हनुमान पुराण

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Hanuman

— विमल कुमार —

राम– हनुमान ! आजकल क्या हो रहा है? क्या कर रहे हो?
हनुमान– प्रभु ! मैं आजकल बहुत परेशान हूं। समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूं? आए दिन कोई न कोई मेरे पीछे पड़ जाता है।
राम– “पीछे पड़ जाता है”, क्या मतलब? तुम्हारे पीछे कोई व्यक्ति या कोई कुत्ता?
हनुमान– व्यक्ति और कुत्ता पीछे पड़ता तो हम उससे निपट लेते। लेकिन मेरे घर पर कभी सीबीआई का छापा पड़ता है तो कभी इनकम टैक्स का, कभी ईडी का।
राम– हनुमान तुम्हारे घर पर छापा? तुमने तो कोई संपत्ति जमा नहीं की अपने घर में। तुम तो बाल ब्रह्मचारी हो। एक लंगोट पहन कर जीवन गुजार लिया। तुमने तो अपना घर भी नहीं बनाया। कभी पेड़ पर रहते हो कभी जंगल में। फिर सीबीआई वाले इनकम टैक्स वाले ईडी वाले तुम्हारे पीछे क्यों पड़े हुए हैं?
हनुमान– प्रभु ! मैं आपको कैसे समझाऊं कि इस छापे के निहितार्थ क्या हैं। आप तो जानते ही हैं कि आजकल जिन जिन वीआईपी लोगों के घर पर छापे पड़ रहे हैं, वे सब भाजपा में जा रहे हैं।
राम– तो क्या तुम भी भाजपा में चले जाओगे?
हनुमान– नहीं महाराज! मैं किसी पार्टी में नहीं जाऊंगा। मेरी तो शुरू से ही किसी पार्टी मेंआस्था नहीं रही। हम लोग तो कांग्रेस में भी नहीं थे समाजवादी पार्टी में नहीं थे जनता दल में भी नहीं थे। बसपा में भी नहीं थे। तो हम भाजपा में कैसे चले जाएंगे?
लेकिन इस समय जो देश के हालात हैं जिस तरह से छापे पड़ रहे हैं जिस तरह से लोगों को परेशान किया जा रहा है। हो सकता है मुझे मजबूरन एक दिन भाजपा में शामिल होना पड़े।
राम– ऐसा ना करो हनुमान, उस दिन मैं किसको मुंह दिखाऊंगा। हमारी नाक कट जाएगी। हम लोग कोई अजित पवार थोड़े ही हैं कि कहीं भी चले जाएं।
हनुमान– लेकिन प्रभु आपने हमारी रक्षा रावण से की थी। क्या आज आप ईडी सीबीआई इनकम टैक्स से हमारी रक्षा कर सकते हैं तो बताइए! हम आपके बताए रास्ते पर चलें अन्यथा हमें मजबूर होकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होना पड़ेगा।
राम– हनुमान! अब मैं क्या उत्तर दूं। यह सच है कि मैंने तुमको रावण से बचाया था लेकिन इनकम टैक्स और सीबीआई से बचाना संभव नहीं है। यह मेरी औकात से बाहर है। अब तुम्हारी इच्छा तुम भाजपा में शामिल होते हो या नहीं। देख लो 2024 का चुनाव आने ही वाला है।
हनुमान– रघुकुल रीति सदा चली आयी। जब मिले टिकट तो ईमानदारी लड़ख़ड़ाई।

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