फिल्म एक्टर सलमान खान की सलामती के लिए!

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— प्रोफेसर राजकुमार जैन —

ल रात टेलीविजन पर मोस्ट वांटेड गोल्डी बरार जो कि खून खराबे, कत्ल करने, बदला लेने के लिए किसी भी हद तक जाने की सरेआम मुनादी कर रहा था। जिसके सिर पर 10 लाख का इनाम, जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर सरकार ने घोषित कर रखा है, वह लॉरेंस बिश्नोई गैंग का साथी है। ये फिल्म एक्टर सलमान खान को जान से मारने का खुल्लमखुल्ला एलान कर रहे हैं, तथा इसकी वजह भी बता रहे हैं कि सितंबर 1998 में राजस्थान में फिल्म की शूटिंग के दौरान सलमान खान ने जोधपुर के नजदीक ‘खेजडली’ गांव के भागोड़ा की ढाणी में दो काले हिरणों का शिकार किया था। परंतु साथ ही साथ माफी का भी रास्ता सुझाया है। लॉरेंस बिश्नोई, गुरु जंभेश्वर द्वारा स्थापित पंथ का अनुयायी है। बिश्नोई पंथ की मान्यता है कि,
‘सिर क’टे रुख बचे
तो भी सस्तो जाण
यानी कि सिर कटवाकर भी अगर वृक्ष कटने से बचता है तो यह सौदा सस्ता है।

जा’ही हिरण संहार देख वहां सिर दीजिए।
जीव दया पालनी, रु’ख लीलू नहीं छावे।
अर्थात जीवों के प्रति दया रखना और पेड़ों की हिफाजत करनी चाहिए, इससे बैकुंठ मिलता है।
वृक्ष और वन्यजीवों को मरते कटते देखकर उनकी रक्षा में अपने प्राण दे देना चाहिए।

आज पर्यावरण के सवाल पर पूरी दुनिया माथापच्ची कर रही है। कुदरत का कहर रोज नयी नयी शक्ल में सामने आ रहा है। साइंसदानों, जमीनी-आसमानी खगोलशास्त्रियों से लेकर भूगर्भ विशेषज्ञों, विद्वानों, सियासदानों के रोजमर्रा सेमिनार, सिंपोजियम, विशेषज्ञों के भाषण, रपट, सुझाव के जमावड़े इस आफत से निजात पाने में लगे हैं। आपदा का एक कारण अंधाधुंध हरे भरे पेड़ों की कटाई, जंगलों का खात्मा कर कंक्रीट के ढांचे खड़े किए जाना पहचाना गया है।

इस मसले पर आज से 289 साल पहले विश्नोई समाज ने जो कुर्बानी दी थी, वह दुनिया की तवारीख में अकेली मिसाल है। राजस्थान के जोधपुर से 25 किलोमीटर दूर गांव ‘खेजड़ली’ में एक लोमहर्षक हादसा हुआ था।

इतिहासकारों के मुताबिक 17वीं शताब्दी में जोधपुर के महाराज अजीत सिंह को अपने बनने वाले महल के लिए ईंधन में इस्तेमाल होने के लिए लकड़ी की जरूरत थी। महाराज ने इसके बंदोबस्त की जिम्मेदारी अपने मंत्री गिरधारी दास भंडारी को दी। भंडारी की नजर खेजड़ली गांव पर पड़ी, वहां पर बड़ी तादाद में पेड़ लगे थे। मंत्री भंडारी अपने कारिन्दों को लेकर पेड़ कटवाने के लिए गांव पहुंचकर एक घर के बाहर पेड़ कटवाना शुरू कर दिया। घर की मालकिन अमृता देवी बिश्नोई ने इसका विरोध करते हुए कहा कि हम तो इन पेड़ों को राखी बांधते हैं। हम इन्हें काटने नहीं देंगे, गांव के लोग इकट्ठा होकर विरोध करने लगे। उस वक्त वह वापस चला गया परंतु 31 दिसंबर 1730 को सुबह-सुबह अपनी पूरी तैयारी कर लाव लश्कर के साथ गांव जाकर पेड़ काटना शुरू कर दिया। अमृता देवी ने जब पेड़ों को कटते देखा तो वह एक पेड़ से लिपट गई, जिस पर राजा के कारिन्दों ने तलवार से अमृता देवी का सिर भी काट दिया। इसको देखकर उसकी दो बेटियां भी पेड़ से लिपट गयीं उनका भी सिर काट दिया गया।

आसपास के गांवों में बसे बिश्नोई समाज में यह खबर आग की तरह फैल गयी। बिश्नोई समाज ने फैसला कर पेड़ों की कटाई रोकने के लिए पेड़ों से लिपटकर अपनी जान की बाजी लगा दी। राजा की पलटन ने 363 लोगों के सिर काट दिए। यह खबर जब राजा को पता चली तो उसने दहशत में अपने कारिन्दों को वापस बुला लिया तथा हमेशा के लिए खेजड़ी के पेड़ काटने पर पाबंदी की मुनादी कर दी। 1983 में राजस्थान सरकार ने खेजड़ी के वृक्ष को राजवृक्ष घोषित कर दिया। यह पेड़ रेगिस्तान की भयंकर गर्मी में भी हरा भरा रहता है। इसकी मजबूत लकड़ी जलाने, फर्नीचर बनाने के काम में भी आती है।

बिश्नोई समाज काले हिरण को अपने धार्मिक गुरु भगवान जंभेश्वर, जिन्हें जंबाजी के नाम से भी जाना जाता है, का अवतार मानते हैं। वे काले हिरण और वृक्षों के लिए अपनी जान तक दे सकते हैं। जिस स्थान पर हिरण का शिकार किया गया था वहां हिरण की याद में एक स्मारक और पशु बचाव सुविधा का निर्माण किया जा रहा है।

सलमान खान को जान से मारने की धमकी से मैं बहुत रंज में और फिक्रमंद हूं।

एक फिल्मी एक्टर या उसकी एक्टिंग से मेरा कोई सरोकार नहीं। मेरी फिल्मों में रुचि भी नहीं, परंतु मैं सलमान खान, उनके वालिद सलीम खान, मां सलमा जी को बहुत ही अदब की नजर से देखता हूं। वह इसलिए कि सलमान की बहन अर्पिता खान का इतिहास पढ़ने पर आंखें नम हो जाती हैं।

बताया जाता है कि सलमान खान के पिता सलीम खान और मां सुबह की सैर पर जाया करते थे, वहां फुटपाथ पर बैठी, मजबूरी की मारी, हालात की शिकार अर्पिता की मां की कुछ मदद करते रहते थे। एक दिन सलीम खान और उनकी पत्नी उसी जगह से गुजर रहे थे तो देखा कि अर्पिता की मां का इंतकाल हो चुका था। लाश के पास बच्ची रो रही थी। लावारिस मासूम को ऐसी हालत में देख सलीम खान और उनकी पत्नी सलमा खान का दिल पसीज गया। वे उसे अपने साथ घर ले आए, कानूनी कार्यवाही पूरी करने के बाद उन्होंने उसको अपनी दत्तक बेटी बना लिया। इस घटना का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि खान दंपत्ति की पहले से ही 4 संतानें थीं, तीन लड़के तथा एक लड़की अलवीरा। इस बच्ची की परवरिश, शादी वगैरह अपनी सगी औलाद के रूप में इस परिवार में हुई। सलमान खान के अपनी इस बहन से लाड प्यार को देखकर किसी को भी ताज्जुब होगा। उसने अपने फार्म हाउस का नाम भी अपनी इसी बहन के नाम पर रखा है।

लॉरेंस बिश्नोई की सलमान खान के लिए नाराजगी उसके मजहबी अकीदे के कारण है, ना कि किसी और रंजिश के कारण। लॉरेंस विश्नोई ने कई बार खुले तौर पर कहा है कि अगर सलमान खान बिश्नोइयों के बीकानेर में स्थित मुकाम ‘मुक्तिधाम मंदिर’ में जाकर माफी मांग ले तो झगड़ा खत्म हो जाएगा।

हालांकि मामला बड़ा पेचीदा है। कोई किसी को धमकी देता है कि तुम ऐसा करो नहीं तो मैं तुम्हारा कत्ल कर दूंगा, तो यह कानून की अवहेलना है। यह पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह कानून के मुताबिक धमकी देने वाले पर कार्रवाई करे। न्याय केवल अदालत कर सकती है ना कि किसी शख्स की ख्वाहिश। परंतु इस केस का दूसरा पहलू भी है, कि इसमें व्यक्तिगत रंजिश नहीं, आस्था आड़े आ रही है। मेरी नजर में अगर किसी की धार्मिक आस्था जिसमें दूसरों को नुकसान पहुंचाने या उनकी भावना, आस्था को आहत ना पहुंचे। माफी वह भी अज्ञात रूहानी अकीदे, मंदिर मस्जिद या किसी भी मजहबी, पवित्र मरकज से मांगना गैरवाजिब नहीं होगा। सलमान खान तो वैसे भी खुली जहनियत के हैं, होली दिवाली के त्योहार की महफिल इनके घर पर जमती रही है। बहन अर्पिता के यहां आयोजित गणेश पूजा में पूरे तामझाम, विधि विधान के साथ शिरकत करते देखे गए हैं।

इस सवाल में शाकाहारी-मांसाहारी का भी टकराव नहीं। एक मिसाल मेरे सामने है। मेरे घर की एक लड़की जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी की छात्रा थी। वहां पर हिंदू, मुस्लिम, क्रिश्चियन मजहब को मानने वाली लड़कियां एक क्लास में पढ़ती थीं। उन सबमें बड़े दोस्ताना तालुकात थे। लंच के समय सब मिल-बैठकर एकसाथ खाना खाती थीं। परंतु रमजान के महीने में मुस्लिम लड़कियां रोजा रखती थीं, जो लड़कियां रोजा नहीं रखती थीं वे इन दिनों मुस्लिम लड़कियों के इसरार के बावजूद कि तुम रोजमर्रा की तरह हमारे सामने ही लंच करो। परंतु उनकी भावनाओं की कद्र करने के कारण गैर-रोजेदार लड़कियां अलग कमरे में जाकर अपना लंच करती थीं। इसी तरह जिस दिन कोई लड़की गोश्त पकाकर लाती थी तो वह शाकाहारी लड़कियों को कहती थी कि आज हमारी ‘कुट्टी’, आज हम अलग कमरे मे खाएंगे।

यह एक दूसरे की धार्मिक आस्था अथवा खाने-पीने की बंदिश की भावना की कद्र है।

सलीम खान तथा बेटे सलमान खान ने एक अनाथ बच्ची को जिस तरह से अपनाकर अपनी सगी बच्ची की तरह अपना अंग बनाया, इस कारण मैं उनकी बेपनाह अदब और मोहब्बत करता हूं। मैं नहीं चाहता कि इस नेकदिल इंसान को कोई खतरा पैदा हो।

उसी तरह बिश्नोई समाज जो कि हरे-भरे वृक्ष को कटने से बचाने, काले हिरणों के लिए अपनी धार्मिक आस्था के कारण शहीद होने तक तैयार रहता है। इसलिए इस माफी को एक गैंगस्टर की धमकी के आगे समर्पण ना मानकर, एक प्रकृति प्रेमी बिश्नोई समाज के अकीदे का सम्मान मानते हुए अगर सलमान खान आदर करें तो कोई गलती नहीं होगी।

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