मणिपुर में सरकारी उकसावे व छिपे समर्थन से चल रहा है दंगा

0

23 जून। देश की लब्‍ध प्रतिष्ठित गांधी संस्‍थाओं गांधी शांति प्रतिष्ठान, गांधी स्मारक निधि, राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय, सर्व सेवा संघ, राष्ट्रीय युवा संगठन ने मणिपुर में बढ़ती हिंसा के संदर्भ में बयान जारी करते हुए कहा कि मणिपुर की खिड़की जब हम देखते हैं तो लगता है कि सरकारों ने अपना औचित्य खो दिया है। मणिपुर की जनता को धर्म-जाति-कबीलों आदि में बांट कर दोनों सरकारों ने आज वहां ऐसी आग लगाई है जिसमें मणिपुर का इतिहास व वर्तमान दोनों धू-धू कर जल रहे हैं, और कुछ हैं कि जो दिल्ली व इंफाल में अपनी बांसुरी बजा रहे हैं।

गांधीजनों ने बयान में आगे कहा कि हम कहना चाहते हैं कि पिछले कई महीनों से मणिपुर में जो आग धधक रही है, जिस तरह मणिपुरी मैतेई और कुकी जनजातियां एक-दूसरे की जान ले रही हैं, घर-बस्ती जला रही हैं, सड़कों पर विध्वंस का भयावह दृश्य बना हुआ है, वह सरकारी उकसावे व छिपे समर्थन से चल रहा एक सांप्रदायिक दंगा ही है। न पुलिस, न पारा मिलिट्री वहां कोई गंभीर, प्रभावी भूमिका निभा पा रही है। दोनों सरकारों को विषवमन करने, नागरिकों के खिलाफ घृणा व हिंसा फैलाने तथा चुनाव की तैयारी करने से फुर्सत ही नहीं है। जो गृह न बचा सके, वह कैसा गृहमंत्री है!

गांधी जनों ने बयान में आगे कहा कि क्या हमें राष्ट्र का ऐसा विनाश देखते रहना चाहिए? क्या सरकार जो कहे वही हम सुनें; सरकार जो दिखाए वही हम देखें और सरकार जो प्रचार करे, उसे ही हम सत्य मानें? अगर ऐसा है तब तो जनता की जरूरत क्या है, हमारी भूमिका क्या है और इससे भी बड़ी बात यह कि लोकतंत्र का मतलब क्या है? लोकतंत्र का मतलब ही होता है : लोक की मुट्ठी में तंत्र ! यहां तो तंत्र सर पर सवार ही नहीं है, अपने स्वार्थ के लिए लोगों के सर कटवा रहा है !

गांधी संस्‍थाओं ने कहा कि हम मणिपुर के भाई-बहनों से कहना चाहते हैं कि एक-दूसरे की जान लेने तथा घरों-दुकानों-दफ्तरों को आग लगाने, मंदिरों-गिरजाघरों को तोड़ने से हासिल कुछ भी नहीं होगा। हमें एक-दूसरे को नहीं, गलत चाल चलने वाले शासकों को हराना है। न्याय के लिए लड़ने के शांतिपूर्ण तरीके भी हैं जो न केवल न्याय दिलाते हैं बल्कि अन्यायी को रास्ते से हटाते भी हैं। मणिपुर के मैतेई तथा कुकी भाइयों से हम पूछना चाहते हैं कि मणिपुर ही न बचा तो हम बच सकेंगे क्या? असली सवाल तो प्रगतिशील मणिपुर के अस्तित्व का है।

गांधी संस्‍थाओं ने सरकारों और जनता के हृदय में मनुष्यता जगे, ऐसी प्रार्थना करने के लिए देश भर में 1 जुलाई को शांति और सद्भावना दिवस का आयोजन होगा, जिसमें सर्वधर्म प्रार्थना, सरकारों से सद्विवेक का निवेदन, मणिपुर की जनता की समस्या से देश को अवगत कराना जैसे कार्यक्रम किए जाएंगे।

वहीं गांधीजन और सर्वोदय के कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में देश भर के सभी धर्म-जाति-प्रदेश के प्रतिनिधियों की एक टोली मणिपुर के लिए रवाना होगी। गांधी संस्‍थाओं ने सरकारों से अपील है कि शांति की इस पहल को सहूलियत व सहयोग दें। जहां सरकारें पहुंचने से डरती हैं, सेना का पहुंचना संभव नहीं वहां अहिंसक शांति सेना पहुंचती भी है और कारगर भी होती है। इन गांधीजनों ने ऐसी कई हिंसक वारदातों में शांति स्थापना का काम किया है जिसमें असम के कोकराझार में 2012 में हुई अशांति भी शामिल है। मणिपुर के लोगों से, मणिपुर की सरकार और केंद्र की सरकार से निवेदन है कि नागरिकों की इस पहल को एक मौका दें। यह महात्मा गांधी का रास्ता है जिसका सम्मान किया जाना चाहिए। हम कहना चाहते हैं कि जो इतिहास से सबक नहीं सीखते, इतिहास उन्हें सबक सिखाता है!

सरकारों से गांधी संस्‍थाओं ने अपील है कि शांति की इस नागरिक पहल को समर्थन व सहयोग दें। शांति हम सबकी जरूरत भी है और वही हमारी ताकत भी है। (सप्रेस)

 


Discover more from समता मार्ग

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment