14 जुलाई। संयुक्त किसान मोर्चा ने विभिन्न राज्यों, विशेषकर उत्तर भारत में भूस्खलन, जल जमाव और बाढ़ से गंभीर रूप से प्रभावित लोगों के हालात पर गहरा दुख व्यक्त किया है। भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ के कारण और अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है।
हिमाचल प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है, जहाँ अब तक 80 लोगों की जान जा चुकी है। सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति और असंख्य आपदा की भेंट चढ़ गए हैं। एसकेएम ने केंद्र सरकार से हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भूस्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और हिमाचल प्रदेश के लोगों को बचाव और राहत पहुँचाने का आग्रह किया है।
बीते 12 जुलाई की बैठक में एसकेएम की राष्ट्रीय समन्वय समिति ने केंद्र सरकार से प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहे जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और असम और केंद्रशासित प्रदेशों में तत्काल और प्रभावी राहत कार्य की माँग की है। एसकेएम ने माँग की है, कि केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारें अपने सदस्यों की जान गंवाने वाले परिवारों को ₹10 लाख, फसल क्षति के लिए ₹50,000 प्रति एकड़ तथा प्रति गोवंश के लिए ₹1 लाख का मुआवजा प्रदान करें। एसकेएम ने प्रभावित राज्यों में अपने सभी घटक संगठनों से अपील की है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके कार्यकर्ता राहत कार्यों में भाग लें और पीड़ितों की मदद करें।
एसकेएम ने लकड़ी माफिया को बुरहानपुर जिले में 15,000 एकड़ जंगल लूटने की सुविधा देने तथा जंगल लूट का विरोध करने पर निर्दोष आदिवासी परिवारों के दमन को लेकर मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार की कड़ी निंदा की है। एसकेएम ने जागृत आदिवासी दलित संगठन की नेता माधुरी को बुरहानपुर जिले में प्रवेश करने से रोकने को अलोकतांत्रिक कदम करार दिया। एसकेएम ने माँग की है कि मुख्यमंत्री इस शर्मनाक आदेश को तुरंत वापस लें। एसकेएम ने संसद के मानसून सत्र में पेश किए जाने वाले वन संरक्षण(संशोधन) विधेयक में किए गए जन-विरोधी संशोधनों पर कड़ा एतराज जताया है।