113 संगठनों के समन्वय से बने संयुक्त युवा मोर्चा ने की कार्यकारिणी की घोषणा

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22 जून। बेरोजगारी के सवाल पर एकजुट देश भर के 113 संगठनों के ‘संयुक्त युवा मोर्चा’ ने गुरुवार को अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा कर दी। बताया गया कि कार्यकारिणी की पहली बैठक बीते शनिवार को संपन्न हुई। बैठक में तय हुआ कि देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से ‘भारत रोजगार संहिता’ यानी ‘भरोसा’ पर जनमत तैयार किया जाएगा। मोर्चा के कई घटकों ने इस दौरान हुए विभिन्न कार्यक्रमों और बैठकों की रिपोर्ट भी पेश की। जिसमे उल्लेखनीय रूप से इलाहाबाद, लखनऊ, सोनभद्र, देहरादून, भोपाल, सुपौल बैठकों की चर्चा हुई।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी का मुख्य काम देश भर में शिक्षा, रोजगार जैसे अहम मुद्दों पर अलग अलग काम कर रहे संगठनों को एकजुट करना होगा। बताते चलें कि बीते 3 अप्रैल को देश की राजधानी दिल्ली में ‘युवा हल्ला बोल’ संस्थापक अनुपम की पहल पर देश भर के 113 संगठनों के प्रतिनिधियों की अहम बैठक हुई थी। बैठक में जाने-माने अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने भी शिरकत की। मुख्य रूप से यह आम सहमति बनी कि देश में बेरोजगारी रूपी आपदा से लड़ने के लिए एक ‘संयुक्त युवा मोर्चा’ का गठन हो। जिसके बाद 4 अप्रैल को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अनुपम ने ‘संयुक्त युवा मोर्चा’ के गठन की घोषणा की थी। उक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, देश के पूर्व सूचना आयुक्त यशोवर्धन आज़ाद समेत जम्मू कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु से मोर्चा के नेता भी शामिल रहे।

‘संयुक्त युवा मोर्चा’ के द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया था कि बेरोजगारी के गहरे संकट से पीड़ित युवाओं को हताशा और निराशा से निकालकर उम्मीद और समाधान की ओर ले जाएंगे। प्रस्ताव में हर वयस्क को अपने घर के नजदीक न्यूनतम आय पर रोजगार का अधिकार, सभी रिक्त सरकारी पदों पर समयबद्ध भर्ती, स्थायी नौकरियों में संविदाकरण पर रोक और ‘मोडानीकरण’ की कुनीति को बंद किए जाने की मांग पर सहमति बनी थी।

बताया जा रहा है कि यह संयुक्त युवा मोर्चा देशव्यापी रोजगार आंदोलन के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। कई बुद्धिजीवियों का मानना है कि यह युवाओं द्वारा उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है जो आगे चलकर भारतीय राजनीति की दिशा तय करने की संभावना रखता है। इसलिए अब समय आ गया है कि वैसी सभी ताकतें जो देश बेचने के खिलाफ हैं और देश बचाने के पक्ष में हैं उठ खड़े हों और इस युवा आंदोलन को जमीन तैयार करने में अपनी भूमिका अदा करें। मोर्चा के नेताओं में खुशी है कि इस पहल को इतनी भारी संख्या में युवा समूहों का समर्थन मिल रहा है।

संयुक्त युवा मोर्चा का स्पष्ट मानना है कि हमारे देश के युवाओं को सरकार से यह ‘भरोसा’ चाहिए कि उनके भविष्य के साथ और खिलवाड़ नहीं होगा। यह भरोसा है ‘भारत रोजगार संहिता’, जिसके लिए हमें सामूहिक रूप से लड़ना होगा। जनसमुदाय के बीच बदलाव की यह उम्मीद पैदा करने के लिए व्यापकतम संभव एकता के साथ आज जनान्दोलन की जरूरत है। “भ-रो-सा” को केंद्रित कर व्यापक एकता के लिए साझा संकल्प के साथ संयुक्त प्रयास की जरूरत है।

‘संयुक्त युवा मोर्चा’ ने एकताबद्ध होकर निम्न मांगों के लिए लड़ने का संकल्प लिया है :

1. ‘रोजगार का अधिकार’ एक कानूनी गारंटी के बतौर, 21-60 आयुवर्ग के प्रत्येक वयस्क के लिए उसके आवास से 50 किमी के अंदर बेसिक न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करते हुए।

a- विभिन्न भौगोलिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में अधिक से अधिक औद्योगिक क्लस्टर पुनर्जीवित करते हुए तथा नया खड़ा करते हुए।

b- ऊपरी 1% अति-धनिक तबकों पर संपत्ति कर तथा उत्तराधिकार कर लगाकर रोजगार गारंटी के लिए वित्तीय उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है।

2. सार्वजनिक क्षेत्र में सभी खाली जगहों को निष्पक्ष और समयबद्ध ढंग से भरा जाए।

a- एक ‘मॉडल एग्जाम कोड’ लागू करते हुए 9 महीने के अंदर हर भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाए।

b- भर्ती प्रक्रिया में पेपर लीक, विलम्ब और अनियमितताओं के मामले में जवाबदेही तय की जाए।

3. स्थायी प्रकृति के कामों में व्याप्त ठेका प्रथा का उन्मूलन किया जाए।

a- युवा-विरोधी अग्निपथ योजना निरस्त की जाए तथा सेना व अर्धसैनिक बलों में सभी पदों के लिए फिर से नियमित भर्तियां शुरू की जाए।

b- श्रमिकों, गिग मजदूरों के शोषण पर रोक लगाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं और नियमों का उल्लंघन करने वाली एजेंसियों तथा उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

4. ‘मोडानीकरण’ अर्थात “घाटे के राष्ट्रीयकरण तथा मुनाफे के निजीकरण” की नीति पर रोक लगाई जाए, जिसने सामाजिक न्याय पर प्रतिकूल असर डाला है तथा असमानता और बेरोज़गारी को चरम पर पहुँचा दिया है।

a- ऐसी नीतियां जो आम नागरिकों को समुचित स्वास्थ्य सेवाएं तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने में बाधक हैं, उन पर रोक लगे।

b- रेलवे और बैंक जैसे अतिमहत्त्वपूर्ण क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, इन्हें स्वायत्त बनाया जाना चाहिए और निजी क्षेत्र को नहीं बेचा जाना चाहिए।

युवा नेता अनुपम ने ‘संयुक्त युवा मोर्चा’ के समक्ष मौजूद चुनौतियों को रेखांकित करते हुए कहा कि आज हमारे सामने एक ऐसा बहुसंख्यकवादी शासन है जो हमारी साझा संस्कृति और लोकतांत्रिक संस्थाओं को नष्ट करने पर आमादा है। लेकिन हम अपने देश को हाथ से निकलने नहीं देंगे, न अपने युवाओं को पीड़ा सहने देंगे। इसलिए हमारे पास चुनौती को सीधे कबूल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। प्रत्येक नागरिक जो इस देश को प्यार करता है, उसे साथ आना होगा और इस देश के करोड़ों युवाओं के अंदर उम्मीद जगाना होगा। हर दौर और युग में, युवा ही प्रत्येक बदलाव के अगले मोर्चे पर रहे हैं। आज भी, एक युवा आंदोलन के अंदर ही देश को सही रास्ते पर लाने और हमारे सपनों का भारत बनाने की क्षमता है।

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