बारिश के बीच जंतर मंतर पर रोजगार के लिए हुई जन-संसद में जुटे सैकड़ों लोग

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One Vote One Employment

9 जुलाई। चारों ओर जलभराव और मूसलाधार बारिश के बावजूद दिल्ली में जंतर मंतर पर सैकड़ों लोग इकट्ठा हुए, देश में लगातार बढ़ती बेरोज़गारी के मसले पर आयोजित ‘जन संसद’ में। ‘एक वोट एक रोजगार’ समेत पांच सूत्री मांगों के लिए जन संसद ने हुंकार भरी।

बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है जिसके परिणामस्वरूप नौजवान अवसाद, नशा, अपराध की तरफ बढ़ रहे हैं। हज़ारों की तादाद में पढ़े-लिखे नौजवान रोजगार नहीं मिलने पर आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं।

सरकारी क्षेत्र में जो नौकरियां हैं उन पर बड़ी संख्या में संविदा पर भर्ती की जा रही है। इन पदों पर कार्य करने वाले संविदाकर्मियों को कई साल की नौकरी के बाद अचानक हटा दिया जाता है। बेरोजगारी के गर्त में फिर से धकेल दिया गया यह कर्मी आत्महत्या तक कर लेता है। इसलिए संविदा पर नियुक्तियां बंद हों और जो लोग वहां कार्य कर रहे हैं, उन्हें वहीं स्थायी किया जाए और देश में जितने भी सरकारी पद हैं उन पर तत्काल स्थायी नियुक्ति की जाए।

One Vote One Employment

यदि काम मिल भी रहा है तो सरकार की तरफ से तय न्यूनतम मजदूरी कहीं कहीं किसी दफ्तर या फैक्टरी में नहीं मिल रही। आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) ने अब उच्चतम शिक्षा प्राप्त नौजवानों के भविष्य को भी अंधकारमय बना दिया है। हमारे बुजुर्गों ने राष्ट्र और समाज का निर्माण अकुशल और कुशल श्रमिकों के रूप में किया; आज उन्हें पेंशन नहीं मिल रही और जो पेंशन है भी तो वह भीख की तरह है, जिससे गुजारा नहीं हो सकता।

रोजगार की चर्चा हमारे संविधान के नीति निर्देशक तत्वों के अनुच्छेद 38 और अनुच्छेद 39 में स्पष्ट रूप से है। आज जरूरत है सरकार द्वारा संविधान में निहित इन नीति निर्देशक तत्वों को कानूनी स्वरूप प्रदान करने की और ‘रोजगार कानून’ बनाने की। इस मुहिम का नाम है “एक वोट एक रोजगार” का आंदोलन। इस संदर्भ में 9 जुलाई 2023 (रविवार) को जंतर मंतर (नई दिल्ली) पर एक जन संसद का आयोजन किया गया था, जिसमें दिल्ली और देश के अलग अलग क्षेत्रों के युवा, बुद्धिजीवी, समाजसेवी और अलग अलग दलों के संवेदनशील राजनेता शामिल हुए, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में जाने माने अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार, प्रख्यात समाजशास्त्री प्रोफेसर आनंद कुमार, संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य डा सुनीलम, पूर्व सांसद संदीप दीक्षित, जमात ए उलेमा हिंद के सद्भावना मंच के राष्ट्रीय संयोजक मौलाना जावेद कासमी, सामाजिक कार्यकर्ता सीमा, फिरोज मीठीबोरवाला, रिजवान अहमद, किसान आंदोलन से जुड़ी पूनम पंडित, सुशील खन्ना समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए और अपनी बात रखी।

पांच सूत्री मांग

1. रोजगार कानून ताकि बेरोजगार होने पर नेताजी के आफिस नहीं बल्कि कोर्ट जाएं।

2. न्यूनतम मजदूरी की गारंटी एवं समान काम का समान वेतन

3. सभी खाली पदों को तुरंत भरा जाए, संविदा प्रणाली समाप्त हो, यदि खाली पदों पर कर्मचारियों की संविदा पर नियुक्त हुई हो, तो उन कर्मचारियों को वहीं स्थायी किया जाए।

4. सभी गाँव एवं मोहल्ला में एक रोजगार कार्यालय।

5. सभी बुजुर्गों को न्यूनतम मज़दूरी का आधा पेंशन।

जन-संसद को आयोजित करने और सफल बनाने में प्रवीण काशी, डॉ. संत प्रकाश, पुष्पा, चांद, जोगिंदर, माही सिंह, जतिन भल्ला, विकास सैनी, शशांक यादव, मंजीत, अशोक कुमार, हरपाल सिंह आदित्य, मोहित सिंह, जोगिंदर, करण समेत अनेक संगठनों के सदस्यों और बुद्धिजीवियों ने अहम भूमिका निभाई।

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