— विमल कुमार —
हनुमान– हे तीनों लोकों के स्वामी मर्यादा पुरुषोत्तम राम!क्या आपको पता है आपको एक “आदि पुरुष” ने रिप्लेस कर दिया है।
राम– क्या मतलब? ये आदि पुरुष कौन है? आदि पुरुष तो आदम और हव्वा थे जो नंग धड़ंग रहते थे। हम तो बाकायदा धोती पहनते हैं।
हनुमान– हे तात! आदि पुरुष एक फिल्म का नाम है जो आपकी कथा पर आधारित है। सोशल मीडिया पर इस फिल्म को लेकर हंगामा मचा हुआ है। कोई मनोज मुन्तशिर हैं। उनके टपोरी संवादों से हड़कंप मच गया है।
राम– हनुमान क्या तुमने वो फिल्म देखी है?
हनुमान– नहीं स्वामी! सोच रहा हूँ वह फ़िल्म देख लूॅं। book my show में टिकट बुक कराया है।
राम – क्या उसका प्रोमो देखने को मिलेगा?
हनुमान– हे तात! आप इंस्टाग्राम और फेसबुक पर उसे देख सकते हैं।
राम – किसी ने मुझसे कहा कि हॉल में तुम्हारे लिए कोई सीट भी आरक्षित है।
हनुमान– सुना तो मैंने भी हैं लेकिन वे मुझे कैसे सीट देंगे।आदि पुरुष की कास्ट ही अलग है। उनके चेहरे हमसे आपसे नहीं मिलते। रावण मोहम्मद गोरी की तरह। सीता मइया को भी जनकपुर का नहीं बताया गया है। बिल्कुल उलट पुलट गई है स्टोरी।
राम– अच्छा है पवनसुत! मैं धरती पर नहीं हूँ यह फिल्म देखने के लिए।
हनुमान– लेकिन प्रभु! आपको यह फिल्म देखनी चाहिए।आप हिन्दू सम्राट हैं। भाजपा को अगले चुनाव में आपसे ही उम्मीद है। आप ही अगले चुनाव में बेड़ा पार लगाएंगे।अयोध्या में आपका भव्य मंदिर बन रहा है।
राम– अरे ये लोग मुझे कब तक बेचते रहेंगे। बहुत राजनीतिक इस्तेमाल किया मेरा।
हनुमान– हॉं तात! आपको उन लोगों ने कैबिनेट में भी नहीं लिया। कम से कम राज्यसभा में तो भेज देते। वैसे आपको लोकसभा का टिकट देते तो आप चुनाव जीत जाते।
राम– लेकिन हिन्दू मुस्लिम कर, सवर्ण-दलित की राजनीति कर, दंगा-फसाद कर मैं चुनाव जीतना नहीं चाहता।
हनुमान– अब शो का टाइम हो रहा महाराज। फिल्म देखकर बताता हूँआपको। प्रणाम तीनों लोकों के स्वामी।विदा लेता हूँ। प्रभु!
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