— शिवानन्द तिवारी —
अजीत पवार के नेतृत्व में एनसीपी के विधायकों के दल बदल को अप्रत्याशित नहीं कहा जा सकता है। स्मरण होगा कि इसके पूर्व अहले सुबह, सूरज निकलने के पहले अजीत पवार ने राजभवन पहुँच कर शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री की शपथ ले ली थी
लेकिन शरद पवार को तीस विधायक छोड़कर चले जाएंगे इसकी उम्मीद नहीं थी। सबसे आश्चर्यजनक प्रफुल्ल पटेल का शरद पवार का साथ छोड़ देना लगा। अभी कुछ दिन पहले शरद पवार ने उनको अपनी पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था। लंबे समय से प्रफुल्ल पटेल, पवार साहब के पीछे उनके साये की तरह दिखाई देते रहे हैं। उन्होंने भी पवार साहब का साथ छोड़ दिया, यह गले के नीचे उतर नहीं रहा है। चर्चा है कि वे केंद्र में मंत्री बनाए जाने वाले हैं।
शपथ लेने वालों में एक हसन मुशरिफ जी भी हैं। अभी उनके चीनी मिल पर ईडी ने छापा मारा था। उन पर मुकदमा भी दर्ज किया था। कल उन्होंने भी मंत्रिपद की शपथ ली है।
महाराष्ट्र का घटनाक्रम नरेंद्र मोदी जी और भारतीय जनता पार्टी की बेचैनी का इजहार कर रहा है। विरोधी दलों की पटना बैठक ने उनके मन में डर पैदा कर दिया है। अमरीका से लौटने के बाद प्रधानमंत्री के भाषणों का तेवर बदला हुआ है। विरोधी दलों पर वे लगातार हमलावर हैं। दूसरी ओर उनकी ओर से विरोधी दलों को तोड़ने का अभियान भी चलाया जा रहा है।
पार्टी नेताओं के लिए भी महाराष्ट्र के घटनाक्रम में एक संदेश छुपा हुआ है। आपके इर्दगिर्द आपकी हाँ में हाँ मिलाने वाले आपकी राजनीति के पक्के वफादार हैं, यह मानकर चलने की भूल मत कीजिए। आज के समय में विचार और नीति की राजनीति गौण हो गई है। किसी तरह अपने आपको स्थापित किये रहने की आकांक्षा ज्यादा प्रबल है। नेताओं को भी चाटुकारिता में ही राजनीतिक निष्ठा दिखाई देती है। पवार साहब को भी यही दिखाई दे रहा था। उसका नतीजा सामने है।