19 जून। वाजपेयी सरकार में जब मुरली मनोहर जोशी मानव संसाधन विकास मंत्री थे तब सर्व सेवा संघ के मामले में प्रसिद्ध समाजवादी नेता उषा मेहता और सर्व सेवा संघ के रामचंद्र राही ने जोशी जी से मुलाकात की थी, तब जोशी जी ने उनसे कहा था कि सरकार इस केंद्र को (गांधी विद्या संस्थान को) इस शर्त पर आर्थिक मदद कर सकती है कि अगर उसका निदेशक सरकार का आदमी हो और वहां होने वाले शोध कार्य सरकार के निर्देशों के अनुरूप हों। लेकिन उषा मेहता ने जोशी की इस शर्त को ठुकरा दिया और उन्होंने कहा कि जिंदगी में मैंने इतना बड़ा अपमान कभी नहीं झेला। यह जेपी के आदर्शों और मूल्यों की संस्था है।हम लोग समझौता नहीं कर सकते चाहे संस्था क्यों न बन्द हो जाए।
सोमवार को रामचंद्र राही ने पत्रकारों के सामने यह रहस्योदघाटन किया। वह दिल्ली में प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि हम लोगों ने जोशी की बात नहीं मानी और उसका खमियाजा आज तक भुगत रहे हैं। सर्व सेवा संघ आज फिर संकट में है उसके परिसर को सरकार ने कब्जे में ले लिया है।वाराणसी के कमिश्नर ने पुलिस बल भेजकर इसके परिसर में स्थित गांधी विद्या संस्थान को कब्जे में लेकर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को सौंप दिया है।
गौरतलब है कि देश के जाने-माने गांधीवादियों और जेपी के अनुयायियों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू से सर्व सेवा संघ के परिसर को सरकारी कब्जे से खाली कराने की मांग की है।
यह ज्ञापन देश के 70 जनसंगठनों की ओर से दिया गया है।इसकी एक प्रति इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (जिसने सर्व सेवा संघ के परिसर को कब्जा किया है) के अध्यक्ष रामबहादुर राय को भी दी गयी है।
इन गांधीवादियों और जेपी अनुयायियों ने आरोप लगाया है कि सरकार देश की अन्य गांधीवादी संस्थाओं पर भी कब्जा करने की कोशिश में लगी है। गुजरात विद्यापीठ हो या साबरमती आश्रम।
सुप्रसिद्ध गांधीवादी रामचन्द्र राही
(अध्यक्ष- राष्ट्रीय गांधी स्मारक निधि, दिल्ली), कुमार प्रशांत
(अध्यक्ष- गांधी शांति प्रतिष्ठान, दिल्ली), रामधीरज
(अध्यक्ष- सर्वोदय मंडल, उत्तर प्रदेश एवं ‘जेपी विरासत बचाओ संघर्ष समिति’, सर्व सेवा संघ, राजघाट, वाराणसी), प्रोफेसर आनंद कुमार (अध्यक्ष- राष्ट्रनिर्माण लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान), शशिशेखर प्रसाद सिंह (अध्यक्ष- जेपी फाउंडेशन) ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में यह मांग की।
उन्होंने बताया कि जिस गांधी विद्या संस्थान की स्थापना लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने 1960 की थी उसको वाराणसी प्रशासन ने 15 मई को कब्जे में कर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को सौंप दिया।
उन्होंने कहा कि सर्व सेवा संघ के पक्ष में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद इंदिरा गांधी कला राष्ट्रीय कला केंद्र अपना कब्जा जमाए हुए है।
उन्होंने बताया कि सर्व सेवा संघ की स्थापना डॉ राजेन्द्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, आचार्य विनोबा भावे, जेबी कृपलानी, मौलाना आज़ाद और जेपी के प्रयासों से हुई थी और रेलवे ने उसके लिए जमीन दी थी। लेकिन आज सरकार ने उलटे सर्व सेवा संघ पर आरोप लगाया कि यह जमीन फर्जी तरीके से ली गयी है।
इन गांधीवादियों ने कहा कि जब तत्कालीन राष्ट्रपति के निर्देश पर रेलमंत्री ने यह जमीन दी और एक रजिस्टर्ड डीड से यह जमीन खरीदी गई थी, तब यह गलत तरीके से ली हुई कैसे हो सकती है?
इसी बीच अप्रैल 2023 में की नार्दर्न रेलवे द्वारा उपजिलाधिकारी सदर वाराणसी के यहाँ सर्व सेवा संघ के ऊपर एक मुकदमा किया गया है। इस मुकदमे के अनुसार, रेलवे ने आरोप लगाया है कि सर्व सेवा संघ द्वारा रेलवे से 1960,1961 और 1970 में खरीदी गयी सभी जमीनों के दस्तावेज कूटरचित तरीके से तैयार किये गये हैं और यह आपराधिक कृत्य है।
यह उल्लेखनीय है कि आचार्य विनोबा भावे की पहल पर उक्त जमीनें लालबहादुर शास्त्री जी के सहयोग से सर्व सेवा संघ ने 1960, 1961 एवं 1970 में रेलवे से खरीदी हैं, जिसका प्रमाण डिविजनल इंजीनियर नार्दर्न रेलवे, लखनऊ द्वारा हस्ताक्षरित तीन रजिस्टर्ड सेल डीड हैं। 1960 में खरीद की जमीन की रकम रु 26,730 और 1961 में खरीद की गयी जमीन की रकम रु 3,240 तथा 1970 में खरीद की गयी जमीन की रकम रु 4,485 स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, वाराणसी के क्रमशः ट्रेजरी चलान नं 171 दि. 5 मई 1959, ट्रेजरी चलान नं. 31 दि. 27.04.1961 एवं ट्रेजरी चलान नं. 3 दि. 18.01.196 के माध्यम से भुगतान किया गया है और यह रकम सरकार के खजाने में गयी है। अत: इसे साजिश कहना आचार्य विनोबा भावे, राधाकृष्ण बजाज, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, लालबहादुर शास्त्री, जगजीवन राम एवं डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जैसे राष्ट्रनायकों को लांछित करना है।
वास्तव में यह वाराणसी के आयुक्त कौशल राज शर्मा द्वारा गांधी विद्या संस्थान और सर्व सेवा संघ की जमीन हड़पने की साजिश है, जिसके प्रमाण में कुछ बिन्दु स्पष्ट हैं :
2 दिसंबर 2020 को सर्व सेवा संघ की जमीन के एक हिस्से पर कौशलराज शर्मा के निर्देश पर कब्जा कर लिया जाना। उस वक्त ये वाराणसी के जिलाधिकारी थे। जब इस घटना का प्रतिवाद कि गया, तो प्रशासन की ओर से कहा गया कि काशी कॉरिडोर के लिए इस स्थान का इस्तेमाल होगा और यह 6 महीने का ही काम है। इसके बाद यह जमीन वापस हो जाएगी। काशी कॉरिडोर का काम समाप्त हो गया लेकिन आज भी इस हिस्से पर प्रशासन का कब्जा बना हुआ है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सर्व सेवा संघ के परिसर से पुलिस को वापस बुलाने, अवैध कब्जा हटाने और जमीन के बारे में फर्जी आरोपों को वापस लेने की भी मांग की गयी।
गौरतलब है कि 17 जून को देशभर के 70 संगठनों द्वारा राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया और इन सभी संगठनों ने मिलकर दिल्ली में दीनदयाल मार्ग स्थित राजेन्द्र भवन में प्रतिरोध सम्मेलन किया। इसमें मेधा पाटकर, रामचंद्र राही, रघु ठाकुर, कुमार प्रशांत, सत्यपाल मलिक, योगेंद्र यादव, प्रोफेसर आनंद कुमार, पूर्व सांसद डीपी राय, सांसद संजय सिंह, रमाशंकर सिंह, डॉ. सुनीलम, अरुण श्रीवास्तव, जयशंकर गुप्ता समेत 150 से अधिक गण्यमान्य नागरिकों ने समर्थन दिया है।
– विमल कुमार