजिरी कम होने पर इम्तहान में बैठने की इजाजत नहीं मिलती थी। नवीन पटनायक की हिस्ट्री की क्लास में हाजिरी कम थी। कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर कम हाजिरी होने के कारण जिन छात्रों को इम्तिहान देने से रोक दिया गया था उनमें नवीन पटनायक का नाम भी शामिल था। इनके पिता बीजू पटनायक बहुत ही नामवर राजनेता, ओड़िशा के भूतपूर्व मुख्यमंत्री, प्रभावशाली नेता की हैसियत रखते थे। हाजिरी कम होने पर इनकी माताजी श्रीमती ज्ञान पटनायक कॉलेज में इस बारे में बात करने के लिए प्रिंसिपल श्री मंगतराम जी से मिलने के लिए गईं।

प्रिंसिपल मंगतराम जी बहुत ही सरल, सीधे स्वभाव के इंसान थे। जब उनको पता चला कि इतिहास की क्लास में हाजिरी कम है तो वह परेशान हुए, क्योंकि इतिहास के प्रोफेसर डॉक्टर इम्तियाज हुसैन थे। वे उच्च कोटि के विद्वान तथा कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (इंग्लैंड) से पीएचडी की डिग्री हासिल करके आए थे। वह अविवाहित थे, लगातार सिगार पीते थे, और बहुत ही सख्त मिजाज के थे।

प्रिंसिपल मंगतराम जी ने कहा, डॉक्टर इम्तियाज हुसैन अलग किस्म के हैं, आप खुद स्टाफ रूम में उनसे मिलकर रिक्वेस्ट करो। नवीन पटनायक की माताजी स्टाफ रूम में जाकर डॉक्टर इम्तियाज हुसैन से मिलीं तथा अपना परिचय देते हुए उन्होंने सहज भाव से कह दिया कि मैं ओड़िशा के भूतपूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक की पत्नी हूंँ, नवीन मेरा बेटा है। फिर क्या था प्रोफेसर हुसैन ताव में आ गए और बोले ‘सो व्हाट, यूयर हसबैंड मे बी एनीथिंग’, ‘मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता।

संयोग से मेरी भी हाजरी उनकी क्लास में कम पड़ गई थी। डॉक्टर हुसैन किस तरह के थे उसको जानना भी बड़ा रोचक है। किरोड़ीमल कॉलेज से सटे बंगलो रोड पर इंडियन कॉफी हाउस होता था। वे उसमें नियमित कॉफी पीने जाते थे, और कभी -कभी मुझे भी साथ ले जाते थे।

मै इन दिनों सक्रिय आंदोलनकारी, जन सवालों पर संघर्ष करता था। थोड़े समय पहले ही छात्र आंदोलन के सिलसिले में, गिरफ्तार होकर समाजवादी नेता डॉ राममनोहर लोहिया के साथ तिहाड़ जेल में रहकर आया था। प्रोफेसर हुसैन मुझे पसंद करते थे, परंतु उनके अनुशासन और मिजाज की सख्ती का आलम यह था कि एक दिन वह मुझे अपने साथ कॉफी हाउस में कॉफी पिलाने के लिए ले गए। कॉफी पीने के बाद बिल चुकाकर अपना पुराने जमाने का चमड़े का बैग उठाकर वहाँ से क्लास लेने के लिए चले गए। मैं किसी से बात करने के कारण थोड़ा लेट हो गया। क्लास अटेंड करने के लिए जब मैंने प्रोफेसर हुसैन से क्लास रूम के गेट पर खड़े होकर कहा कि
‘मे आई कम इन सर’ तो उन्होंने झिड़क कर कहा ‘नो,’ ‘गो अवे’ और अपना लेक्चर देने लगे।

मैं रुआँसा होकर क्लासरूम के बाहर उनका इंतजार करने लगा। जब वे क्लास से बाहर आए तो मैंने उनसे देर से पहुंचने के लिए माफी मांगी। तब उन्होंने कहा कि तुम्हें वक्त की पाबंदी की परवाह नहीं, जब मैं समय पर पहुंच सकता हूं तो तुम क्यों नहीं? जब मेरी हाजिरी उनकी क्लास में कम हो गई तो मैं डर गया कि अब तो इम्तहान नहीं दे पाऊंगा। मैं उनके पास गया और बताया कि आंदोलनों में भाग लेने कारण मेरी हाजिरी कम हो गई सर। वे मेरी राजनीतिक गतिविधियों के बारे में मालूमात रखने में दिलचस्पी लेते थे। कुछ सोचने के बाद उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि तुम फालतू में अपना समय नहीं बिताते। फिर उन्होंने नवीन पटनायक का किस्सा बताया कि उसकी मां, मंत्री की बीवी होने का रुतबा जता रही थी, मैंने उनको मना कर दिया। मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूंँ, इसलिए नवीन तथा एक और छात्र को भी इजाजत देनी पड़ेगी। इस तरह मेरे कारण नवीन को भी इम्तहान देने की इजाजत मिली।

काफी दिनों बाद मैं मधु लिमये के साथ बीजू पटनायक जी के औरंगजेब रोड वाले बंगले पर गया था। आदरणीय माताजी ज्ञान पटनायक भी वहाँ पर मौजूद थीं। मैंने नवीन के हाजिरी वाले किस्से को जब उनको बतलाया तो वह बहुत हॅंसी, उन्होंने कहा कि तुम्हारा वह टीचर बहुत ही सख्त था, प्रिंसिपल ने उन्हें बताया था कि वह बहुत ही विद्वान, बेहतरीन शिक्षक, मगर सख्त मिजाज के हैं।

मैं अपने आदर्श शिक्षक, इतिहास गुरु डॉ इम्तियाज हुसैन को नमन करता हूंँ।

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